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आंचलिक विज्ञान नगरी में “प्रकृति के माध्यम से ब्यूटी एवं स्टाइल” कार्यशाला शुरू
लखनऊ। सुन्दर दिखने के लिए आजकल तमाम रसायन युक्त सौंदर्य प्रसाधन इस्तेमाल किए जाते हैं जिनसे घातक बीमारियां होने की आशंकाएं रहती हैं। इनसे बचने के लिए घर में ही फलों और सब्जियों से स्वास्थ्यवर्धक फेस पैक बनाए जा सकते हैं। आपके घर की रसोई में बेहद आसानी से उपलब्ध “सेहत के डॉक्टरों” की जानकारी गुरुवार को आंचलिक विज्ञान नगरी में आयोजित समर कैंप में दी गई।
इस कैंप में गुरुवार को गृहणियों और बच्चों को भरपूर मनोरंजन के साथ तमाम ज्ञान-विज्ञान की बातें भी सीखने को मिलीं। इसी सिलसिले में यहां “प्रकृति के माध्यम से ब्यूटी एवं स्टाइल” कार्यशाला का शुभारम्भ हुआ। सेंटर के संयोजक उमेश कुमार ने बताया कि इस कार्यशाला में केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप) के पूर्व वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ आनंद अखिला ने सौंदर्य प्रसाधनों में इस्तेमाल किये जाने वाले खतरनाक व हानिकारक रसायनों के बारे में जानकारी दी।
डॉ आनंद अखिला ने बताया कि सुन्दर दिखने के लिए रसायन युक्त प्रसाधन का इस्तेमाल किया जाना बेहद आम बात है। जैसे लिपस्टिक में मिथाइल पेराबेन, प्रोपेल पेराबेन, लेड, क्रोमियम, मैंगनीज और एल्युमीनियम के यौगिक प्रयोग में लाए जाते हैं और अक्सर इनकी मात्रा मानकों से अधिक पाई जाती है। पेट में चले जाने पर इनसे फेफड़ों में कैंसर, पेट का अल्सर व किडनी प्रभावित हो सकती है।
उन्होंने बताया कि फेयरनेस क्रीम भी कम खतरनाक नहीं है। इसमें मरकरी अर्थात पारे के यौगिक इस्तेमाल होते हैं और साथ ही “हैड्रोकुइनोल” जैसे ब्लीचिंग एजेंट इस्तेमाल किए जाते हैं जो त्वचा को कमजोर व और संवेदनशील बना देते हैं। इसी तरह हेयर-डाई में ‘आरोमटिक-अमीन्स’ का प्रयोग हाइड्रोजन पेरोक्साइड की उपस्थित में किया जाता है जिस से अलग-अलग हेयर डाई के रंग बनते हैं। यह यदि रक्त में चले जाएं तो हीमोग्लोबिन से जुड़ कर के बीमारियों को जन्म दे सकते हैं। इसी तरह शैम्पू, नेल पॉलिश, हेयर रिमूवर क्रीमों में भी घातक रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है। उन्होंने बताया कि नेल पॉलिश में डाई मिथाइल बेंजीन, हेयर रिमूवर्स में कैल्शियम थायोग्लायकोलेट व कास्टिक सोडा और शैम्पू में सोडियम सल्फेट नामक रसायन प्रयोग किए जाते हैं जो स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक हैं।
वर्कशॉप में डॉ अखिला ने नीम, हल्दी, एलोवेरा, तरबूज, पपीते और खीरे के साथ दही, मुल्तानी मिटटी और शहद के अलग अलग मिश्रणों के साथ अनूठे फेस पैक बनाना सिखाया। पूरी तरह प्राकृतिक तौर तरीकों से बने इन सौंदर्य प्रसाधनों का गृहणियों ने तुरंत ही इस्तेमाल भी किया। घर के किचन में मौजूद “सेहत के डॉक्टरों” के बारे में जानकर गृहणियां बेहद खुश नजर आईं। डॉ अखिला ने यह भी बताया कि प्राकृतिक तेलों, सुगंधों को शरीर पर प्रयोग करने से पहले हांथ के 1 इंच के हिस्से पर लगा कर ‘सेंसिटिविटी टेस्ट‘ कर लेना चाहिए कि आप को कहीं इस से एलर्जी तो नहीं है।
दो दिवसीय इस कार्यशाला में डॉ अखिला घर बैठे दर्द निवारक तेल बनाने के अतिरिक्त अरोमाथेरेपी द्वारा तनाव से मुक्ति, जुखाम-बुखार, गले की खराश से मुक्ति, सर-दर्द, बदन-दर्द से आराम पाने वाले रसायनों व प्रकृतिक तरीकों के बारे में भी जानकारी देंगे।
ये नुस्खे भी आजमाएं
– अपने बॉडी आयल या हेयर आयल में दो से तीन बूंदे सिट्रोनेला तेल मिला कर हाथ-पांव पर लगाएं। मच्छरों से निजात मिलेगी।
– सिट्रोनेला तेल की 10 बूंदे एक बाल्टी पानी और सोप सलूशन में मिला कर पोंछा लगाने से कॉकरोच व अन्य कीड़ो के आने की सम्भावना कम हो जाती है।
– मंदिर से ले गए फूल-मालाओं (खास कर गुलाब) को तुरंत फेंक न दें बल्कि 1 भगोना पानी में डाल कर गैस पर 10 मिनट तक उबलने दें। भगोना खुला छोड़ दें, सारा घर खुश्बूमय हो जाएगा। पानी ठंडा होना पर नहाने के पानी में मिला कर स्नान करें, शरीर भी सुगन्धित रहेगा।
उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग का प्रस्ताव- पुरुष दर्जी नहीं ले सकेंगे महिलाओं की माप, जिम में महिला ट्रेनर जरुरी
लखनऊ। अगर आप महिला हैं तो ये खबर आपके लिए है। दरअसल, यूपी में महिलाओं की सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए उ.प्र. राज्य महिला आयोग ने कुछ अहम फैसले लिए हैं जिसे जानना आपके लिए बेहद ज़रूरी हैं। शुक्रवार को आयोग की बैठक सम्पन्न हुई। इस दौरान महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कई अहम फैसले लिए गए। जो की इस प्रकार हैं।
1- महिला जिम/योगा सेन्टर में, महिला ट्रेनर होना चाहिए तथा ट्रेनर एवं महिला जिम का सत्यापन अवश्य करा लिया जाये।
2-महिला जिम/योगा सेन्टर में प्रवेश के समय अभ्यर्थी के आधार कार्ड/निर्वाचन कार्ड जैसे पहचान पत्र से सत्यापन कर उसकी छायाप्रति सुरक्षित रखी जाये।
3- महिला जिम/योगा सेन्टर में डी.वी.आर. सहित सी.सी.टी.वी. सक्रिय दशा में होना अनिवार्य है।
4. विद्यालय के बस में महिला सुरक्षाकर्मी अथवा महिला टीचर का होना अनिवार्य है।
5. नाट्य कला केन्द्रों में महिला डांस टीचर एवं डी.वी.आर सहित सक्रिय दशा में सी.सी.टी.वी. का होना अनिवार्य है।
6. बुटीक सेन्टरों पर कपड़ों की नाप लेने हेतु महिला टेलर एवं सक्रिय सी.सी.टी.वी. का होना अनिवार्य है।
7. जनपद की सभी शिक्षण संस्थाओं का सत्यापन होना चाहिये।
8. कोचिंग सेन्टरों पर सक्रिय सी.सी.टी.वी. एवं वाशरूम आदि की व्यवस्था अनिवार्य है।
9. महिलाओं से सम्बन्धित वस्त्र आदि की ब्रिकी की दुकानों पर महिला कर्मचारी का होना अनिवार्य है।
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