मुख्य समाचार
आईएस से ज्यादा खतरनाक वैचारिक प्रदूषण
देश पर आतंकी संगठन इस्लाचमिक स्टेीट (आईएसआईएस) का खतरा मंडरा रहा है और उससे निपटने के लिए उच्च स्तर पर मंथन किया जा रहा है। इस सारे माहौल के बावजूद देश की राजनीति एक अलग ही दिशा में जाती नजर आ रही है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने सवाल उठाया है कि क्या भारत लीबिया में आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट के संपर्क में है? पूर्व सूचना एवं प्रसारण मंत्री जैसे महत्वपूर्ण पद पर रह चुके तिवारी ने ट्वीट किया है कि लीबिया में अगवा किए गए दो भारतीयों की रिहाई से मैं बेहद खुश हूं और अन्य के लिए प्रार्थना करता हूं कि वे भी जल्द रिहा हो जाएं। तिवारी ने पूछा कि सुषमा स्वराज रिहाई का सारा श्रेय ले रही हैं, तो क्या भारत आईएस के साथ कोई बिजनेस कर रहा है। उन्हों ने यह भी कहा कि लगता है कि विदेश मंत्रालय हॉटलाइन के जरिये आईएस से बात कर रहा है। मनीष तिवारी ने यह भी पूछा कि सरकार आईएस के क्यात कोई डील कर रहा है?
इस प्रकरण में कांग्रेस का रुख बेहद गैरजिम्मेदाराना है। देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी द्वारा केंद्र सरकार का पुरजोर विरोध करना तो समझ में आता है लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर कांग्रेस के नेता इतना हल्का बयान देने से पहले क्या वह एक बार भी विचार नहीं करते? अगर सरकार के प्रयासों से किसी भारतीय की रिहाई हो जाती है तो बात को दूसरी दिशा में ले जाने का क्या औचित्य? आईएसआईएस जैसे क्रूर आतंकी संगठन की हरकतें किसी से छिपी नहीं है और कश्मी र में भी कई बार संगठन का झंडा लहराए जाने की खबरें सामने आई हैं। इससे साफ है कि इस आतंकी संगठन ने धीरे धीरे अब भारत में पैर पसारने शुरू कर दिए हैं। ऐसे में इस तरह के विवादित बयान इस आतंकी संगठन से निपटने की मुहिम को सिर्फ नुकसान पहुंचाएंगे। साथ में देश के लोगों का मनोबल भी टूटेगा। एक बात और आईएस का उभार जिस तरह से हुआ है, वह सिर्फ हिंसा और हथियारों के दम पर नहीं हुआ है, बल्कि इसके पीछे एक खास तरह की कट्टरता है, जो दुनिया को मध्ययुग की ओर ले जाना चाहती है। असली चुनौती इसी कट्टरता से निपटने की है लेकिन देश में शीर्ष राजनीतिक स्तर पर इस तरह के नकारात्मक विचार आतंकवाद से निपटने में कारगर नहीं हो सकते।
मनीष तिवारी जैसा ही समझदार रुख समाजवादी पार्टी के एक स्थानीय नेता का भी है। महाराष्ट्र में सपा के प्रदेश उपाध्यक्ष मोहम्मद फारुक घोसी ने आतंकी याकूब मेमन की पत्नी राहीन को सांसद बनाने की मांग कर डाली। इस नेता ने अपनी मांग के समर्थन में सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव को एक पत्र भी लिखा। सपा नेता का कहना है, याकूब की पत्नी 21 सालों से अपने पति के बिना रह रही है और अगर वह राजनीति में आती है तो वह जरूरतमंद लोगों की आवाज बन सकती है, इसलिए मैंने मुलायम सिंह यादव से उसे सांसद बनाए जाने की मांग की। हालांकि सपा नेता के इस बयान पर विवाद छिड़ते ही पार्टी ने इससे दूरी बना ली। पार्टी ने उनके खिलाफ कड़ा निर्णय लेते हुए उन्हें पद से हटाने का फैसला कर डाला। याकूब की फांसी को लेकर पहले ही काफी सियासी घमासान हो चुका है। ऐसे में अब सपा नेतृत्व इस मुद्दे पर कोई विवाद खड़ा होता देख उसका सियासी नुकसान उठाने से बच रही है।
साफ है कि राजनीतिक दलों के नेताओं को अपना नफा-नुकसान देखकर कोई भी बयान देने में परहेज नहीं है। राष्ट्रीय सुरक्षा और देश हित से जुड़े मुद्दों पर सरकार और विपक्ष का एकमत होना गुजरे जमाने की बात हुई। सारी जोड़-घटाना वोट बैंक और कुर्सी के सामने नतमस्तक है। पार्टी नेतृत्व भी धृतराष्ट्र बनकर दम साधे सारा क्रियाकलाप देखता रहता है। जिन घटनाओं का खुले दिल से स्वागत करना चाहिए उनमें इस तरह के गैरजिम्मेदाराना रवैया किसी को भी हिला देने वाले हैं। माहौल ही कुछ ऐसा बन गया है कि बिना सोचे-समझे कुछ भी बयान दे दो और फिर पूरे देश में उस पर बहस छिड़ जाए। लेकिन ये रुख गुरदासपुर में आतंकी हमले के दौरान शहीद हुए पुलिस अधिकारी की शहादत का अपमान है। हर मोर्चे पर देश की रक्षा के लिए तत्पर सेना भी अपने राजनीतिक सिपाहसलारों के ऐसे आचरण से हिल जाती है। जनता को चाहिए कि ऐसे नकारात्मक विचार रखने वाले और वैचारिक प्रदूषण फैलाने वाले नेताओं का बहिष्कार करें। उन्हें आईना दिखाया जाए तभी उनमें सुधार आएगा।
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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत
पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।
AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.
शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव
अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।
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