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बिजनेस

आईओबी का शुद्ध मुनाफा घटा

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चेन्नई| चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून 2015 तिमाही में इंडियन ओवरसीज बैंक (आईओबी) का शुद्ध मुनाफा घट गया है। बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के मुताबिक, 30 जून 2015 को समाप्त तिमाही में बैंक का शुद्ध मुनाफा 14.7 करोड़ रुपये रहा है, जबकि पिछले साल की समान तिमाही में बैंक का मुनाफा 271.7 करोड़ रुपये दर्ज हुआ था।

इस समान अवधि में बैंक की कुल आय बढ़कर 6,284.69 करोड़ रुपये रही है, जो 30 जून, 2015 को समाप्त तिमाही में 6,672.11 करोड़ रुपये रही थी।

इस समीक्षाधीन अवधि के दौरान आईओबी की गैर निष्पादित संपत्ति (जीएनपीए) 1,528.75 करोड़ रुपये रही है। पहली तिमाही के अंत में जीएनपीए 16,451.20 करोड़ रुपये थी, जो 31 मार्च, 2015 को यह 14,922.45 करोड़ रुपये थी।

30 जून, 2015 को शुद्ध एनपीए 10,640.43 करोड़ रुपये रहा, जो 31 मार्च, 2015 को 9,813.33 करोड़ रुपये दर्ज हुआ था।

नेशनल

ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 के बदले देने पड़ेंगे 35,453 रु, जानें क्या है पूरा मामला

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हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला

क्या है पूरा मामला ?

सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।

कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।

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