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बिजनेस

आरबीआई ने ब्याज दरें ज्यों की त्यों रखीं

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मुंबई, 6 दिसंबर (आईएएनएस)| भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को वित्तवर्ष 2017-18 की अपनी पांचवीं द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में बढ़ती महंगाई का हवाला देते हुए प्रमुख ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है।

केंद्रीय बैंक ने पुनर्खरीद दर या वाणिज्यिक बैंकों के लिए अल्पकालिक ऋण दर (रेपो रेट) छह फीसदी पर बनाए रखा है।

इसी हिसाब से, रिवर्स रेपो रेट 5.75 फीसदी पर बरकरार रखा गया है।

आरबीआई ने कहा कि जीवन स्तर की लागत और महंगाई को निर्धारित करनेवाले दो प्रमुख कारक -खाद्य और ईंधन महंगाई- में नवंबर में वृद्धि दर्ज की गई है।

आरबीआई ने चौथे द्विमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य में कहा, यही कारण है कि एमपीसी (मौद्रिक नीति समिति) ने रेपो रेट को वर्तमान दर पर ही रखने का फैसला किया है।

बयान में कहा गया है, एमपीसी का निर्णय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति में चार फीसदी की वृद्धि दर बनाए रखने के लिए मध्यम अवधि के लक्ष्य को हासिल करने के उद्देश्य के अनुरूप है।

यह निर्णय आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल के नेतृत्व में छह सदस्यीय एमपीसी में लिया गया। समिति के पांच सदस्यों ने प्रमुख ऋण दर को बनाए रखने के पक्ष में मतदान किया।

अपनी पिछली मौद्रिक नीति समीक्षा में भी केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट 6 फीसदी पर बरकरार रखा था।

आरबीआई ने वित्तवर्ष 2017-18 के लिए जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के वृद्धि दर अनुमान को ‘जोखिम के साथ समान रूप से संतुलित’ बताते हुए 6.7 फीसदी पर रखा है।

आरबीआई ने नीति विवरण में कहा, एमपीसी आकलन में.. प्राथमिक पूंजी बाजार में कई सालों की सुस्ती के बाद महत्वपूर्ण तेजी दर्ज की गई है। चूंकि ये पूंजी नई परियोजनाओं के लिए उठाई गई है, इसलिए यह लघु अवधि में मांग में वृद्धि करेगा और मध्यम अवधि के दौरान अर्थव्यवस्था की विकास की संभावना को बढ़ावा देगा।

नीति विवरण में आगे कहा गया, दूसरे, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में रैकिंग में सुधार से अर्थव्यवस्था में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बनाए रखने में मदद मिलेगी। तीसरे, कर्ज नहीं चुकानेवाले बड़े कर्जदारों पर दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के तहत कार्रवाई की जी रही है और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को पुनर्पूजीकरण किया जा रहा है, जिससे आवंटन दक्षता में वृद्धि होगी।

हालांकि आरबीआई के फैसले ने निवेशकों को निराश किया है।

दो प्रमुख सूचकांक – सेंसेक्स और निफ्टी में आरबीआई की मौद्रिक समीक्षा के बाद तेज गिरावट दर्ज की गई।

बुधवार को कारोबार में सेंसेक्स 205.26 अंकों की गिरावट के साथ 32,597.18 पर और निफ्टी 74.15 अंकों की गिरावट के साथ 10,044.10 पर बंद हुआ।

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बिजनेस

जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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