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मनोरंजन

आर्थिक तंगी के कारण अभिनय क्षेत्र में आई थीं सदाबहार रेखा (जन्मदिन : 10 अक्टूबर)

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नई दिल्ली, 10 अक्टूबर (आईएएनएस)| ‘बीवी हो तो ऐसी’, ‘दो अनजाने’, ‘सौतन की बेटी’, ‘फूल बने अंगारे’, ‘इंसाफ की देवी’ जैसी अनेक शानदार फिल्मों में नजर आईं दिग्गज अभिनेत्री भानुरेखा गणेशन उर्फ रेखा मनोरंजन-जगत का जाना-माना नाम हैं। रेखा के अभिनय के साथ ही उनकी खूबसूरती के भी सभी कायल हैं। आज भी उनकी खूबसूरती में वही आकर्षण है, जो वर्षो पहले हुआ करता था।

रेखा का जन्म 10 अक्टूबर, 1954 को चेन्नई में तमिल अभिनेता जेमिनी गणेशन और तेलुगू अभिनेत्री पुष्पावली के घर में हुआ था। उनके पिता अभिनेता के तौर पर काफी सफल हुए और रेखा भी उन्हीं के पद्चिन्हों पर चलीं। वे तेलुगू को अपनी मातृभाषा मानती हैं। उन्हें हिंदी, तमिल और अंग्रेजी का भी ज्ञान है।

उन्होंने चेन्नई के लोकप्रिय चर्च पार्क कॉन्वेंट में शिक्षा ग्रहण की। उन्होंने अभिनय क्षेत्र में करियर बनाने के लिए पढ़ाई छोड़ दी। हालांकि, उनकी इसमें कोई दिलचस्पी नहीं थी और आर्थिक तंगी की वजह से उन्हें मनोरंजन की दुनिया में कदम रखना पड़ा।

इसके अलावा उनका निजी जीवन भी काफी सुर्खियों में रहा। रेखा और अमिताभ के प्यार के चर्चे आम थे। कहा जाता था कि इन दोनों के बीच प्यार इस कदर था कि आपस में कुछ कहे बिना ही दोनों एक-दूसरे के दिल की बात समझ लेते थे। अचानक ही रेखा और अमिताभ के रास्ते अलग-अलग हो गए, अमिताभ ने फिर कभी रेखा की तरफ मुड़ कर नहीं देखा और 3 जून, 1973 को जया बच्चन से शादी कर ली।

बॉलीवुड के कुछ सूत्रों का कहना है कि अमिताभ की जया से शादी हो जाने के बाद भी रेखा उन्हें प्यार करती थीं। खबर यह भी आई कि उन्होंने साल 1990 में उद्योगपति मुकेश अग्रवाल से शादी की। इसके बाद विनोद विनोद मेहरा के साथ भी उनका नाम जोड़ा गया।

हालांकि, रेखा ने कभी अपने निजी जीवन को लेकर सार्वजनिक तौर पर कुछ नहीं कहा।

हिंदी फिल्मों की बेहतरीन अभिनेत्री मानी जाने वाली रेखा ने अपने करियर की शुरुआत 1966 में बाल कलाकार के तौर पर तेलुगू फिल्म ‘रंगुला रतलाम’ से की थी।

अभिनेत्री के तौर पर उन्होंने फिल्म ‘सावन भादो’ के साथ पर्दापण किया था। वह अपनी खूबसूरती के लिए हमेशा सुर्खियों में रहीं। उनके करियर में काफी उतार-चढ़ाव आए और उन्होंने कई बड़े कलाकारों के साथ काम किया।

अपनी लाजवाब अदाकारी के दम पर कई सालों तक इंडस्ट्री को सुपरहिट फिल्में देने और नये कीर्तिमान स्थापित करने वाली रेखा के सामने आज भी कई अभिनेत्रियां फीकी लगती हैं।

उन्होंने ‘ऐलान’, ‘रामपुर का लक्ष्मण’, ‘धर्मा’, ‘कहानी किस्मत की’, ‘नमक हराम’, ‘प्राण जाए पर वचन ना जाए’, ‘धर्मात्मा’, ‘दो अंजाने’, ‘खून पसीना’, ‘गंगा की सौगंध’, ‘घर’, ‘मुकद्दर का सिकंदर’, ‘सुहाग’, ‘खूबसूरत’, ‘सिलसिला’, ‘उमराव जान’, ‘निशान’, ‘अगर तुम ना होते’, ‘खून भरी मांग’, ‘इजाजत’, ‘बीवी हो तो ऐसी’, ‘भ्रष्टाचार’, ‘फूल बने अंगारे’, ‘खिलाड़ियों का खिलाड़ी’, ‘आस्था’, ‘बुलंदी’, ‘जुबैदा’, ‘लज्जा’, ‘दिल है तुम्हारा’, ‘कोई मिल गया’, ‘क्रिश’ जैसी कई शानदार फिल्मों में अपने अभिनय के जलवे बिखेरे।

रेखा कई फिल्मों में बोल्ड अंदाज में भी दिखीं। वह अपने बेबाक बोल, सेक्स पर खुले विचारों और अपनी विवादास्पद लाइफ को लेकर अकसर सुर्खियों में रहीं। हालांकि, आज रेखा कायमाबी के उस पर शिखर पर हैं, जहां हर किसी के लिए पहुंचना नामुमकिन है।

उन्होंने यहां तक पहुंचने के लिए कड़ा संघर्ष किया, अपने परिवार को पालने के लिए कई फिल्मों में बोल्ड किरदार निभाएं है।

वर्ष 1984 में आई निर्देशक गिरीश कर्नाड की फिल्म ‘उत्सव’ में रेखा ने मुख्य भूमिका निभाई। रेखा ने इसमें वसंतसेना नाम की एक ऐसी महिला का किरदार निभाया है जो एक गरीब शख्स से रिश्ता बनाती है। इस फिल्म में शेखर सुमन और रेखा के बोल्ड सीन हैं। इसके लिए रेखा को आलोचना का भी शिकार होना पड़ा।

इसके बाद वर्ष 1996 में आई फिल्म ‘कामसूत्र’ में रेखा ने कामसूत्र पढ़ाने वाली टीचर का रोल निभाया। लेकिन रेखा अभिनीत यह बोल्ड सीन्स से भरी एक ऐसी फिल्म थी, जो कभी रिलीज नहीं हो पाई। इसे मीरा नायर ने डायरेक्ट और प्रोड्यूस किया था।

निर्देशक मानिक चटर्जी की फिल्म ‘घर’ में भी रेखा के अभिनय का एक नायाम नजर आया। इसमें रेखा के साथ विनोद मेहरा मुख्य भूमिका में थे। इस फिल्म में विकास (विनोद मेहरा) की पत्नी आरती (रेखा) के साथ गैंगरेप हो जाता है। इसके बाद वह किन परिस्थितियों से गुजरती हैं, यह दिखाया गया है। रेखा ने इस रोल को बखूबी निभाया था।

रेखा और अक्षय कुमार ने फिल्म ‘खिलाड़ियों का खिलाड़ी’ में भी कई बोल्ड सीन दिए। इसमें वह एक लेडी डॉन के रूप में नजर आईं थी, जो अपनी बहन के प्रेमी से ही प्यार कर बैठती है। इसके बाद अक्षय और रेखा के साथ होने की भी अफवाहें भी उड़ी थीं।

रेखा को उनके जन्मदिन पर आईएएनएस की तरफ से ढेरों शुभकामनाएं।

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उत्तर प्रदेश

डेकोरेटिव लाइट्स से महाकुंभ बनेगा भव्यता का प्रतीक

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प्रयागराज। महाकुंभ 2025 को दिव्य और भव्य बनाने के लिए योगी सरकार अनेक अभिनव प्रयास कर रही है। इसी क्रम में पूरे मेला क्षेत्र को डेकोरेटिव लाइट्स से सजाया जा रहा है। 8 करोड़ की लागत से उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लि. की ओर से पूरे मेला क्षेत्र में 485 डिजाइनर स्ट्रीट लाइट पोल का जाल बिछाया जा रहा है। संगम जाने वाली हर प्रमुख सड़क पर यह अलौकिक पोल और लाइट श्रद्धालुओं का स्वागत करती नजर आएगी। योगी सरकार का यह प्रयास न केवल श्रद्धालुओं को दिव्य अनुभव देगा, बल्कि भारतीय संस्कृति और आधुनिकता का अद्भुत संगम भी प्रस्तुत करेगा।

प्रमुख मार्गों पर अनूठी रोशनी का जादू

अधीक्षण अभियंता महाकुंभ मनोज गुप्ता ने बताया कि सीएम योगी की।मंशा के अनुरूप महाकुंभ को भव्य रूप देने के लिए विद्युत विभाग बड़े पैमाने पर कार्य कर रहा है। डेकोरेटिव लाइट्स और डिजाइनर पोल्स उसी का हिस्सा है। मेला क्षेत्र में लाल सड़क, काली सड़क, त्रिवेणी सड़क और परेड के सभी मुख्य मार्गों को आकर्षक डेकोरेटिव लाइट्स से रोशन किया जा रहा है। ये लाइट्स भगवान शंकर, गणेश और विष्णु को समर्पित हैं, जो श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शांति और सौंदर्य का अनुभव कराएंगी।

8 करोड़ की भव्य परियोजना

अधिशाषी अभियंता अनूप सिंह ने बताया कि पूरे मेला क्षेत्र में 8 करोड़ से ज्यादा की लागत से 485 डिजाइनर स्ट्रीट लाइट पोल लगाए जा रहे हैं। इस बार टेंपरेरी की बजाय स्थायी पोल्स का निर्माण किया गया है, जो महाकुंभ के बाद भी क्षेत्र की रौनक बनाए रखेंगे। हर पोल को कलश और देवी-देवताओं की आकृतियों से सजाया गया है, जो मेले के वातावरण को सांस्कृतिक वैभव से भर देंगे। 15 दिसंबर तक सभी डेकोरेटिव लाइट्स का कार्य संपन्न कर लिया जाएगा, जिसके बाद रात में मेला क्षेत्र की आभा देखते ही बनेगी।

विद्युत विभाग का अभिनव प्रयास

उन्होंने कहा कि महाकुंभ में आने वाले लाखों श्रद्धालुओं के अनुभव को यादगार बनाने के लिए यह विद्युत विभाग की ओर से एक अभूतपूर्व पहल है। आधुनिक तकनीक और सांस्कृतिक प्रतीकों के मेल से यह परियोजना महाकुंभ को विश्वस्तरीय भव्य आयोजन का दर्जा देगी। महाकुंभ के लिए लगाए गए ये डेकोरेटिव पोल्स स्थायी रहेंगे, जिससे क्षेत्र में आने वाले पर्यटक भी लंबे समय तक इस भव्यता का आनंद ले सकेंगे। डेकोरेटिव लाइट्स से सजे इस महाकुंभ में हर श्रद्धालु को आध्यात्मिक ऊर्जा और सांस्कृतिक गर्व का अनुभव होगा। यह पहल महाकुंभ को भारतीय संस्कृति की भव्यता और आधुनिक विकास का अद्वितीय प्रतीक बनाएगी।

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