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आर्थिक बंद को लेकर रिजिजू मणिपुर के मुख्यमंत्री से मिले

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केंद्रीय गृह राज्य मंत्री, किरण रिजिजू, ओकराम इबोबी सिंह, मुख्यमंत्री, आर्थिक बंद, गृह मंत्रालयइंफाल | नगा संगठनों द्वारा आर्थिक बंद को लेकर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने शुक्रवार को मणिपुर के मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह से मुलाकात की और कहा कि राज्य में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए केंद्र सरकार सभी तरह की सहायता उपलब्ध कराएगी। नगाओं द्वारा आर्थिक बंद के मद्देनजर कानून एवं व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा के लिए गृह मंत्रालय के अधिकारियों के साथ रिजिजू ने राज्य का दौरा किया। ये लोग नगा इलाकों से काट कर नए जिले बनाने का विरोध कर रहे हैं।

बैठक के बाद रिजिजू ने संवाददाताओं से कहा, “मैं इंफाल यह देखने आया हूं कि वर्तमान परिस्थिति में राज्य सरकार को किस तरह की सहायता दी जा सकती है। संघीय संरचना के तहत कानून एवं व्यवस्था राज्य का विषय है। फिर भी, वृहत जनहित में केंद्र सभी तरह की सहायता उपलब्ध कराने को तैयार है।”

उन्होंने कहा, “आर्थिक बंदी के लिए नगाओं ने दो राष्ट्रीय राजमार्गो- एनएच 2 और एनएच 37 को निशाना बनाए जो मणिपुर की जीवन रेखाएं हैं। ये दोनों मार्ग खुले रहना चाहिए ताकि किसी को परेशानी नहीं हो।”

अर्ध सैनिक बलों की 150 कंपनियां मणिपुर में भेजे जाने की बात कहते हुए मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार के निवेदन पर सात अतिरिक्त कंपनियां यहां पहुंचने वाली हैं।

राज्य में आर्थिक बंद 52वें दिन में प्रवेश कर गया है। यह बंद तब शुरू हुआ था जब मणिपुर सरकार जिरिबम और सदर पहाड़ी को पूर्ण जिला बनाने की योजना बना रही थी।

बंद और विरोध प्रदर्शन तब तेज हो गए जब सरकार ने आन्दोलन को नजरअंदाज किया और जिरिबम को पूर्ण जिला बनाने की घोषणा कर दी। राज्य सरकार ने कंगपोकपी, तेंगोउपल, फारजोल, काकचिंग, नोनी और कमजोंगिन को भी नए जिले के रूप में निर्माण कर दिया।

हालांकि नगाओं के कड़े विरोध के कारण सदर पहाड़ी को जिला बनाने में सरकार विफल रही। रिजिजू ने कहा कि आर्थिक बंद स्वीकार्य नहीं है और आवश्यक वस्तुएं बेरोटोक उपलब्ध होनी चाहिए।

 

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ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 रुपये के बदले देना पड़ेगा 35,453 रुपये, जानें क्या है पूरा मामला

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हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला

क्या है पूरा मामला ?

सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।

कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।

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