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अन्तर्राष्ट्रीय

आस्ट्रेलियाई कोयला लॉबी यूरेनियम सौदे की राह में बाधा

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सिडनी | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आस्ट्रेलिया यात्रा के दौरान यूरेनियम आयात समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद भी यह सौदा एक लंबे समय से परवान नहीं चढ़ पा रहा है। सवाल यह है कि क्या आस्ट्रेलिया का कोयला लॉबी इसके विरुद्ध काम कर रही है? आस्ट्रेलिया के व्यापार और निवेश मंत्री एंड्र रॉब ने गत सप्ताहांत भले ही कहा कि भारत को यूरेनियम आपूर्ति का रास्ता जल्द ही खुल सकता है, फिर भी कई विशेषज्ञ संदेह जता रहे हैं। कुछ विशेषज्ञ आस्ट्रेलिया के ताकतवर कोयला लॉबी पर इसे टालने के लिए काम करने का आरोप लगा रहे हैं। इस संदेह के पीछे दम भी है। आस्ट्रेलिया में दो लाख से अधिक लोग कोयला कारोबार से जुड़े हुए हैं। आस्ट्रेलिया का कोयला उद्योग 60 अरब आस्ट्रेलियाई डॉलर का है, जबकि देश की कुल आबादी ही 2.3 करोड़ है।

कोयले की अंतर्राष्ट्रीय कीमत हालांकि घटती जा रही है। साथ ही दुनियाभर में नवीकरणीय ऊर्जा विकल्पों को बढ़-चढ़ कर अपनाया जा रहा है। यह सब कोयला उद्योग के लिए सुनहरा भविष्य प्रस्तुत नहीं कर रहा है। आस्ट्रेलिया में 1,300 कंपनियां कोयला उत्पादन कर रही हैं। बीएचपी बिलिटन, रियो टिंटो, एक्सट्राटा, शेल शेवरॉन और वूडसाइड पेट्रोलियम इनमें प्रमुख हैं। खनन उद्योग आस्ट्रेलिया की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और यहां से बड़े पैमाने पर कोयला और लौह अयस्क का निर्यात होता है। देश में कुल नौकरीपेशा लोगों में से दो फीसदी या 2,20,000 अकेले कोयला उद्योग में ही लगे हुए हैं।

भारत में बिजली की भारी कमी है और इस नाते यह आस्ट्रेलिया के कोयला उद्योग के लिए उम्मीद की किरण है। इस नाते ऐसा समझा जा सकता है कि आस्ट्रेलिया का कोयला उद्योग यूरेनियम आपूर्ति को भारतीय बिजली उद्योग को ईंधन आपूर्ति में एक प्रतियोगी मानता है। इस लिए कोई आश्चर्य की बात नहीं यदि कोयला उद्योग भारत को यूरेनियम आपूर्ति में अड़ंगा लगा रहा हो। आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री जॉन होवार्ड ने आठ साल पहले अगस्त 2007 में भारत को यूरेनियम आपूर्ति पर लगी पाबंदी हटाने की मंजूरी दी थी। उनके उत्तराधिकारी केविन रुड ने यह कह कर पाबंदी फिर से लगा दी कि भारत परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) का हस्ताक्षरकर्ता नहीं है।

रुड क्विं सलैंड के थे, जहां दुनिया की कुछ सबसे बड़ी कोयला कंपनियां मौजूद हैं। रुड के बाद प्रधानमंत्री बनने वाली जूलिया गिलार्ड ने पाबंदी हटा ली। भारत के 21 परमाणु रिएक्टरों की आपूर्ति के लिए यूरेनियम की पहली खेप भेजा जाना अब भी एक सपना बना हुआ है। भारत परमाणु संयंत्रों से पैदा होने वाली बिजली का स्तर वर्तमान 6,000 मेगावाट से बढ़ाकर 2032 तक 45 हजार मेगावाट करना चाहता है। उल्लेखनीय है कि आस्ट्रेलिया के कोयला उद्योग में जीवीके और अडानी माइनिंग जैसी भारतीय कंपनियां भी शामिल हो गई हैं। अडानी माइनिंग के मालिक गौतम अडानी को प्रधानमंत्री मोदी का करीबी माना जाता है। अब यह समीकरण आगे यूरेनियम आपूर्ति के मामले में किस तरह काम करता है यह तो समय ही बताएगा।

 

अन्तर्राष्ट्रीय

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इतालवी समकक्ष जियोर्जिया मेलोनी से की मुलाकात

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ब्राजील। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार (स्थानीय समय) को ब्राजील के रियो डी जनेरियो में जी20 शिखर सम्मेलन के मौके पर अपने इतालवी समकक्ष जियोर्जिया मेलोनी के साथ द्विपक्षीय बैठक की। बैठक के दौरान, दोनों नेताओं ने सांस्कृतिक और पब्लिक टू पब्लिक रिलेशन को मजबूत करने सहित व्यापार, निवेश और प्रौद्योगिकी में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की।

पीएम मोदी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि, रियो डी जनेरियो जी20 शिखर सम्मेलन के मौके पर प्रधान मंत्री जियोर्जिया मेलोनी से मुलाकात करके खुशी हुई। हमारी बातचीत रक्षा, सुरक्षा, व्यापार और प्रौद्योगिकी में संबंधों को गहरा करने पर केंद्रित थी। हमने इस बारे में भी बात की कि संस्कृति, शिक्षा और ऐसे अन्य क्षेत्रों में सहयोग कैसे बढ़ाया जाए। भारत-इटली मित्रता एक बेहतर ग्रह के निर्माण में बहुत योगदान दे सकती है।

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