Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

मुख्य समाचार

आस्था में दखल न दें अदालतें : शिवसेना

Published

on

Shiv-Sena

Loading

मुंबई| शिवसेना ने सोमवार को अदालतों से कहा कि ये सार्वजनिक हितों को ध्यान में रखते हुए आस्था और धर्म के मामलों में दखल न दें। पार्टी की ओर से यह बयान बम्बई उच्च न्यायालय के हाल के उस आदेश के बाद आया है, जिसमें संकरे या अत्यधिक यातायात वाले इलाकों में मंडप अथवा शामियाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

शिवसेना ने पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में लिखा है, “न्यायालय के इस आदेश से गणेशोत्सव, दही-हांडी, गुडी पर्व, शिव जयंती तथा अन्य राष्ट्रीय अथवा धार्मिक उत्सवों पर असर पड़ेगा।”

पार्टी ने इस पर भी आपत्ति जताई कि हाल के वर्षो में पर्यावरण अथवा प्रदूषण के नाम पर कई हिन्दू और राष्ट्रीय त्योहारों के मनाने के तौर-तरीके पर रोक लगाई गई।

पार्टी ने संपादकीय में लिखा है, “कोई भी ‘अंदू-पंदू’ गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) ऐसे मामलों को लेकर अदालत में उपस्थित हो जाते हैं और इस तरह मामले को पेश करते हैं, जैसे वे बहुमत का प्रतिनिधित्व कर रहे हों और इस पर अदालतें आदेश भी दे देती हैं.. यहां तक कि पुलिस भी ऐसे मामलों में कई बार आक्रमक तरीके से पेश आती है। कुछ गिने-चुने लोगों या एनजीओ के विचारों को बहुमत का प्रतिनिधित्व नहीं माना जा सकता।”

मुंबई में अत्यधिक भीड़भाड़ का जिक्र करते हुए शिवसेना ने लिखा है कि यहां त्योहार नहीं होने पर भी वर्ष भर सड़कों पर जाम रहता है और सड़कें कई जगह संकरी हैं।

पार्टी ने देश के अन्य हिस्से से मुंबई आने वालों की भीड़ पर एक बार फिर नाखुशी जाहिर करते हुए लिखा है, “क्या अदालतें मुंबई आने वाली भीड़ पर नियंत्रण के लिए ‘परमिट सिस्टम’ का आदेश देंगी? देश के अन्य हिस्सों से लोग यहां आते हैं। इस संबंध में ‘जाओ या आओ- यह तुम्हारा अपना घर है’ जैसी बात स्वीकार्य है।”

पार्टी के मुताबिक, कुछ गिनेचुने लोग समाज या राष्ट्र के विचार का प्रतिनिधित्व नहीं करते। राष्ट्रीय अथवा धार्मिक त्योहारों को मनाने पर किसी भी तरह के प्रतिबंध से बहुसंख्यक लोगों का उत्साह कमजोर पड़ता है।

शिवसेना ने माना कि अदालतों का काम सभी को न्याय प्रदान करना है, लेकिन पार्टी का यह भी कहना है कि उन्हें धार्मिक या आस्था के मामलों से दूर रहना चाहिए, खासकर जब इसकी आवश्यकता नहीं हो।

प्रादेशिक

IPS अधिकारी संजय वर्मा बने महाराष्ट्र के नए डीजीपी, रश्मि शुक्ला के ट्रांसफर के बाद मिली जिम्मेदारी

Published

on

By

Loading

महाराष्ट्र। महाराष्ट्र के नए डीजीपी का कार्यभार IPS संजय वर्मा को सौंपा गया है। आईपीएस संजय वर्मा को केंद्रीय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के नए पुलिस महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया है। कुछ ही दिनों में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव है। उससे पहले चुनाव आयोग ने राज्य कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले की शिकायत मिलने के बाद डीजीपी रश्मि शुक्ला के तबादले का आदेश दिया था।

कौन हैं IPS संजय वर्मा?

IPS संजय वर्मा 1990 बैच के पुलिस अधिकारी हैं। वह महाराष्ट्र में वर्तमान में कानून और तकनीकी के डीजी के रूप में कार्यरत रहे। वह अप्रैल 2028 में सेवानिवृत्त पुलिस सेवा से रिटायर होंगे। दरअसल, डीजीपी रश्मि शुक्ला को लेकर सियासी दलों के बीच पिछले कुछ समय से माहौल गर्म था। कांग्रेस के बाद उद्धव गुट की शिवसेना ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर उन्हें हटाने की मांग की थी।

कांग्रेस ने रश्मि शुक्ला की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग से उन्हें महानिदेशक पद से हटाने की मांग की थी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने उन पर आरोप लगाया था कि वह बीजेपी के आदेश पर सरकार के लिए काम कर रही हैं।

Continue Reading

Trending