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प्रादेशिक

इंडिया आई आईएचआरओ ने दिया पर्यावरण जागरुकता का संदेश

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लखनऊ। स्वयंसेवी संस्था इंडिया आई इंटरनेशनल ह्यूमन राइट्स ऑब्जर्वर (आईएचआरओ) ने विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर सोमवार को जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम में कहा गया कि धरती के बढ़ते तापमान के पीछे केवल विकासशील देश जिम्मेदार नहीं है बल्कि विकसित देशों का भी इसमें योगदान है।

कार्यक्रम में इंडिया आई आईएचआरओ के मैनेंजिग डायरेक्टर राकेश शर्मा ने कहा कि पर्यावरण और धरती के बढ़ते तापमान को लेकर चिंतित भारत जहां बार बार पेरिस जलवायु सम्मेलन के तहत हुए समझौते को लागू करने की मांग करता रहा है वहीं इसमें शामिल अमेरिका ने इससे अगल होकर सभी देशों को एक जोरदार झटका दिया है। यह कदम अमेरिका की दादागिरी है। उन्होंने कहा कि धरती के बढ़ते तापमान के पीछे केवल विकासशील देश जिम्मेदार नही है बल्कि विकसित देश भी है।

कार्यक्रम में इंडिया आई आईएचआरओ के चैयरमैन राकेश गर्ग, संस्थान के एमडी राकेश शर्मा, रिटायर्ड आईएएस डॉ. भूरे लाल मौजूद रहे। विशिष्ट अतिथि के रूप में एसएम खान, डीजी, आरएनआई (मिनिस्ट्री ऑफ इनफॉर्मेशन एंड ब्रॉडकास्टिंग) के आचार्य गुरु करमा तपाई रिम्पोचे और कई अन्य पर्यावरणविद् मौजूद रहे।

समारोह में की-नोट भाषण, प्रो. एमके पंडित, एचओडी, डिपार्टमेंट ऑफ इनवॉयरमेंटल स्टडीज, यूर्निवर्सिटी ऑफ दिल्ली द्वारा दिया गया। उन्होंने कहा कि पेरिस समझौते में भारत विकासशील और विकसित देशों के बीच अंतर स्थापित करने में कामयाब रहा है। दरअसल भारत विश्व में ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन करने वाला तीसरा सबसे बड़ा देश है। वहीं इस कड़ी में चीन पहले नंबर पर है। भारत विश्व के 4.1 प्रतिशत उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार है और ये आंकड़े बेहद चिंताजनक हैं। इस कार्यक्रम में पर्यावरण न्यूज टेबलॉयड हमारा पर्यावरण का भी विमोचन मुख्य अतिथि द्वारा किया गया।

विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर इंडिया आई आईएचआरओ ने सत्य साईं ऑडिटोरियम इंटरनेशनल सेंटर में राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। चर्चा के दौरान विशेषज्ञों का कहना था कि पेरिस समझौते पर अमेरिका का कदम सही नहीं है। ऊर्जा के लिए कोयले के उपयोग को लेकर भारत पर सवाल खड़े करने वाले विकसित देश भी इसका लगातार उपयोग कर रहे है। लिहाजा भारत पर सवाल उठाना जायज नहीं है। ऐसा भी नहीं है कि विकसित देश ऊर्जा के लिए कोयले के इस्तेेमाल से पीछे हट रहे हों।

कार्यक्रम में आने वाली सभी अतिथियों को पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य पर इंडिया आई आईएचआरओ की ओर से एक पौधा उपहार स्वरूप दिया गया ताकि वो पर्यावऱण के प्रति सजता से अपनी जिम्मेदारियों को निभाएं। अंत में इंडिया आई आईएचआरओ संस्था की सीईओ ज्योति किरण मलिक ने धन्यवाद प्रेषित करते हुए कार्यक्रम का समापन किया।

IANS News

वसुधैव कुटुंबकम’ भारत का शाश्वत संदेश : योगी आदित्यनाथ

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लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के आदर्श वाक्य के महत्व पर जोर देते हुए इसे भारत की वैश्विक मानवता के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया है। उन्होंने इसे भारत का शाश्वत संदेश बताते हुए कहा कि हमने हमेशा से शांति, सौहार्द और सह-अस्तित्व को प्राथमिकता दी है। सीएम योगी ने यह बात शुक्रवार को एलडीए कॉलोनी, कानपुर रोड स्थित सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (सीएमएस) के वर्ल्ड यूनिटी कन्वेंशन सेंटर में विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 25वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के दौरान अपने संबोधन में कही। कार्यक्रम में 56 देशों के 178 मुख्य न्यायाधीश और डेलिगेट्स ने भाग लिया।

‘अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक’
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक बताया। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद सम्मानजनक अंतरराष्ट्रीय संबंधों को विकसित करने और संघर्षों को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने के लिए नैतिक मार्ग का अनुसरण करने के लिए हम सभी को प्रेरित करता है। उन्होंने समारोह को प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि 26 नवंबर 2024 को संविधान अंगीकरण के 75 वर्ष पूरे होंगे। यह संविधान के अंगीकृत होने के अमृत महोत्सव वर्ष की शुरुआत के दौरान आयोजित हो रहा है।

‘युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है’
योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संयुक्त राष्ट्र के ‘समिट ऑफ दि फ्यूचर’ में दिये गये संबोधन की चर्चा करते हुए कहा कि युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है। युद्ध ने दुनिया के ढाई अरब बच्चों के भविष्य को खतरे में डाला है। उन्होंने दुनिया के नेताओं से आग्रह किया कि वे एकजुट होकर आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ, सुरक्षित और भयमुक्त समाज का निर्माण करें। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सम्मेलन को वैश्विक संवाद और सहयोग का मंच बताते हुए विश्वास व्यक्त किया कि अनुच्छेद 51 की भावना के अनुरूप यह आयोजन विश्व कल्याण के मार्ग को प्रशस्त करेगा। उन्होंने दुनिया भर के न्यायाधीशों से इस दिशा में सक्रिय योगदान देने का भी आह्वान किया।

‘भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध’
मुख्यमंत्री ने संविधान के अनुच्छेद 51 की चर्चा करते हुए कहा कि यह वैश्विक शांति और सौहार्द की दिशा में भारत की सोच को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान और सभी देशों के बीच सम्मानजनक संबंधों को बढ़ावा देने का संदेश देता है। मुख्यमंत्री ने भारत की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की सक्रिय भागीदारी से यह स्पष्ट होता है कि भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध है।

सीएमएस के संस्थापक को दी श्रद्धांजलि
सीएमएस के संस्थापक डॉ. जगदीश गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी दूरदृष्टि और प्रयासों से यह सम्मेलन एक महत्वपूर्ण मंच बना है। उन्होंने डॉ. भारती गांधी और गीता गांधी को इस कार्यक्रम को अनवरत जारी रखने के लिए धन्यवाद दिया।

इस अवसर पर हंगरी की पूर्व राष्ट्रपति, हैती रिपब्लिक के पूर्व प्रधानमंत्री सहित दुनिया के 56 देशों से आए हुए न्यायमूर्तिगण, सीएमएस की संस्थापक निदेशक डॉ भारती गांधी, प्रबंधक गीता गांधी किंगडन समेत स्कूली बच्चे और अभिभावकगण मौजूद रहे।

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