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बिजनेस

इंफोसिस में नीलकेणी की वापसी, नॉन एक्जीक्यूटिव चैयरमैन नियुक्त किए गए

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बेंगलुरू। देश की अग्रणी सॉफ्टवेयर कंपनी इंफोसिस के निदेशक मंडल ने गुरुवार को सर्वसम्मति से बोर्ड के नॉन एक्जीक्यूटिव चैयरमैन के रूप में अपने सह-संस्थापक और पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी नंदन नीलेकणी की नियुक्ति को मंजूरी दे दी, जो तुरंत प्रभाव से लागू हो गया।

गुरुवार को निदेशक बोर्ड की आनन-फानन बैठक हुई और इसकी किसी को खबर नहीं लगने दी गई। बोर्ड के फैसले के बाद कंपनी की ओर से नीलेकणि की नियुक्ति का ऐलान देर शाम किया गया।

कंपनी के दर्जन भर से अधिक प्रमुख घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने बुधवार को कंपनी से आग्रह किया कि वे सहसंस्थापक नंदन नीलकेणी को वापस बोर्ड में आने का न्यौता दें।

डीआईआई द्वारा भेजे पत्र में कहा गया है कि आपस में काफी विचार विमर्श के बाद हमारा दृढ़ता से यह मानना है कि इंफोसिस के बोर्ड को नंदन नीलकेणी को वापस उनकी उपयुक्त क्षमता के अनुरूप बुलाना चाहिए।

आईटी दिग्गज के संस्थागत निवेशकों ने बोर्ड से कहा कि हाल की घटनाएं उनके लिए चिंताजनक है। निवेशकों ने संयुक्त पत्र में कहा, “हमारी राय में, उन्हें (नंदन नीलकेणी) विभिन्न हितधारकों, जिसमें ग्राहक, शेयरधारक और कर्मचारी शामिल हैं, का भरोसा है।”

इस 10 अरब डॉलर की सॉफ्टवेयर कंपनी के सात सहसंस्थापकों में 62 वर्षीय नीलकेणी भी शामिल हैं। उन्होंने साल 2009 में सरकार की विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईएआई) के पहले अध्यक्ष के रूप में शामिल होने के लिए इंफोसिस उपाध्यक्ष का पद छोड़ दिया था।

नंदन नीलेकणी इससे पहले 2002 से 2007 तक कंपनी के सीईओ रह चुके हैं। उनके कार्यकाल में कंपनी का शेयर 5 गुना तक बढ़ा था। वहीं नीलेकणी को दोबारा इंफोसिस की कमान दिए जाने की खबरों से कंपनी के स्टॉक में 3 फीसदी की तेजी दर्ज की गई है।

बिजनेस

जेट एयरवेज की संपत्तियों की होगी बिक्री

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश को रद्द करते हुए दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के अनुसार निष्क्रिय जेट एयरवेज के परिसमापन का आदेश दिया। एनसीएलएटी ने पहले कॉरपोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के हिस्से के रूप में जालान कालरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को एयरलाइन के स्वामित्व के हस्तांतरण को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए कहा कि जेकेसी संकल्प का पालन करने में विफल रहा क्योंकि वह 150 करोड़ रुपये देने में विफल रहा, जो श्रमिकों के बकाया और अन्य आवश्यक लागतों के बीच हवाई अड्डे के बकाया को चुकाने के लिए 350 करोड़ रुपये की पहली राशि थी। नवीनतम निर्णय एयरलाइन के खुद को पुनर्जीवित करने के संघर्ष के अंत का प्रतीक है।

NCLT को लगाई फटकार

पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ एसबीआई तथा अन्य ऋणदाताओं की याचिका को स्वीकार कर लिया। याचिका में जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखने के फैसले का विरोध किया गया है। न्यायालय ने कहा कि विमानन कंपनी का परिसमापन लेनदारों, श्रमिकों और अन्य हितधारकों के हित में है। परिसमापन की प्रक्रिया में कंपनी की संपत्तियों को बेचकर प्राप्त धन से ऋणों का भुगतान किया जाता है। पीठ ने एनसीएलएटी को, उसके फैसले के लिए फटकार भी लगाई।

शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया, जो उसे अपने समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आदेश तथा डिक्री जारी करने का अधिकार देता है। एनसीएलएटी ने बंद हो चुकी विमानन कंपनी की समाधान योजना को 12 मार्च को बरकरार रखा था और इसके स्वामित्व को जेकेसी को हस्तांतरित करने की मंजूरी दी थी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था।

 

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