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इन रातों में स्त्री–पुरूष का मिलन बनेगा दुखदायी, जानें क्‍यों

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हिन्दू धर्म के 16 संस्कारों में एक संस्कार है गर्भाधान संस्कार। बोलचाल में इसे गर्भधारण संस्कार भी कहा जाता है। दरअसल हिन्दू धर्म में स्त्री–पुरूष संबंध को केवल भोग नहीं माना गया है।

इसे सृष्टि के संचालन और वृद्धि के लिए यज्ञ की भांति माना गया है। स्त्री–पुरूष के यौन संबंधों को दिव्‍य आत्‍मा के आगमन के लिए भी बेहद आवश्‍यक माना गया है।

किसी भी यज्ञ की सफलता इस बात से होती है कि उससे अच्छे नतीजे मिले। अच्छा परिणाम यानी सुयोग्य, स्वस्थ, गुण्‍वान और भाग्यशाली संतान। इसके लिए गर्भाधान संस्कार में जो नियम बताए गए हैं, उनमें कुछ रातों को स्त्री–पुरूष के मिलन यानी सहवास के लिए अशुभ माना गया है।

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पारस्कर गृहसूत्र के अनुसार स्त्री के रजोकाल के चार दिन, अष्टमी तिथि, चतुर्दशी, अमावस्या, पूर्णिमा और संक्रांति तिथि के दिन सहवास से बचना चाहिए। इनके अतिरिक्त महारात्रियों जैसे शिवरात्रि, दीपावली,  होली, नवरात्रि के दिनों में भी इनसे बचना चाहिए। शास्त्रों में ऐसा धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी बताया है। तो आइए देखें, इनके पीछे क्या वैज्ञानिक कारण माने जाते हैं।

विज्ञान के अनुसार पूर्णिमा, अमावस्या तथा चतुर्दशी के दिन चन्द्रमा, सूर्य और पृथ्वी एक ही सीधी रेखा में होते हैं। इसलिए इनका सम्मिलित आकर्षण अन्य दिनों से ज्यादा होता है।

इसका प्रभाव मानव शरीर पर पड़ता है। इससे शरीर में जलतत्व रूप में मौजूद रक्त, रस और प्राण अपने स्वाभाविक गति में नहीं होते हैं।

इसी प्रकार अष्टमी तिथि को भी सूर्य और चन्द्र समकोण की स्थिति में होते हैं। इससे चन्द्रमा की आकर्षण शक्ति स्वाभाविक स्तर से कम हो जाती हैं। इन स्थितियों में सहवास से गर्भधारण होने पर पैदा हुई संतान दुर्बल और अल्पायु तक हो सकती है।

इसकी वजह यह है कि शरीर में पंचतत्वों में जलतत्व की मात्रा सबसे अधिक होने से चन्द्रमा का प्रभाव भी शरीर पर अधिक होता है जो मन, बुद्धि और गर्भ को भी प्रभावित करता है।

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मध्य प्रदेश के शहडोल में अनोखे बच्चों ने लिया जन्म, देखकर उड़े लोगों के होश

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शहडोल। मध्य प्रदेश के शहडोल से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां ऐसे बच्चों ने जन्म लिया है, जिनके 2 शरीर हैं लेकिन दिल एक ही है। बच्चों के जन्म के बाद से लोग हैरान भी हैं और इस बात की चिंता जता रहे हैं कि आने वाले समय में ये बच्चे कैसे सर्वाइव करेंगे।

क्या है पूरा मामला?

एमपी के शहडोल मेडिकल कालेज में 2 जिस्म लेकिन एक दिल वाले बच्चे पैदा हुए हैं। इन्हें जन्म देने वाली मां समेत परिवार के लोग परेशान हैं कि आने वाले समय में इन बच्चों का क्या भविष्य होगा। उन्हें समझ में ही नहीं आ रहा कि शरीर से एक दूसरे से जुड़े इन बच्चों का वह कैसे पालन-पोषण करेंगे।

परिजनों को बच्चों के स्वास्थ्य की भी चिंता है। बच्चों को ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया है। मेडिकल कालेज प्रबंधन द्वारा इन्हें रीवा या जबलपुर भेजने की तैयारी की जा रही है, जिससे इनका उचित उपचार हो सके। ऐसे बच्चों को सीमंस ट्विन्स भी कहा जाता है।

जानकारी के अनुसार, अनूपपुर जिले के कोतमा निवासी वर्षा जोगी और पति रवि जोगी को ये संतान हुई है। प्रेग्नेंसी के दर्द के बाद परिजनों द्वारा महिला को मेडिकल कालेज लाया गया था। शाम करीब 6 बजे प्रसूता का सीजर किया गया, जिसमें एक ऐसे जुडवा बच्चों ने जन्म लिया, जिनके जिस्म दो अलग अलग थे लेकिन दिल एक ही है, जो जुड़ा हुआ है।

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