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इलाज के अभाव में बहन की मौत के बाद टैक्सी चालक ने बनाया अस्पताल

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कोलकाता, 13 मई (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल के 24 परगना जिले में निर्माणाधीन भवन में चल रहे अस्पताल की चर्चा आज देशभर में हो रही है, जबकि इस अस्पताल में न तो अत्याधुनिक चिकित्सा का कोई उपकरण है और न ही वातानुकूलित परिवेश जैसी कोई सुविधा।

मगर, गरीबों के इलाज का एक बड़ा ठौर है जिसके साथ एक भाई के दर्द का दास्तान जुड़ा है जो गरीबी के कारण अपनी बहन का इलाज नहीं करवा पाया और वह बीमारी के कारण इस दुनिया से चल बसी।

टैक्सी ड्राइवर सैदुल लश्कर ने 2004 में अपनी बहन मारुफा के असामयिक निधन के बाद गरीबों के इलाज के लिए अस्पताल बनाने का फैसला लिया।

छाती में संक्रमण होने से महज 17 साल की उम्र में मारुफा की मौत हो गई। सैदुल के पास उस समय उतने पैसे नहीं थे कि वह दूर शहर जाकर बड़े अस्पताल में अपनी बहन का इलाज करवाते।

कोलकाता से करीब 55 किलोमीटर दूर बरुईपुर के पास पुनरी गांव में मारुफा स्मृति वेल्फेयर फाउंडेशन के नवनिर्मित मरीजों के वेटिग हॉल की दीवार के सहारे खड़े सैदुल ने कहा, मुझे ऐसा महसूस हुआ कि कुछ करना चाहिए ताकि मेरी बहन की तरह इलाज के साधन के अभाव में गरीबों को अपनी जान न गंवाना पड़े। मेरी यही ख्वाहिश है कि मेरी तरह किसी भाई को अपनी बहन को न खोना पड़े।

उन्होंने कहा, अपने मन में इस सपने को संजोए 12 साल तक वह कोलकाता की सड़कों की खाक छानता रहा। कभी एक क्षण के लिए मेरे मन में अपने लक्ष्य को लेकर कोई दूसरा विचार आया। मगर, यह कोई आसान कार्य नहीं था।

सैदुल टैक्सी चलाते समय अपनी गाड़ी में बैठे पैसेंजर को अपने कागजात व लोगों से मिले दान की पर्चियां दिखाता मगर अधिकांश लोग उनकी कोई मदद करने से इनकार कर देते थे।

हालांकि कुछ लोगों ने उनकी मदद भी की। इन्हीं लोगों में कोलकाता की युवती सृष्टि घोष भी हैं जो उनकी व्यथा कथा सुनकर द्रवित हो गई और उन्होंने अस्पताल के लिए अपने पूरे महीने का वेतन देने का निर्णय लिया।

सैदुल ने कहा, मुझे सृष्टि के रूप में अपनी खोई बहन मिल गई। मेरी कहानी सुनने के बाद सृष्टि और उनकी मां ने मेरा नंबर (फोन नंबर) लिया और मुझे बाद में फोन किया। मुझे इस बात का कोई भरोसा नहीं था वह मुझे फोन करेंगी। मगर, जब वह अपना पहला वेतन लेकर मेरे पास आई तो मैं भावविभोर हो गया।

अस्पताल के लिए मदद के लिए आगे आने वाले अपरिचितों के साथ-साथ सैदुल की पत्नी शमीमा ने भी उनका हौसला बढ़ाया।

उन्होंने कहा, मुझे पत्नी का साथ नहीं मिलता तो कुछ भी संभव नहीं होता। जब मैंने अस्पताल बनाने की ठानी तो मेरे नजदीकी लोगों ने मुझे पागल समझकर मुझसे दुरियां बना लीं मगर मेरी पत्नी हमेशा मेरे साथ खड़ी रहीं। उन्होंने जमीन के वास्ते पैसे जुटाने के लिए मुझे अपने सारे गहने दे दिए।

आखिरकार, फरवरी 2017 को अस्पताल शुरू होने पर सैदुल का सपना साकार हुआ। सैदुल ने अपनी नई बहन सृष्टि के हाथों अस्पताल का उद्घाटन करवाया। करीब 11 किलोमीटर के दायरे में सबसे नजदीकी अस्पताल होने से स्थानीय निवासियों से काफी अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है।

अस्पताल जाते समय ई-रिक्शा चालक सोजोल दास ने बताया, हर तरफ अब चर्चा होती है और इलाके में अस्पताल के बारे में लोग बातें करते हैं।

अब इस अस्पताल को 50 बिस्तरों से सुसज्जित और एक्स-रे व ईसीजी की सुविधा से लैस बनाने की दिशा में काम चल रहा है।

सैदुल ने कहा, वर्तमान में यह दोमंजिला भवन है लेकिन हमारी योजना इसे चार मंजिला बनाने की है। अस्पताल के उद्घाटन के दिन हमारे चिकित्सकों ने यहां 286 मरीजों का ईलाज किया। समय और संसाधन की कमी के चलते अनेक लोगों को वे नहीं देख पाए। मुझे पक्का भरोसा है कि जब अस्पताल पूरी तरह से चालू हो जाएगा तो इससे करीब 100 गांवों के लोगों को फायदा होगा।

सैदुल के बड़े सपने देखने और उसे साकार करने के जुनून से काफी लोग प्रभावित हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में सैदुल के प्रयासों की सराहना की।

40 वर्षीय टैक्सी ड्राइवर ने कहा कि मोदी द्वारा अस्पताल के बारे में चर्चा करने से निस्संदेह वह काफी उत्साहित हुए हैं।

उन्होंने कहा, उनके द्वारा चर्चा करने के बाद से कई लोगों ने मुझसे संपर्क किया है। कुछ स्थानीय ठेकेदारों ने निर्माण कार्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए रेत, ईंट और सीमेंट मुहैया करवाकर मेरी मदद की है। चेन्नई के एक डॉक्टर ने मेरे अस्पताल में अपनी सेवा देने और मरीजों का ईलाज करने की इच्छा जताई है।

उन्होंने बताया कि वर्तमान में आठ चिकित्सक अस्पताल से जुड़े हैं, जो यहां अभी मुफ्त में अपनी सेवा दे रहे हैं। हालांकि सैदुल ने कहा कि उनकी योजना है कि अस्पताल के रखरखाव के लिए जरूरी मात्र न्यूनतम शुल्क पर स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने की है।

हड्डीरोग विभाग के प्रभारी डॉ. धीरेश चौधरी ने सैदुल के प्रयासों की काफी सराहना की।

उन्होंने कहा, अस्पताल बनाना बड़ा कार्य है। अत्यंत कम आमदनी वाले सैदुल के लिए यह कार्य अकल्पनीय है। हम सभी उनके साथ हैं।

डॉक्टर का एनजीओ ‘बैंचोरी’ अस्पताल को चिकित्सा उपकरण मुहैया करवाता है।

सैदुल ने कहा, अब हमारे साथ कई लोग हैं। मुझे लगता है कि अपने सपने को पूरा करने के लिए मैं अब आगे की बात भी सोच सकता हूं। शायद, मैं सिर्फ एक अस्पताल बनाकर नहीं रुकूंगा और नए सपने की तलाश में जाऊंगा

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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