आध्यात्म
उप्र : धूमधाम से मनाई गई दुर्गा महानवमी
हापुड़, 29 सितंबर (आईएएनएस/आईपीएन)। नवरात्रे के नौवें दिन भगवती के सिद्धिदात्री के स्वरूप की पूजा-अर्चना की गई और काफी भक्तों ने कन्या लांगुर को प्रसाद खिलाकर अपने व्रत को खोला।
मंदिर व घरों में सुबह से ही मां भगवती की विशेष पूजा-अर्चना की। सुबह के वक्त कन्याओं व लांगुर को हलवा, पूरी का प्रसाद खिलाकर उनके चरण छूकर आशीर्वाद लिया।
पंडित श्याम मोहन शर्मा ने बताया कि मां सिद्धिदात्री देवी के पूजन से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं। इसदिन नवरात्रि का व्रत का परायण होता है और मां भगवती अपने धाम को वापिस जाती है।
वहीं मां मंसा देवी मंदिर में छप्पन भोग प्रसाद बांटा गया। इस मौके पर मंदिर को फूलों से सजाया गया। प्रसाद का वितरण शाम 5 बजे से प्रारंभ होकर देररात तक चला। मंदिर समिति प्रधान शिवकुमार मित्तल ने बताया कि आज रात्रि को मां भगवती का जागरण आयोजित किया जाएगा, जिसमें स्थानीय व बाहर के कलाकार मां भगवती का गुणगान करेंगे।
आध्यात्म
आज है गोवर्धन पूजा, जानें पूजन विधि व शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) की जाती है। यानी दिवाली अगले दिन ये पर्व मनाया जाता है। इस साल गोवर्धन पूजा 2 नवंबर को मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार, कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 1 नवंबर की शाम 6 बजकर 16 मिनट पर शुरू हो रही है और यह 2 नवंबर की रात 8 बजकर 21 मिनट पर खत्म होगी। इस तरह से गोवर्धन पूजा का सही दिन 2 नवंबर ही माना गया है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन महिलाएं अपने घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाती हैं और उसकी पूजा करती हैं।
गोवर्धन पूजा मुहूर्त
इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 3 बजकर 23 मिनट से शाम 5 बजकर 35 मिनट तक है। इस समय पूजा करना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने से भगवान का आशीर्वाद मिलता है।
गोवर्धन पूजा विधि
गोवर्धन पूजा के दिन सुबह काल जल्दी उठकर स्नानादि करें। फिर शुभ मुहूर्त में गाय के गोबर से गिरिराज गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाएं और साथ ही पशुधन यानी गाय, बछड़े आदि की आकृति भी बनाएं।
इसके बाद धूप-दीप आदि से विधिवत पूजा करें। भगवान कृष्ण को दुग्ध से स्नान कराने के बाद उनका पूजन करें। इसके बाद अन्नकूट का भोग लगाएं।
गोवर्धन पूजा का महत्व
मान्यताओं के अनुसार, भगवान कृष्ण के द्वारा ही सर्वप्रथम गोवर्धन पूजा आरंभ करवाई गई थी और गोवर्धन पर्वत तो अपनी उंगली पर उठाकर इंद्रदेव के क्रोध से ब्रज वासियों और पशु-पक्षियों की रक्षा की थी। गोवर्धन पूजा में गिरिराज के साथ कृष्ण जी के पूजन का भी विधान है। इस दिन अन्नकूट का विशेष महत्व माना जाता है।
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