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प्रादेशिक

उप्र विधानसभा में उठा गौ हत्या व बदहाल शिक्षा का मुद्दा

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लखनऊ| उत्तर प्रदेश में मौजूदा विधानसभा सत्र के तीसरे दिन मंगलवार को गौ हत्या के साथ ही बदहाल प्राथमिक स्कूलों का मुद्दा भी छाया रहा। इस दौरान विपक्षी दलों ने गौ हत्या और प्राथमिक स्कूलों की बदहाली के मुद्दों पर सरकार को घेरा। प्रश्नकाल के दौरान बिमला सिंह सोलंकी और धर्मपाल सिंह ने प्राथमिक स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था की बदहाली को लेकर सरकार को कटघरे में खड़ा किया। दोनों सदस्यों ने सरकार से पूछा कि सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर सरकार ने कोई नीति बनाई है या नहीं।

सरकार की ओर से बेसिक शिक्षा मंत्री रामगोबिंद चौधरी ने इस पूरे मुद्दे पर विस्तार से अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि राज्य के प्राथमिक स्कूलों के कायाकल्प को लेकर सरकार पूरी तरह से गंभीर है। प्राथमिक स्कूलों पर लोगों का विश्वास अब बढ़ रहा है। चौधरी ने कहा कि जल्द ही ऐसा समय आएगा कि लोग पब्लिक स्कूलों को छोड़कर प्राथमिक स्कूलों का रुख करेंगे। उन्होंने सदन को यह आश्वासन दिलाया कि सरकार जल्द ही विद्यालयों को आदर्श विद्यालय के तौर पर विकसित करेगी।

चौधरी ने कहा कि जहां माध्यमिक और प्राथमिक स्कूल एक ही भवन के भीतर संचालित हो रहे हैं, ऐसे विद्यालयों को एक आदर्श विद्यालय के तौर पर विकसित किया जाएगा। सरकार एक ऐसी योजना पर काम कर रही है। चौधरी ने सदन को बताया कि राज्य सरकार की नीति के अनुसार, प्राथमिक स्कूलों में प्रति 30 छात्रों पर एक शिक्षक और माध्यमिक स्कूलों में 35 छात्रों पर एक शिक्षक रखने की व्यवास्था है। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से 72,825 प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया अपने अंतिम चरण में है। यह प्रक्रिया एक महीने के अंदर पूरी हो जाएगी, फिर स्कूलों में शिक्षकों की कमी को तत्काल दूर किया जाएगा।

इस दौरान सरकार पर यह भी आरोप लगाया गया कि कई जिलों में ऐसे प्राथमिक स्कूल भी हैं जिनके ताले आज तक नहीं खुले।  विधानसभा में विपक्ष के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने सरकार से पूछा कि वर्तमान में उप्र के प्राथमिक स्कूलों में वर्तमान कुल कितने बच्चे पढ़ रहे हैं और शिक्षकों की संख्या कितनी है। इस सवाल पर राम गोबिंद चौधरी ने उन्हें आंकड़े उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया।

सदन की बैठक शुरू होते ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्यों और संसदीय कार्यमंत्री आजम खां के बीच गौ हत्या के मुद्दे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला। इस बीच सदन की कार्यवाही 50 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी। सदन की कार्यवाही सुबह 11 बजे जैसे ही शुरू हुई, विपक्षी सदस्यों ने सूबे में बदहाल पड़े प्राथमिक स्कूलों व गौ हत्या का मुद्दा उठाया। गौ हत्या के मुद्दे पर भाजपा की ओर से सदन में उप नेता सतीश महाना ने सरकार से पूछा कि क्या पशुओं की अवैध हत्याएं रोकने के लिए राज्य सरकार ने कोई नीति बनाई है?

इस पर सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) के संसदीय कार्यमंत्री आजम खां ने कहा कि चुनाव के दौरान जो लोग गुलाबी क्रांति की बात कर रहे थे, अब वे लोग कहां चले गए?
आजम ने कहा, “चुनाव के दौरान गुलाबी क्रांति की बात कही गई थी। हम तो कहते हैं कि केंद्र सरकार मांस के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दे तो पशुओं की अवैध हत्याएं अपने आप रुक जाएंगी।” आजम ने कहा कि भाजपा गौ हत्या के मुद्दे को उठाकर सिर्फ नौटंकी कर रही है। अगर भाजपा सच में गौहत्या को लेकर इतनी संजीदा है जो उसे मांस के निर्यात पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए।

आजम के इस जवाब का भाजपा सदस्यों ने जमकर विरोध किया। भाजपा नेता सुरेश खन्ना की अगुवाई में कई सदस्य अध्यक्ष के आसन के करीब आकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। उन्होंने गौहत्या को रोकने के लिए राज्य सरकार द्वारा सदन में एक प्रस्ताव पारित करने की मांग की। इस बीच आजम खां और भाजपा सदस्यों के बीच बढ़ती तकरार को रोकने के लिए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने हस्तक्षेप किया। उन्होंने कहा कि यदि सदन में इस मुद्दे पर कोई प्रस्ताव आएगा तो वह सिर्फ गौ हत्या पर ही केंद्रित नहीं होगा, उसमें अन्य मुद्दे भी शामिल होंगे। मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद भी भाजपा सदस्यों और आजम के बीच नोंक-झोंक का दौर जारी रहा। इसके बाद सदन की कार्यवाही करीब 50 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई।

उत्तर प्रदेश

योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच

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लखनऊ |  योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।

लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़

प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।

कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान

राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।

हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश

टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।

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