बिजनेस
एचडीएफसी ने शुरू किया ‘अपना ऋण स्वयं डिजाइन करें’ योजना का शुभारंभ
मुंबई। एचडीएफसी बैंक ने ‘अपना ऋण स्वयं डिजाइन करें’ की योजना का शुभारंभ किया है, जिसमें ग्राहक अब अपने डीमैट खाते का इस्तेमाल करते हुए ऑनलाइन ही शेयरों के विरुद्ध ऋण (लोन एगेंस्ट शेयर्स या एलएएस) के लिए आवेदन कर सकेंगे। वे बैंक के पास गिरवी रखे जाने वाले शेयरों का चुनाव करके खुद अपनी सीमा भी तय कर सकेंगे। यह ग्राहकों को दिन-रात कभी भी कहीं भी स्वयं अपना ऋण डिजाइन करने की सहूलियत देता है। साथ ही यह उधार ली जाने वाली राशि को बिल्कुल सटीक रखने में भी मददगार होता है, जिससे बैंक की शाखा जाने की जरूरत नहीं पड़े। यह एलएएस की स्वीकृति और ऋण जारी होने में लगने वाले समय को भी बिल्कुल घटा देता है। अभी बैंकिंग उद्योग में इस काम में सामान्यतः 4-8 दिन लगते हैं, लेकिन नयी योजना में यह समय केवल 24 घंटे का है।
‘अपना ऋण स्वयं डिजाइन करें’ की योजना ग्राहकों को उद्योग में स्वीकृत कई तरह की संपत्तियाँ रेहन रखने की सुविधा देती है। इसके अन्य लाभों को देखें, तो यह कभी भी और कहीं भी पहुँच उपलब्ध कराती है, ब्याज केवल उतनी राशि पर लगता है जितने का इस्तेमाल किया जाये, ऋण का स्वतः नवीकरण करने की सुविधा है, पुनर्भुगतान पर कोई जुर्माना नहीं लगता और एक समर्पित एलएएस हेल्पडेस्क बना हुआ है। ग्राहकों को शेयरों के विरुद्ध ऋण हासिल करने में एक आसान, निर्बाध और त्वरित अनुभव देने के मामले में यह इस उद्योग में अपनी तरह की पहली योजना है।
यह पूरी प्रक्रिया केवल कुछ मिनट लेती है, इसमें कोई फॉर्म भरने की जरूरत नहीं होती और इसे प्राथमिकता के आधार पर निपटा कर ऋण जारी किया जाता है। एचडीएफसी बैंक के वे सभी निवासी (रेजिडेंट) व्यक्तिगत ग्राहक, जिनके पास पहले से बैंक के साथ डीमैट खाता खुला है, अपने नेट बैंकिंग खाते में लॉगिन करके और डीमैट टैब पर जा कर निर्देशों को पूरा करते हुए एलएएस के लिए आवेदन कर सकते हैं।
ऋण की राशि और शेयरों की संख्या को चुनने के बाद ग्राहक को एलएएस खाता खोलने के लिए शाखा, शहर और राज्य का चुनाव करना होगा। कन्फर्म पर क्लिक करके इसकी प्राप्ति रसीद हासिल की जाती है, जिसे पीडीएफ रूप में डाउनलोड करने का विकल्प भी होता है। ग्राहक को आवेदन प्राप्ति की सूचना एसएमएस से भी भेजी जाती है। ग्राहक की सबसे नजदीकी शाखा से कोई अधिकारी ग्राहक को फोन करके पहले से भरे हुए दस्तावेजों पर उसके हस्ताक्षर कराता है। इसमें ऋण की न्यूनतम राशि एक लाख रुपये और अधिकतम राशि 20 लाख रुपये है।
एचडीएफसी बैंक लिमिटेड के सीनियर एक्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट एवं बिजनेस हेड – अनसिक्योर्ड लोन्स, होम ऐंड मॉर्गेज लोन्स, अरविंद कपिल ने कहा, “अपना ऋण स्वयं डिजाइन करें की योजना बैंक की गो डिजिटल, बैंक आपकी मुट्ठी में की परिकल्पना के अनुरूप ही है। इसमें सहूलियत और हर व्यक्ति की सुविधा के अनुरूप ढालने की खासियत है। शेयरों के विरुद्ध ऋण के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म का प्रयोग देश भर के छोटे शेयरों-कस्बों में छोटे व्यवसायों के लिए भी फायदेमंद है, क्योंकि इससे नकद तरलता बहुत कम समय में हासिल हो जाती है।”
अपना ऋण स्वयं डिजाइन करें की योजना एचडीएफसी बैंक की डिजिटल बैंक संबंधी पेशकशों में एक नयी कड़ी है। बैंक अब ऐसे उत्पादों और सेवाओं की एक पूरी श्रृंखला मुहैया करा रहा है, जिनमें अपने ग्राहकों के लिए 10 सेकेंड में व्यक्तिगत ऋण (पर्सनल लोन), वाहन ऋण के लिए बायोमीट्रिक स्वीकृति, चिल्लर और पेजैप जैसे भुगतान समाधान (पेमेंट सॉल्यूशन) जैसी सुविधाएँ शामिल हैं, जिनमें ग्राहकों को डिजिटल प्लेटफॉर्मों का लाभ पहुँचाते हुए सहूलियतें देने की कोशिश की गयी है।
नेशनल
ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 के बदले देने पड़ेंगे 35,453 रु, जानें क्या है पूरा मामला
हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला
क्या है पूरा मामला ?
सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।
कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।
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