Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

बिजनेस

एचडीएफसी बैंक ने शुरू की शैक्षणिक फिल्म ‘धंचायत’

Published

on

एचडीएफसी बैंक, शैक्षणिक फिल्म ‘धंचायत’, असंगठित स्रोतों, पैसे उधार लेने के खतरों, बैंक की सीएसआर गतिविधि स्वच्छ बैंकिंग

Loading

मुंबई। एचडीएफसी बैंक लिमिटेड ने असंगठित स्रोतों से पैसे उधार लेने के खतरों के बारे में आगाह करने के लिए आज एक शैक्षणिक फिल्म ‘धंचायत’ को प्रस्तुत किया। इस फिल्म को ग्रामीण भारत के लिए बैंक की सीएसआर गतिविधि स्वच्छ बैंकिंग के तहत प्रस्तुत किया गया है। स्वच्छ बैंकिंग का उद्देश्य एक साफ-सुथरे और सहज बैंकिंग के बारे में जागरूकता बढ़ाना है और इसके एक भाग के तहत एचडीएफसी बैंक ब्रांड की धंचायत वीडियो वैनें देश भर में पूर्व, पश्चिम, दक्षिण, उत्तर और केंद्रीय भारत के तमाम हिस्सों में हजारों गाँवों तक जायेंगी।

इस फिल्म के जरिये इन वैनों में ग्रामीण आबादी के सामने यह प्रदर्शित किया जायेगा कि लेनदेन में पारदर्शिता और साथ ही उधार लेने की प्रक्रिया में व्यक्ति के आत्म-सम्मान और उसकी गरिमा का क्या महत्व है। ये वैनें लोगों के इकट्ठा होने वाले स्थानों, जैसे हाट, बाजार, मेलों और ग्राम पंचायतों में रुकेंगी। एचडीएफसी बैंक इसके पहले चरण में पांच हजार गाँवों को शामिल करेगा और वित्तीय समावेश के बारे में सरकार की दृष्टि के अनुरूप स्थानीय आबादी को संगठित बैंकिंग से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करेगा।

इन वैनों में बायोमीट्रिक सुविधा के साथ माइक्रो-एटीएम भी होंगे, जो आधार का इस्तेमाल करते हुए तत्काल ई-केवाईसी और री-केवाईसी की प्रक्रिया पूरी कर सकेंगे। ऐसी पहली वैन को एचडीएफसी बैंक के एमडी आदित्य पुरी और डिप्टी एमडी परेश सुक्तांकर ने मुंबई में बैंक के मुख्यालय में हरी झंडी दिखायी।

इस शुभारंभ के अवसर पर एचडीएफसी बैंक के डिप्टी एमडी परेश सुक्तांकर ने कहा, “इस समय की आवश्यकता है वास्तविक वित्तीय समावेश, न कि केवल वित्तीय सुविधाएँ उपलब्ध करा देना। एचडीएफसी बैंक ने समावेशी विकास को बढ़ावा देने का एक व्यापक उद्देश्य बनाया है। हम मानते हैं कि इसे एक ऐसे माहौल में हासिल नहीं किया जा सकता, जिसमें गलत जानकारियों और संगठित वित्त से अपरिचित होने के कारण लोग वित्त के असंगठित स्रोतों की ओर धकेल दिये जाते हैं। हमारी स्वच्छ बैंकिंग की पहल के एक हिस्से धंचायत के तहत हम साफ-सुथरे और आसान बैंकिंग के बारे में जागरूकता बढ़ाने की उम्मीद करते हैं।”

नेशनल

ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 के बदले देने पड़ेंगे 35,453 रु, जानें क्या है पूरा मामला

Published

on

By

Loading

हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला

क्या है पूरा मामला ?

सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।

कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।

Continue Reading

Trending