नेशनल
एथलेटिक्स के पर्याय के रूप में याद किए जाएंगे बोल्ट
नई दिल्ली, 13 अगस्त (आईएएनएस)| उसेन सेंट लियो बोल्ट, सिर्फ एक खिलाड़ी का नाम नहीं। यह नाम खेलों की दुनिया में एथलेटिक्स और खासकर फर्राटा दौड़ के लिए पर्यायवाची बन गया है।
बोल्ट ने अपनी असाधारण उपलब्धियों के जरिए साबित किया कि मेहनत, लगन और समर्पण के दम पर सफलता के अंतिम छोर तक पहुंचा जा सकता है।
ओलम्पिक खेलों में आठ स्वर्ण और विश्व चैम्पियनशिप में 11 स्वर्ण सहित कुल 14 पदक। 100 मीटर, 200 मीटर और चार गुणा 100 मीटर रिले रेस में विश्व रिकार्ड। 2008 से 2016 तक 100 तथा 200 मीटर का ओलम्पिक चैम्पियन। यह परिचय है बोल्ट का। साथ ही यह परिचय है उस खिलाड़ी का, जिसने अपने दम पर एथलेटिक्स की लोकप्रियता को शिखर तक पहुंचा दिया और आठ साल के अंतराल में एकल उपलब्धियों के दम पर विश्व का सर्वकालिक महान एथलीट बन बैठा।
अब बोल्ट ट्रैक पर नजर नहीं आएंगे। रियो ओलम्पिक में 100 तथा 200 मीटर का स्वर्ण अपने नाम करने के बाद बोल्ट ने कह दिया था कि लंदन में होने वाली विश्व चैम्पियनशिप उनकी आखिरी प्रतिस्पर्धी प्रतियोगिता होगी। इससे पहले बोल्ट जमैका में राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में दौड़े और विजेता बने। 2013 के बाद बोल्ट को पहली बार लंदन में 100 मीटर में पहली हार मिली। अमेरिका के जस्टिन गाटलिन ने उन्हें हराया। बोल्ट तीसरे स्थान पर रहे। इसके बावजूद उन्होंने अपनी सफलता जा जश्न मनाया।
बोल्ट की शख्सियत इतनी बड़ी है कि रेस के बाद गाटलिन ने झुककर इस चैम्पियन को नमन किया। बोल्ट 200 मीटर में नहीं दौड़े। यह उनकी पसंदीदा स्पर्धा रही है लेकिन इसके बावजूद वह नहीं दौड़े क्योंकि उन्हें अच्छी तरह अहसास हो गया था कि उनका शरीर अब साथ नहीं दे रहा है। चार गुणा 100 मीटर रिले में अपने देश को स्वर्ण दिलाने के लिए वह अंतिम बार शनिवार को दौड़े लेकिन चोटिल हो गए। उनका गम उनकी आंसुओं के रूप में दुनिया ने देखा।
एक चैम्पियन खिलाड़ी की दुखद: विदाई से पूरा खेल जगत निराश था लेकिन साथ ही वह इस बात को लेकर खुश था कि बोल्ट ने डोपिंग जैसी बीमारी को अपने करीब नहीं फटकने दिया और पाक-साफ करते हुए करियर की शुरुआत से अंत तक दौड़े। बोल्ट ने दिखाया कि मेहनत के दम पर वह सबकुछ हासिल किया जा सकता है। यही कारण है कि बोल्ट ने बार-बार खुद को ‘महानतम’ करार दिया।
इसके लिए किसी ने यह नहीं कहा कि बोल्ट दम्भी हैं। कारण था कि बोल्ट, गाटलिन जैसे धावकों से बिल्कुल अलग हैं जो प्रतिबंधित दवाओं के सेवन के आरोप में प्रतिबंध झेलने के बाद वापसी करते हुए विश्व चैम्पियन बने लेकिन दुनिया भर में एक बड़े तबके ने गाटलिन को असल विश्व चैम्पियन मानने से इंकार कर दिया। उनकी नजर में बोल्ट ही असल विश्व चैम्पियन हैं और रहेंगे। सोशल मीडिया इसका गवाह है।
बोल्ट ने एथलेटिक्स के लिए बहुत बड़ा योगदान दिया है। उन्हें देखकर एक पूरी पीढ़ी प्रभावित हुई है और यही कारण है कि एथलेटिक्स में कई ऐसे सितारे हैं, जो बोल्ट के नक्शे-कदम पर चलने के लिए तैयार हैं। डोपिंग के कारण एथलेटिक्स, खासकर फर्राटा दौड़ ने अपनी साख गंवाई थी लेकिन बोल्ट ने उस साख को फिर से स्थापित किया और यही कारण है कि आज एथलेटिक्स की प्रयोगिताओं के दौरान स्टेडियम खचाखच भरे रहते हैं।
बोल्ट के बाद फर्राटा का भविष्य कैसा होगा, यह बता पाना अभी जल्दबाजी होगी लेकिन इस महान खिलाड़ी को देखकर जो पीढ़ी प्रभावित हुई है और ट्रैक पर पहुंची है, वह निश्चित तौर पर खुद उपलब्धियों की चाह में डोपिंग जैसी गंदी बीमारी की चपेट में नहीं आने देगी। बोल्ट न सिर्फ एक एथलीट बल्कि एथलेटिक्स की दुनिया में नैतिकता के प्रतीक के रूप में उनकी आंखों के सामने आते रहेंगे।
उत्तर प्रदेश
संभल में कैसे भड़की हिंसा, किस आधार पर हो रहा दावा, पढ़े पूरी रिपोर्ट
संभल। संभल में एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन मंदिर होने और भविष्य में कल्कि अवतार के यहां होने के दावे ने हाल ही में काफी सुर्खियां बटोरी हैं. इस दावे के पीछे कई धार्मिक और ऐतिहासिक तथ्य बताए जा रहे है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और उनके मंदिर को लेकर कई दावे पहले से ही किए जा रहे हैं. इसे लेकर धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों के आधार पर गहरी चर्चा हो भी रही है. हिंदू धर्म में कल्कि अवतार को भगवान विष्णु का दसवां और अंतिम अवतार माना गया है. ऐसा माना जाता है कि कलियुग के अंत में जब अधर्म और अन्याय अपने चरम पर होगा तब भगवान कल्कि अवतार लेकर पृथ्वी पर धर्म की स्थापना करेंगे.
कैसे भड़की हिंसा?
24 नवंबर को मस्जिद में हो रहे सर्वे का स्थानीय लोगों ने विरोध किया. पुलिस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मौके पर थी. सर्वे पूरा होने के बाद जब सर्वे टीम बाहर निकली तो तनाव बढ़ गया. भीड़ ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया, जिसके कारण स्थिति बिगड़ गई और हिंसा भड़क उठी.
दावा क्या है?
हिंदू पक्ष का दावा है कि संभल में स्थित एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन काल में एक मंदिर था. इस मंदिर को बाबर ने तोड़कर मस्जिद बनवाई थी. उनका यह भी दावा है कि भविष्य में कल्कि अवतार इसी स्थान पर होंगे.
किस आधार पर हो रहा है दावा?
दावेदारों का कहना है कि उनके पास प्राचीन नक्शे हैं जिनमें इस स्थान पर मंदिर होने का उल्लेख है. स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इस स्थान पर प्राचीन काल से ही पूजा-अर्चना होती थी. कुछ धार्मिक ग्रंथों में इस स्थान के बारे में उल्लेख मिलता है. हिंदू धर्म के अनुसार कल्कि अवतार भविष्य में आएंगे और धर्म की स्थापना करेंगे. दावेदारों का मानना है कि यह स्थान कल्कि अवतार के लिए चुना गया है.
किस आधार पर हो रहा है विरोध?
अभी तक इस दावे के समर्थन में कोई ठोस पुरातात्विक साक्ष्य नहीं मिला है. जो भी ऐतिहासिक रिकॉर्ड्स उपल्बध हैं वो इस बात की पुष्टि करते हैं कि इस स्थान पर एक मस्जिद थी. धार्मिक ग्रंथों की व्याख्या कई तरह से की जा सकती है और इनका उपयोग किसी भी दावे को सिद्ध करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए.
संभल का धार्मिक महत्व
शास्त्रों और पुराणों में यह उल्लेख है कि भगवान विष्णु का कल्कि अवतार उत्तर प्रदेश के संभल नामक स्थान पर होगा. इस आधार पर संभल को कल्कि अवतार का स्थान माना गया है. श्रीमद्भागवत पुराण और अन्य धर्मग्रंथों में कल्कि अवतार का वर्णन विस्तार से मिलता है जिसमें कहा गया है कि कल्कि अवतार संभल ग्राम में विष्णुयश नामक ब्राह्मण के घर जन्म लेंगे.
इसी मान्यता के कारण संभल को कल्कि अवतार से जोड़ा जाता है. संभल में बने कल्कि मंदिर को लेकर यह दावा किया जा रहा है कि यही वह स्थान है जहां भविष्य में भगवान कल्कि का प्रकट होना होगा. मंदिर के पुजारी और भक्तों का कहना है कि यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र है और यहां कल्कि भगवान की उपासना करने से व्यक्ति अधर्म से मुक्ति पा सकता है.
धार्मिक विश्लेषण
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कल्कि अवतार का समय तब होगा जब अधर्म, पाप और अन्याय चरम पर पहुंच जाएंगे. वर्तमान में दुनिया में मौजूद सामाजिक और नैतिक स्थितियों को देखकर कुछ लोग यह मानते हैं कि कल्कि अवतार का समय निकट है. संभल में कल्कि मंदिर को लेकर जो भी दावे किए जा रहे हैं वो सभी पूरी तरह से आस्था पर आधारित हैं. धार्मिक ग्रंथों में वर्णित समय और वर्तमान समय के बीच अभी काफी अंतर हो सकता है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और मंदिर का दावा धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों पर आधारित है. हालांकि, यह दावा प्रमाणिकता के बजाय विश्वास पर आधारित है. यह भक्तों की आस्था है जो इस स्थान को विशेष बनाती है.
-
मनोरंजन3 days ago
क्या श्वेता तिवारी ने कर ली है तीसरी शादी, जानें इस खबर की सच्चाई
-
नेशनल3 days ago
पीएम मोदी पर लिखी किताब के प्रचार के लिए स्मृति ईरानी चार देशों की यात्रा पर
-
ऑफ़बीट3 days ago
IND VS AUS: ताश के पत्तों की तरह बिखरा भारत का बैटिंग आर्डर, पूरी टीम 150 रनों पर ढेर
-
नेशनल2 days ago
आज शाम दिल्ली स्थित बीजेपी मुख्यालय जाएंगे पीएम मोदी, कार्यकर्ताओं को करेंगे संबोधित
-
ऑफ़बीट2 days ago
बिहार का ‘उसैन बोल्ट’, 100 किलोमीटर तक लगातार दौड़ने वाला यह लड़का कौन
-
खेल-कूद3 days ago
IND VS AUS: पर्थ में भारतीय गेंदबाजों का कहर, बैकफुट पर ऑस्ट्रेलिया, 67 रनों पर गंवाए 7 विकेट
-
Success Story3 days ago
पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में शिया मुसलमानों से भरी पैसेंजर वैन पर आतंकी हमला, 50 की मौत
-
छत्तीसगढ़3 days ago
सीएम विष्णुदेव साय ने देखी ‘द साबरमती रिपोर्ट’, पत्नी भी थीं साथ