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एसआईटी करेगी IAS की मौत के मामले की जांच, पीएमओ ने तलब की रिपोर्ट

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बुधवार को मीराबाई मार्ग स्थित वीआईपी गेस्ट हाउस में ठहरे कर्नाटक के आईएएस अधिकारी अनुराग तिवारी की संदिग्ध हालात में हुई मौत के मामले में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) दीपक कुमार ने गुरुवार को स्पेशल जांच टीम (एसआईटी) गठित कर दी है। इस बीच, शासन से जुड़े सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने भी आईएएस की मौत को लेकर पूरी रिपोर्ट तलब की है।

लखनऊ के एसएसपी दीपक कुमार ने कहा कि आईएएस अनुराग तिवारी की मौत के मामले में पांच सदस्यीय एसआईटी का गठन किया गया है। यह टीम 72 घंटे के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। जांच के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

एसएसपी ने बताया कि यह टीम सीओ हजरतगंज के नेतृत्व में गठित की गई है। उल्लेखनीय है कि आईएएस अनुराग तिवारी (36) का शव बुधवार सुबह संदिग्ध हालात बरामद किया गया था।

उल्लेखनीय है कि मूलरूप से बहराइच के निवासी अनुराग कर्नाटक के नगवार में डायरेक्टर (फूड एंड सप्लाई) के पद पर तैनात थे। वर्ष 2007 बैच के आईएएस अधिकारी अनुराग का बुधवार को ही जन्मदिन था और उन्हें फ्लाइट से वापस कर्नाटक जाना था।

अनुराग तिवारी रविवार को लखनऊ आए थे और यहां वीआईपी गेस्ट हाउस के कमरा नंबर 19 में ठहरे थे। कमरा एलडीए के वीसी प्रभु नारायण सिंह के नाम बुक था। मंगलवार रात दोनों अधिकारी कमरा नंबर 19 में ही ठहरे थे।

आईएएस अधिकारी अनुराग तिवारी की मौत का मामला गुरुवार को विधानसभा और विधान परिषद भी उठाया गया। विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को कानून व्यवस्था से जोड़ते हुए कहा कि राजधानी लखनऊ में दिनदहाड़े एक आईएएस अधिकारी की हत्या की गई है।

इधर, शासन से जुड़े सूत्रों ने बताया कि लखनऊ में सरेआम आईएएस अधिकारी का शव पाए जाने के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) भी हरकत में आ गया है। पीएमओ ने आईएएस अनुराग तिवारी से जुड़े पूरे मामले की रिपोर्ट उप्र सरकार से मांगी है।

पीएमओ की ओर से मांगी गई रिपोर्ट को लेकर पूछे गए सवाल पर उप्र के पुलिस महानिरीक्षक (लोक शिकायत) विजय सिंह मीणा ने हालांकि साफतौर पर इनकार किया। उन्होंने कहा कि इस तरह की कोई जानकारी उनके संज्ञान में नहीं है।

नेशनल

ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 के बदले देने पड़ेंगे 35,453 रु, जानें क्या है पूरा मामला

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हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला

क्या है पूरा मामला ?

सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।

कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।

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