Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

प्रादेशिक

ओडिशा : औद्योगीकरण, शहरीकरण बन रहे हाथियों के लिए अभिशाप

Published

on

Loading

भुवनेश्वर| हाथियों को राष्ट्रीय धरोहर पशु का दर्जा प्राप्त है, बावजूद इसके राज्य में उन्हें बचाने के लिए कुछ खास नहीं किया गया है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि राज्य में पिछले सात सालों में 427 हाथियों की मौत हो चुकी है। विशेषज्ञों के मुताबिक हाथियों की मौत का प्रमुख कारण औद्योगीकरण और शहरीकरण है।

हाथी लगातार मानव बस्तियों में जबरन घुस रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप दोनों में संघर्ष होता रहता है।

वन विभाग के एक अधिकारी नेबताया कि मानव और हाथियों के इस संघर्ष में सितंबर तक कम से कम 23 मनुष्यों और 26 हाथियों की मौत हो चुकी है।

ज्यादातर हाथी आप्राकृतिक रूप से मरते हैं क्योंकि उन्हें या तो अवैध शिकार कर मार दिया जाता है या फिर जहर खिलाकर और बिजली के करंट से उनकी जान ले ली जाती है।

2012 में हुई हाथियों की जनगणना के मुताबिक, इनकी संख्या 2010 में 1,886 थी जो दो साल में बढ़कर 1,930 पहुंच गई, वहीं 149 हाथियों की मौत हो गई, जिसमें से ज्यादातर शिकार या फिर बिजली के करंट से मारे गए थे।

वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि 2009-10 में 52 हाथियों की मौत हुई थी, 2010-11 में 83, 2011-12 में 68, 2012-13 में 82 और 2013-14 में 70 हाथियों की मौत हो चुकी है।

एक सूत्र ने आईएएनएस को बताया कि मानव और हाथियों के संघर्ष में 2009-10 से इस साल सितंबर तक 353 व्यक्तियों की मौत हो चुकी है।

वन्यजीव कार्यकर्ता लाला ए. के. सिंह ने आईएएनएस को बताया, “हाथी एक घुमक्कड़ जानवर है। यह एक जगह पर रुका नहीं रह सकता। ये भोजन की तलाश में एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते रहते हैं। औद्योगीकरण और शहरीकरण ने हाथियों को किसी भी इलाके में जाने पर मजबूर कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप उनका शिकार हो रहा है और वे बिजली के करंट लगने से मर रहे हैं।”

उन्होंने कहा कि राज्य के 30 जिलों में से अब 28 जिलों में हाथी मिलते हैं।

विशेषज्ञों ने सरकार और नागरिकों से गुहार लगाई है कि इन स्तनधारियों को बचाने की जिम्मेदारी लें।

राज्य में तीन हाथी अभयारण्य हैं- मयूरभंज, महानदी और संभलपुर। 14 हाथी गालियारों वाला यह इलाका 870 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है।

सरकार ने हाथियों की हिफाजत के लिए पूरे हाथी गलियारे में पारेषण लाइनें बिछाने हेतु 2013-14 में प्रतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (सीएएमपीए) के अंतर्गत 21 करोड़ रुपये आवंटित किए थे।

सरकार ने भी बिजली करंट वाले तारों से जानवरों की रक्षा के लिए हर जिले में जिला स्तरीय समन्वय समितियों का गठन किया है। लेकिन बिजली के तारों से बचाने के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किए गए हैं।

खनन गतिविधियों और औद्योगीकरण के कारण तेजी से खत्म हो रहे पर्यावास की वजह से भी हाथियों के बचने की संभावना कम होती जा रही है।

अधिकारी कहते हैं कि खनन कंपनियों ने वन भूमि पर अतिक्रमण कर लिया है और हाथी गलियारे के साथ छेड़छाड़ की है।

प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) एस. एस. श्रीवास्तव ने आईएएनएस को बताया, “राज्य में हाथियों की मौत का सबसे बड़ा कारण खनन है। हम औद्योगीकरण और विकास चाहते हैं, पर इससे किसी वन्यजीव की जान की हानि नहीं होनी चाहिए।”

अन्य राज्य

हेयर ड्रायर चालू करते ही ब्लास्ट, महिला का दोनों हाथ बुरी तरह घायल

Published

on

Loading

बागलकोट। कर्नाटक के बागलकोट जिले से एक हैरान करने वाली घटना सामने आई है, जहां एक हेयर ड्रायर के धमाके में एक महिला के हाथों की हथेलियां और उंगलियां बुरी तरह से घायल हो गईं। यह हादसा इल्कल शहर में हुआ, जहां मृतक सैनिक की पत्नी ने अपने पड़ोसी का कूरियर पार्सल लिया था। जब महिला ने हेयर ड्रायर को चालू किया, तो वह धमाके से फट गया और महिला की दोनों हाथों की गंभीर चोटें आईं। महिला को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों को मजबूरी में उसके हाथ काटने पड़े।

हेयर ड्रायर में धमका, महिला की उड़ी उंगलियां

बता दें कि इस घटना के बाद महिला को इलाज के लिए स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है। घटना 15 नवंबर की है, जिसकी जानकारी बुधवार को सामने आई। पुलिस सूत्रों ने कहा कि घायल महिला की पहचान 37 वर्षीय बसवराजेश्वरी यरनाल के रूप में हुई है, जो पूर्व सैन्यकर्मी पापन्ना यरनाल की पत्नी थी। जिनकी 2017 में जम्मू और कश्मीर में मौत हो गई थी। जांच अधिकारियों के मुताबिक, विस्फोट बिजली के शॉर्ट सर्किट के कारण हुआ था। हेयर ड्रायर जैसे उपकरणों का उपयोग करने के लिए 2 वॉट के विद्युत कनेक्शन की आवश्यकता होती है। जिस स्विच में हेयर ड्रायर को डाला गया, तो उसकी क्षमता इतनी अधिक नहीं थी, जिसके कारण यह दुर्घटना हुई। विस्फोट की आवाज सुनकर कुछ पड़ोसी दौड़े और उन्होंने बसवराजेश्वरी की हथेलियां और उंगलियां कटी हुई पाईं। उन्हें तुरंत पास के एक निजी अस्पताल में ले जाया गया। हालांकि शशिकला ने दावा किया कि उन्होंने ऑनलाइन कोई उत्पाद नहीं मंगवाया था

Continue Reading

Trending