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अन्तर्राष्ट्रीय

ओबामा ने 2 दक्षिण एशियाई वैज्ञानिकों को सम्मानित किया

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वाशिंगटन। भारतीय और श्रीलंकाई मूल के दो अमेरिकी वैज्ञानिकों और शिक्षकों सहित कुल 14 विद्वानों एवं एक संगठन को विज्ञान, गणित एवं इंजीनियरिग के क्षेत्र में परामर्शदाता के रूप में उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रतिष्ठित राष्ट्रपति पुरस्कार देने की घोषणा की गई। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने शुक्रवार को पुरस्कार विजेताओं के नामों की घोषणा की।

आंध्र विश्वविद्यालय से स्नातक मूर्ति एस. कंभमपति अमेरिका के न्यू ऑरलियंस स्थित साउदर्न विश्वविद्यालय में जीवविज्ञान के प्राध्यापक हैं तथा श्रीलंका मूल के तिलक रत्नानाथेर जॉन हॉपकिंस विश्वविद्यालय में बायोमेडिकल इंजीनियरिंग के प्राध्यापक हैं।
दोनों विद्वानों को इसी वर्ष अमेरिका के राष्ट्रपति भवन में एक समारोह में ये पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे। ओबामा ने कहा कि ये शिक्षक अमेरिका के लिए वैज्ञानिकों, इंजीनियरों एवं गणितज्ञों की अगली पीढ़ी को तैयार करने में मदद कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “उन्होंने अपने छात्रों के लिए ज्ञान का नया द्वार खोला है और उन्हें सीखने, खोज करने और मौलिक आविष्कार करने के लिए उनका जरूरी उत्साहवर्धन किया है। इससे न सिर्फ उन छात्रों का भविष्य उज्जिवल हो रहा है, बल्कि अमेरिका का भी।” व्हाइट हाउस द्वारा सम्मानित होने के अलावा विजेताओं को राष्ट्रीय विज्ञान फाउंडेशन की ओर से 10,000 डॉलर भी प्रदान किए जाएंगे।

भारत के कंभमपति ने जैक्सन स्टेट विश्वविद्यालय से पर्यावरण विज्ञान में पीएचडी की। इससे पहले उन्होंने भारत में आंध्र विश्वविद्यालय से भी पारिस्थितिकी में पीएचडी की है। मेंटर के तौर पर वह कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं, जिसमें 2008 में उन्हें माइनॉरिटी एक्सेस इंक से मिला नेशनल रोल मॉडल फैकल्टी का अवार्ड शामिल है। कंभमपति के अनुसंधान के विषय मुख्यत: फाइटोरेमेडिएशन (वृक्षों द्वारा पर्यावरणीय समस्याओं का निदान), पर्यावरणीय विष विज्ञान, समुद्र तटीय जल स्रोतों का पारिस्थितिकी अध्ययन एवं पर्यावरणीय जैव प्रौद्योगिकी हैं। वह सदर्न विश्वविद्यालय में स्नातक छात्रों को अनुसंधान की ओर उन्मुख करने वाले अग्रणी परामर्शदाता हैं तथा न्यू ऑरलियंस के बेटा काप्पा ची/राष्ट्रीय विज्ञान संस्थान की शाखा के प्रायोजक भी हैं।

अन्तर्राष्ट्रीय

लाहौर में प्रदूषण ने तोड़े सारे रिकार्ड, 1900 तक पहुंचा AQI, स्कूल बंद

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नई दिल्ली। पड़ोसी देश पाकिस्तान में प्रदूषण ने सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं। पाकिस्तान के लाहौर शहर का AQI 1900 पहुंच गया है जो शहर में अब तक का सबसे ज्यादा एक्यूआई है। प्रांतीय सरकार और स्विस समूह IQAir द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, शनिवार को पाकिस्तान-भारत सीमा के पास अब तक का सबसे अधिक प्रदूषण दर्ज किया गया। इसी के साथ लाहौर रविवार को दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों की रियल टाइम सूची में पहले नंबर पर पहुंच गया।

बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए लाहौर में आपातकाल जैसा माहौल है। वायु की खतरनाक गुणवत्ता को देखते हुए लाहौर प्रशासन ने वर्क फ्रॉम होम करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही विभिन्न शहरों में प्राथमिक विद्यालयों को बंद करने की घोषणा की गई है। वहीं पंजाब की वरिष्ठ मंत्री मरियम औरंगजेब ने कहा है कि, सरकार ने माता-पिता को यह सुनिश्चित करने की सलाह देते हुए प्राथमिक विद्यालयों को एक सप्ताह के लिए बंद कर दिया है कि बच्चे मास्क पहनें, क्योंकि शहर में धुंध की मोटी चादर छाई हुई है। उन्होंने कहा कि वाहन प्रदूषण को कम करने के लिए 50 प्रतिशत कार्यालय कर्मचारी घर से काम करेंगे।

मरियम औरंगजेब ने आगे कहा है कि पिछले एक सप्ताह से भारत से हवा की दिशा लाहौर की ओर हो गई है और इस वजह से धुंध बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि इस तरह की हवाएं अमृतसर और चंडीगढ़ से आ रही हैं और इस वजह से लाहौर में AQI लगातार बिगड़ता जा रहा है।
मरियम ने कहा है कि अगर हालत और खराब हुए तो शहर में उद्योगों को बंद कर दिया जाएगा। यहां तक कि पराली जलाने वाले किसानों को गिरफ्तार किया जाएगा। कुछ इसी तरह की कार्रवाई भारत की हरियाणा और पंजाब सरकार भी कर रही है, जहां पराली जलाने को लेकर बड़ी संख्या में किसानों पर मुकदमे दर्ज हुए हैं।

 

 

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