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प्रादेशिक

..और दद्दू ने बना ली अपनी अलग ‘बहुजन मुक्ति पार्टी’

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 दद्दू ने बना ली अपनी अलग 'बहुजन मुक्ति पार्टी'

लखनऊ । दद्दू प्रसाद उत्तर प्रदेश की राजनीति में जाना-पहचाना नाम है। 49 साल के दद्दू इलाके के एकमात्र दलित नेता हैं, जिन्होंने अपनी खुद की पार्टी शुरू की और अब बड़ी, राष्ट्रीय स्तर की पार्टियों को टक्कर देने के लिए चुनावी दंगल में उतर आए हैं। दद्दू ने वर्ष 2015 में बसपा अध्यक्ष मायावती पर टिकट बेचने का आरोप लगाया था। इस कारण उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। उन्होंने हार न मानते हुए ‘बहुजन मुक्ति पार्टी’ नाम से अपनी अलग पार्टी बना ली। वह इस पार्टी के महासचिव हैं।

छोटे कद-कठी के दद्दू प्रसाद एक राजनेता की तरह सफेद कुर्ता व पायजामे में नहीं, बल्कि कोट-पैंट पहनना ज्यादा पंसद करते हैं और उसमें ज्यादा सहज भी रहते हैं। दद्दू प्रसाद का राजनीति का सफर बहुत मुश्किलों से भरा रहा है, पर हार न मानने के स्वभाव के कारण वह आज भी उत्तर प्रदेश की राजनीति में टिके हुए हैं।

वह तीन बार बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से विधायक और 2007 से 2012 तक उत्तर प्रदेश सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री रहे हैं।

दलितों के मसीहा डॉ. भीमराव अंबेडकर और कांशीराम के उसूलों को मानने वाले दद्दू प्रसाद का बचपन बेहद गरीबी में गुजरा। उनके पिता अमीरों के घर में बंधुआ मजदूर थे। गरीब-अमीर के अंतर को बचपन से समझने वाले दद्दू प्रसाद ने कड़ी मेहनत कर ‘पोलीटेक्निक डिप्लोमा’ की पढ़ाई पूरी की, पर इंजीनियर बनने का सपना देखने वाले दद्दू प्रसाद कांशीराम से प्रभावित होकर राजनीति की गलियों में आ गए।

दद्दू प्रसाद खुद के राजनीति में आने का मुख्य कारण दलित और वंचित समाज के लिए कुछ करने की चाह बताते हैं। वह मानते हैं कि दलित और पिछड़ा जाति को छह हजार जातियों में तोड़ा गया है। उनके पास आज भी न तो ज्ञान है, न धन संपदा और न ही वे आज नौकरशाही में बड़े पदों पर हैं।

ऐसा नहीं हैं कि दद्दू प्रसाद की छवि राजनीति में बड़ी साफ रही हो, पर उन पर लगाए हर आरोप से वह कोरे निकले हैं। 2012 में एक महिला ने उन पर दुष्कर्म का आरोप लगाया, पर कुछ समय के बाद महिला ने अपना आरोप वापस ले लिया।

दद्दू प्रसाद ने देश की शोषण व्यवस्था को करीबी तौर से देखा है, इसलिए वह इस व्यवस्था को बदलना चाहते हैं। वह इस विषय में कहते हैं, “जो लोग शोषण व्यवस्था से सुखी हैं, वे कभी बदलाव नहीं आने देंगे। इसलिए कांशीराम जी ने ये तर्क दिया कि वंचित वर्ग को ही बदलाव के लिए संघर्ष करना पड़ेगा और मैं इस बात को पूरी तरह से मानता हूं।”

वह कहते हैं कि बहुजन समाज पार्टी अपने उद्देश्यों से भटक गई है।

चित्रकूट के मऊ, मानिकपुर से विधायक रहे दद्दू प्रसाद बांदा में पले-बढ़े हैं, पर वह चित्रकूट को ही अपनी कर्मभूमि मानते हैं।

दद्दू प्रसाद अपनी पार्टी के कार्यकता को ‘माउथ मीडिया’ कहते हैं। वह प्रसार के सब साधनों को, यहां तक की बड़े मीडिया को भी ऊंची मानी जाने वाली जातियों का साधन बताते हैं। इसलिए वह अपने कार्यकर्ता को लोगों से जुड़ने और उनकी समस्या को समझने के लिए कहते हैं।

दद्दू प्रसाद चित्रकूट की जनता के लिए काम करना चाहते हैं और इसके लिए उनका हारना या जीतना कोई मायने नहीं रखता।

IANS News

वसुधैव कुटुंबकम’ भारत का शाश्वत संदेश : योगी आदित्यनाथ

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लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के आदर्श वाक्य के महत्व पर जोर देते हुए इसे भारत की वैश्विक मानवता के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया है। उन्होंने इसे भारत का शाश्वत संदेश बताते हुए कहा कि हमने हमेशा से शांति, सौहार्द और सह-अस्तित्व को प्राथमिकता दी है। सीएम योगी ने यह बात शुक्रवार को एलडीए कॉलोनी, कानपुर रोड स्थित सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (सीएमएस) के वर्ल्ड यूनिटी कन्वेंशन सेंटर में विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 25वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के दौरान अपने संबोधन में कही। कार्यक्रम में 56 देशों के 178 मुख्य न्यायाधीश और डेलिगेट्स ने भाग लिया।

‘अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक’
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक बताया। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद सम्मानजनक अंतरराष्ट्रीय संबंधों को विकसित करने और संघर्षों को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने के लिए नैतिक मार्ग का अनुसरण करने के लिए हम सभी को प्रेरित करता है। उन्होंने समारोह को प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि 26 नवंबर 2024 को संविधान अंगीकरण के 75 वर्ष पूरे होंगे। यह संविधान के अंगीकृत होने के अमृत महोत्सव वर्ष की शुरुआत के दौरान आयोजित हो रहा है।

‘युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है’
योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संयुक्त राष्ट्र के ‘समिट ऑफ दि फ्यूचर’ में दिये गये संबोधन की चर्चा करते हुए कहा कि युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है। युद्ध ने दुनिया के ढाई अरब बच्चों के भविष्य को खतरे में डाला है। उन्होंने दुनिया के नेताओं से आग्रह किया कि वे एकजुट होकर आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ, सुरक्षित और भयमुक्त समाज का निर्माण करें। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सम्मेलन को वैश्विक संवाद और सहयोग का मंच बताते हुए विश्वास व्यक्त किया कि अनुच्छेद 51 की भावना के अनुरूप यह आयोजन विश्व कल्याण के मार्ग को प्रशस्त करेगा। उन्होंने दुनिया भर के न्यायाधीशों से इस दिशा में सक्रिय योगदान देने का भी आह्वान किया।

‘भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध’
मुख्यमंत्री ने संविधान के अनुच्छेद 51 की चर्चा करते हुए कहा कि यह वैश्विक शांति और सौहार्द की दिशा में भारत की सोच को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान और सभी देशों के बीच सम्मानजनक संबंधों को बढ़ावा देने का संदेश देता है। मुख्यमंत्री ने भारत की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की सक्रिय भागीदारी से यह स्पष्ट होता है कि भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध है।

सीएमएस के संस्थापक को दी श्रद्धांजलि
सीएमएस के संस्थापक डॉ. जगदीश गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी दूरदृष्टि और प्रयासों से यह सम्मेलन एक महत्वपूर्ण मंच बना है। उन्होंने डॉ. भारती गांधी और गीता गांधी को इस कार्यक्रम को अनवरत जारी रखने के लिए धन्यवाद दिया।

इस अवसर पर हंगरी की पूर्व राष्ट्रपति, हैती रिपब्लिक के पूर्व प्रधानमंत्री सहित दुनिया के 56 देशों से आए हुए न्यायमूर्तिगण, सीएमएस की संस्थापक निदेशक डॉ भारती गांधी, प्रबंधक गीता गांधी किंगडन समेत स्कूली बच्चे और अभिभावकगण मौजूद रहे।

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