उत्तराखंड
औषधीय खेती किसानों के लिए लाभकारी
पंतनगर (उत्तराखंड) । उत्तर प्रदेश में कुशीनगर के एक किसान सचिदानंद राय ने औषधीय पौधों की खेती शुरू कर अपनी आय काफी बढ़ा ली है। इसके साथ ही राय ने दुर्लभ औषधीय प्रजातियों के पौधों के संरक्षण में भी योगदान किया है।
इससे पहले राय अपने पांच एकड़ के खेत में गेहूं और धान सहित परंपरागत अनाजों की खेती करते थे।
राय ने जून में पहली बार शलपर्णी (एक दुर्लभ औषधीय पौधा, जो च्यवनप्राश में इस्तेमाल किया जाता है) अपने एक बीघा खेत (एक एकड़ के पांचवें हिस्से पर) में लगाया।
राय ने कहा, “यदि हम एक बीघा में धान बोते हैं, तो इसमें 14,000 से 15,000 रुपये की लागत आती है और मुझे करीब इतनी ही राशि इसके उत्पादन के बाद बेचने पर मिलती है।”
राय ने कहा, “इस बार मुझे शलपर्णी से चार गुना लाभ हुआ है।”
राय ने कहा कि उनकी योजना साल 2017 में औषधीय वनस्पतियों की खेती को दो बीघा में विस्तार देने की है। इससे जुड़ने के कुछ अतिरिक्त लाभ हैं।
राय ने कहा, “एक बार औषधियों को बोने के बाद एक व्यक्ति साल भर में इससे दो-तीन बार फसल ले सकता है। इसका मतलब है कि अगले दो बार में ज्यादा लाभ होगा और लागत खर्च बहुत कम होगा।”
उन्होंने कहा कि उनके गांव के बहुत से लोग अपने कुछ जमीन में कई तरह की औषधीय जड़ी-बूटियां उगा रहे हैं, जिनका अच्छा व्यापारिक मूल्य है।
उन्होंने कहा कि पारंपरिक अनाज उगा रहे किसान कुछ घंटों के प्रशिक्षण से शलपर्णी की खेती में पारंगत हो जाएंगे।
राय ने डाबर इंडिया लिमिटेड द्वारा आयोजित एक विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम में हिस्सा लिया था। यह इसके पर्यावरण स्थिरता रणनीति का हिस्सा था।
डाबर शोध एवं विकास केंद्र के जैव संसाधन समूह के प्रमुख, सर्वपल्ली बद्री नारायण ने कहा कि इस पहल में जनजातियों और किसानों को शामिल किया गया है। इसके जरिए आठ राज्यों के 2500 परिवारों को फायदा होगा।
नारायणन ने कहा, “हमने सिर्फ सीमांत किसानों और जनजातीय समुदायों में औषधीय पौधों को अपनी जमीन के थोड़े भाग पर उगाने के लिए प्रोत्साहित किया। हम उन्हें इसमें प्रौद्योगिकी मदद भी दे रहे हैं।
“उत्तराखंड के पंतनगर में बने ग्रीनहाउस में पूरी तरह से आधुनिक तकनीक से औषधीय पौधों -अकारकाला, अतिविशा, शलपर्णी और दूसरे पौधों- को उगाया जा रहा है। यह खास तौर से औषधीय पौधों के लिए समर्पित है।
यहां से किसानों को औषधीय पौधे की खेती के लिए मानक के अनुसार पौधों की आपूर्ति की जाती है।
अधिकारी ने कहा, “हम कई तरह के पौधों की जरूरत के अनुसार कृत्रिम वातावरण बना सकते हैं।”
नारायण ने कहा, “समुदाय के साथ निरंतर जुड़े रहने से दुर्लभ पौधों की प्रजातियों को फिर से पुनजीर्वित करने मदद मिली है। इससे कृषि और वन आधारित समुदायों में आजीविका का एक स्थायी स्रोत भी स्थापित हुआ है।”
उत्तराखंड
केदारनाथ विधानसभा के उपचुनाव में भाजपा को मिली जीत, सीएम पुष्कर सिंह धामी ने जनता का किया धन्यवाद
देहरादून: केदारनाथ विधानसभा के उपचुनाव में भाजपा को मिली जीत से साबित हो गया है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर जनता का विश्वास बढ़ता जा रहा है। ब्रांड मोदी के साथ साथ ब्रांड धामी तेजी से लोगों के दिलों में जगह बना रहे हैं। इस उपचुनाव में विरोधियों ने मुख्यमंत्री धामी के खिलाफ कुप्रचार करके निगेटिव नेरेटिव क्रिएट किया और पूरे चुनाव को धाम बनाम धामी बना दिया। कांग्रेस के शीर्ष नेता और तमाम विरोधी एकजुट होकर मुख्यमंत्री पर हमलावर रहे। बावजूद इसके धामी सरकार की उपलब्धियों और चुनावी कौशल से विपक्ष के मंसूबे कामयाब नहीं हो पाए। धामी के कामकाज पर जनता ने दिल खोलकर मुहर लगाई।
आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी केवल नाम भर नहीं है, बल्कि एक ब्रांड हैं। मोदी के हर क्रियाकलाप का प्रभाव जनता के बड़े हिस्से को प्रभावित करता है इसलिए पिछले दो दशकों से वह देश के सबसे भरोसेमंद ब्रांड बने हुए हैं। ब्रांड मोदी की बदौलत केन्द्र ही नहीं राज्यों में भी भाजपा चुनाव जीतती चली आ रही है। उनके साथ ही राज्यों में भी भजपा के कुछ नेता हैं जो एक ब्रांड के रूप में अपनी पार्टी के लिए फयादेमंद साबित हो रहे हैं। तेजी से उभर रहे ऐसे नेताओं में से एक हैं उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी। सादगी, सरल स्वभाव, संवेदनशीलता और सख्त निर्णय लेने की क्षमता, ये वो तमाम गुण हैं जिनकी बदौलत पुष्कर सिंह धामी लोकप्रिय बनते जा रहे हैं। धामी ने उत्तराखण्ड में अपने कम समय के कार्यकाल में कई बड़े और कड़े फैसले लिए, जिससे देशभर में उनकी लोकप्रियता में इजाफा हुआ। खासकर यूसीसी, नकलरोधी कानून, लैंड जिहाद, दंगारोधी कानून, महिला आरक्षण आदि निर्णयों से वह देश में नजीर पेश की चुके हैं। उनकी लोकप्रियता का दायरा उत्तराखण्ड तक ही सीमित नहीं है वह पूरे देश में उनकी छवि एक ‘डायनेमिक लीडर’ की बन चुकी है।
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