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बिजनेस

कच्चे तेल के दाम में उबाल, विक्रेताओं का बढ़ा जोखिम : आईसीआरए

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नई दिल्ली, 30 दिसंबर (आईएएनएस)| कच्चे तेल की कीमतों में साल 2016 के नवंबर से साल 2017 के दिसंबर तक 40 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। खासतौर से पिछले तीन महीनों में अगस्त अंत से कच्चे तेल के दाम में 28 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। फिलहाल यह 67 डॉलर प्रति बैरल पर है। इस बढ़ोतरी का मुख्य कारण भूराजनैतिक तनाव, ओपेक और गैर-ओपेक देशों द्वारा उत्पादन में कटौती की समय सीमा का विस्तार, अनुमान से ज्यादा पेट्रोलियम पदार्थो की वैश्विक मांग तथा आपूर्ति की बाधाएं प्रमुख हैं।

आईसीआरए के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और समूह प्रमुख (कॉरपोरेट सेक्टर रेटिंग) के. रविचंद्रन ने बताया, संवेदनशील पेट्रोलियम पदार्थो पर अंडर रिकवरी (अनुमानित आय और वास्तविक आय का अंतर) 220-250 अरब रुपये (भारतीय बास्केट के कच्चे तेल की औसत कीमत 56-59 डॉलर प्रति बैरल मानते हुए) रहने का अनुमान है, जबकि आईसीआरए के अनुमान के मुताबिक पहले इसके 160-200 अरब रुपये रहने का अनुमान लगाया गया था। भारतीय बास्केट के कच्चे तेल की कीमत में 1 डॉलर प्रति बैरल की बढ़ोतरी से अंडर-रिकवरी 10 अरब डॉलर बढ़ जाती है तथा आयात बिल में 1.2 अरब डॉलर की बढ़ोतरी होती है।

रविचंद्रन ने आगे कहा, कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि से ओएमसी (सरकारी तेल विपणन कंपनियों) की कार्यशील पूंजी की जरूरत बढ़ जाती है, जिससे उनकी मुनाफाप्रदता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

उन्होंने कहा कि पेट्रोलियम उत्पादों की खुदरा कीमतों में वृद्धि और खुदरा व थोक बिक्री में निजी आरएंडएम कंपनियों की बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण तेल विपणन कंपनियों को उनके विपणन मार्जिन पर दबाव का सामना करना पड़ सकता है। इस क्षेत्र में वर्तमान संयंत्रों के विस्तार के अलावा नया निवेश अभी भी शुरुआती स्तर पर ही है। हालांकि मध्यम अवधि में निजी कंपनियों द्वारा वाहन ईंधन की खुदरा बिक्री में रुचि देखने को मिल सकती है। कुल मिलाकर रिफाइनिंग और विपणन क्षेत्र की कंपनियों के लिए क्रेडिट दृष्टिकोण स्थिर बना हुआ है।

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बिजनेस

जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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