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नेशनल

करीब 100 फीसदी मतदान के साथ संपन्न हुआ राष्ट्रपति चुनाव

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नई दिल्ली, 17 जुलाई (आईएएनएस)| राजग उम्मीदवार रामनाथ कोविंद और विपक्ष की संयुक्त उम्मीदवार मीरा कुमार के बीच मुख्य मुकाबले वाला देश के 14वें राष्ट्रपति का चुनाव सोमवार को करीब-करीब 100 फीसदी मतदान के साथ संपन्न हुआ।

लोकसभा के सचिव एवं निर्वाचन अधिकारी अनूप मिश्रा ने ‘संभवत: अब तक के सर्वाधिक मतदान’ वाला राष्ट्रपति चुनाव करार देते हुए बताया कि निर्वाचक मंडल के ’98-99′ फीसदी सदस्यों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया।

मिश्रा ने बताया कि संसद भवन में 717 सांसदों और पांच विधायकों के मतदान करने की संभावना थी, जिनमें से 714 सांसदों और चार विधायकों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया।

गुजरात से विधायक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष अमित शाह ने दिल्ली में मतदान करने की इजाजत मांगी थी।

मतदान में हिस्सा न लेने वालों में तृणमूल कांग्रेस के सांसद तापस पाल, बीजू जनता दल (बीजद) के सांसद रामचंद्र हंसदा और पीएमके के सांसद अंबुमणि रामदास शामिल रहे।

मिश्रा ने बताया कि लोकसभा और राज्यसभा के कुल 776 सदस्यों के पास मताधिकार था, जिनमें से 771 सदस्यों ने मतदान किया।

उन्होंने बताया कि लोकसभा और राज्यसभा में दो-दो पद रिक्त थे और भाजपा के सांसद छेदी पासवान को मताधिकार नहीं था।

मिश्रा ने बताया कि 54 सांसदों ने दिल्ली में मतदान की इजाजत मांगी थी।

उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, नगालैंड, उत्तराखंड और पुदुचेरी में 100 फीसदी मतदान दर्ज किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि इसके अलावा अन्य राज्यों में भी 100 फीसदी के करीब ही मतदान हुआ है।

मिश्रा ने कहा कि आंध्र प्रदेश, जम्मू एवं कश्मीर, मणिपुर और त्रिपुरा से मत प्रतिशत के अंतिम आंकड़े अभी आने बाकी हैं।

सोमवार को संसद भवन और प्रत्येक राज्य की विधानसभाओं में स्थापित 32 मतदान केंद्रों पर मतदान हुआ। मतदान सुबह 10 बजे शुरू हुआ और शाम पांच बजे संपन्न हुआ।

राष्ट्रपति चुनाव में 776 सांसदों और 4,120 विधायकों को मत डालने का अधिकार था तथा निर्वाचक मंडल के कुल मतों की कीमत 10,98,903 है।

राज्य विधानसभाओं से मतपेटियां अब दिल्ली लाई जाएंगी, जहां 20 जुलाई को मतों की गणना होगी। 20 जुलाई को ही चुनाव परिणाम घोषित कर दिए जाएंगे।

मिश्रा ने बताया कि दिल्ली में पड़े मतों की गणना सबसे पहले होगी। आठ चरणों में होने वाली मतगणना चार मेजों पर एक साथ होगी और हर चरण के बाद परिणाम घोषित किए जाएंगे।

मिश्रा ने बताया कि राज्यों में अधिकतर विधायकों ने शुरुआती तीन घंटे में ही मत डाल दिए थे।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी (आप) के विधायकों और सांसदों ने मतदान किया।

पंजाब विधानसभा में मतदान के बाद मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने सभी कांग्रेस विधायकों के लिए नाश्ते की व्यवस्था की थी।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के राष्ट्रपति उम्मीदवार बिहार के पूर्व राज्यपाल रामनाथ कोविंद का पलड़ा भारी माना जा रहा है, जिनका मुख्य रूप से कांग्रेस के नेतृत्व में 17 विपक्षी दलों की संयुक्त उम्मीदवार लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष मीरा कुमार से मुकाबला है।

भाजपा उम्मीदवार कोविंद को राजग से अलग भी कई दलों ने समर्थन देने की घोषणा की है और कुल मिलाकर उन्हें 63 फीसदी वोट मिलने की उम्मीद है।

मौजूदा राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल 25 जुलाई को समाप्त हो रहा है।

अगर राजग के उम्मीदवार कोविंद चुनाव जीतते हैं तो वह के. आर. नारायणन के बाद देश के दूसरे दलित राष्ट्रपति होंगे।

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उत्तर प्रदेश

संभल में कैसे भड़की हिंसा, किस आधार पर हो रहा दावा, पढ़े पूरी रिपोर्ट

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संभल। संभल में एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन मंदिर होने और भविष्य में कल्कि अवतार के यहां होने के दावे ने हाल ही में काफी सुर्खियां बटोरी हैं. इस दावे के पीछे कई धार्मिक और ऐतिहासिक तथ्य बताए जा रहे है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और उनके मंदिर को लेकर कई दावे पहले से ही किए जा रहे हैं. इसे लेकर धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों के आधार पर गहरी चर्चा हो भी रही है. हिंदू धर्म में कल्कि अवतार को भगवान विष्णु का दसवां और अंतिम अवतार माना गया है. ऐसा माना जाता है कि कलियुग के अंत में जब अधर्म और अन्याय अपने चरम पर होगा तब भगवान कल्कि अवतार लेकर पृथ्वी पर धर्म की स्थापना करेंगे.

कैसे भड़की हिंसा?

24 नवंबर को मस्जिद में हो रहे सर्वे का स्थानीय लोगों ने विरोध किया. पुलिस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मौके पर थी. सर्वे पूरा होने के बाद जब सर्वे टीम बाहर निकली तो तनाव बढ़ गया. भीड़ ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया, जिसके कारण स्थिति बिगड़ गई और हिंसा भड़क उठी.

दावा क्या है?

हिंदू पक्ष का दावा है कि संभल में स्थित एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन काल में एक मंदिर था. इस मंदिर को बाबर ने तोड़कर मस्जिद बनवाई थी. उनका यह भी दावा है कि भविष्य में कल्कि अवतार इसी स्थान पर होंगे.

किस आधार पर हो रहा है दावा?

दावेदारों का कहना है कि उनके पास प्राचीन नक्शे हैं जिनमें इस स्थान पर मंदिर होने का उल्लेख है. स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इस स्थान पर प्राचीन काल से ही पूजा-अर्चना होती थी. कुछ धार्मिक ग्रंथों में इस स्थान के बारे में उल्लेख मिलता है. हिंदू धर्म के अनुसार कल्कि अवतार भविष्य में आएंगे और धर्म की स्थापना करेंगे. दावेदारों का मानना है कि यह स्थान कल्कि अवतार के लिए चुना गया है.

किस आधार पर हो रहा है विरोध?

अभी तक इस दावे के समर्थन में कोई ठोस पुरातात्विक साक्ष्य नहीं मिला है. जो भी ऐतिहासिक रिकॉर्ड्स उपल्बध हैं वो इस बात की पुष्टि करते हैं कि इस स्थान पर एक मस्जिद थी. धार्मिक ग्रंथों की व्याख्या कई तरह से की जा सकती है और इनका उपयोग किसी भी दावे को सिद्ध करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए.

संभल का धार्मिक महत्व

शास्त्रों और पुराणों में यह उल्लेख है कि भगवान विष्णु का कल्कि अवतार उत्तर प्रदेश के संभल नामक स्थान पर होगा. इस आधार पर संभल को कल्कि अवतार का स्थान माना गया है. श्रीमद्भागवत पुराण और अन्य धर्मग्रंथों में कल्कि अवतार का वर्णन विस्तार से मिलता है जिसमें कहा गया है कि कल्कि अवतार संभल ग्राम में विष्णुयश नामक ब्राह्मण के घर जन्म लेंगे.

इसी मान्यता के कारण संभल को कल्कि अवतार से जोड़ा जाता है. संभल में बने कल्कि मंदिर को लेकर यह दावा किया जा रहा है कि यही वह स्थान है जहां भविष्य में भगवान कल्कि का प्रकट होना होगा. मंदिर के पुजारी और भक्तों का कहना है कि यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र है और यहां कल्कि भगवान की उपासना करने से व्यक्ति अधर्म से मुक्ति पा सकता है.

धार्मिक विश्लेषण

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कल्कि अवतार का समय तब होगा जब अधर्म, पाप और अन्याय चरम पर पहुंच जाएंगे. वर्तमान में दुनिया में मौजूद सामाजिक और नैतिक स्थितियों को देखकर कुछ लोग यह मानते हैं कि कल्कि अवतार का समय निकट है. संभल में कल्कि मंदिर को लेकर जो भी दावे किए जा रहे हैं वो सभी पूरी तरह से आस्था पर आधारित हैं. धार्मिक ग्रंथों में वर्णित समय और वर्तमान समय के बीच अभी काफी अंतर हो सकता है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और मंदिर का दावा धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों पर आधारित है. हालांकि, यह दावा प्रमाणिकता के बजाय विश्वास पर आधारित है. यह भक्तों की आस्था है जो इस स्थान को विशेष बनाती है.

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