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काकोरी कांड में रामप्रसाद बिस्मिल का केस लड़ने वाले व यूपी के पहले मुख्यमंत्री को जन्मदिन मुबारक

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आजाद भारत के पहले मुख्यमंत्री जिनका हृदय कोमल व विचार भावुक था वो शख्स जिसने हमेशा से ही सत्य को अपनी एकमात्र राह बना ली थी । जब कभी एक अच्छे मुख्यमंत्री और एक ईमानदार वकील की चर्चा होती है तो ‘गोविन्द वल्लभ पन्त’ का नाम सबसे पहले सुनने में आ जाता है। क्योंकि यहां की राजनीति हमेशा से ही घाघ रही है. बनारस के नेता यूपी की राजनीति में छाए हुए थे। ऐसे में पहाड़ों में जन्मे गोविंद बल्लभ पंत का पहला मुख्यमंत्री बनना अपने आप में एक गर्वित विषय बन चुका था।

पन्त का जन्म तो अल्मोड़ा में हुआ था लेकिन मूल रूप से वह महाराष्ट्रियन थे। उनकी मां का नाम गोविंदी बाई था। माँ के नाम से ही गोविन्द जी का नाम रखा गया था। उनके पापा सरकारी नौकरी में थे लगातार ट्रान्सफर होते रहने की वजह से वह नाना के पास बढ़े-पले। बचपन में कद-काठी से पन्त बहुत मोटे थे। उन्हे खेल खेलना बिलकुल नहीं भाता था। घर वाले इन्ही सब वजह से उन्हे थपुवा पुकारते थे लेकिन पन्त जी पढ़ाई में बेहद होशियार थे।

पढ़ाई पूरी करने के बाद वह वकील बने उनके बारें में एक बहुत मशहूर बात कही जाती है कि वह सिर्फ सच्चे केस ही लड़ा करते थे। केस झूठा होने का अंदेशा होते ही वह केस छोड़ दिया करते थे।

काकोरी कांड में रामप्रसाद बिस्मिल की तरफ से पन्त जी ने ही केस लड़ा था।

वकालत शुरु करने से पहले ही पंत के पहले बेटे और पत्नी गंगादेवी की मौत हो गई थी। इसके बाद से वो उदास रहने लगे थे। 1912 में परिवार के दबाव डालने पर उन्होंने दूसरा विवाह किया। लेकिन उनकी यह खुशी भी ज्यादा वक्त तक न रह सकी। दूसरी पत्नी से एक बेटा हुआ, लेकिन कुछ समय बाद ही बीमारी के चलते बेटे की भी मौत हो गई। 1914 में उनकी दूसरी पत्नी भी स्वर्ग सिधार गई। फिर 1916 में 30 की उम्र में उनका तीसरा विवाह कलादेवी से हुआ।

1937 में पंत उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। उस वक्त कांग्रेस पर अंग्रेजों के कानून में बनी सरकार में शामिल होने का आरोप लगा था। पंत की अगुवाई में उत्तर प्रदेश में दंगे नहीं हुए। प्रशासन बहुत अच्छा रहा। भविष्य के लिए बेस तैयार हुआ। फिर पंत 1946 से दिसंबर 1954 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। 1951 में हुए यूपी विधानसभा चुनाव में वो बरेली म्युनिसिपैलिटी से जीते थे।

1955 में केंद्र सरकार में होम मिनिस्टर बने। 1955 से 1961 तक होम मिनिस्टर रहे. बता दें कि, पन्त को आज भी अगर किसी चीज के लिए सबसे ज्यादा याद किया जाता है तो वह है ‘हिंदी भाषा को राजकीय दर्जा दिलाना जिसके लिए इन्हे 1957 में भारत रत्न मिला।

 

 

 

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मध्य प्रदेश के शहडोल में अनोखे बच्चों ने लिया जन्म, देखकर उड़े लोगों के होश

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शहडोल। मध्य प्रदेश के शहडोल से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां ऐसे बच्चों ने जन्म लिया है, जिनके 2 शरीर हैं लेकिन दिल एक ही है। बच्चों के जन्म के बाद से लोग हैरान भी हैं और इस बात की चिंता जता रहे हैं कि आने वाले समय में ये बच्चे कैसे सर्वाइव करेंगे।

क्या है पूरा मामला?

एमपी के शहडोल मेडिकल कालेज में 2 जिस्म लेकिन एक दिल वाले बच्चे पैदा हुए हैं। इन्हें जन्म देने वाली मां समेत परिवार के लोग परेशान हैं कि आने वाले समय में इन बच्चों का क्या भविष्य होगा। उन्हें समझ में ही नहीं आ रहा कि शरीर से एक दूसरे से जुड़े इन बच्चों का वह कैसे पालन-पोषण करेंगे।

परिजनों को बच्चों के स्वास्थ्य की भी चिंता है। बच्चों को ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया है। मेडिकल कालेज प्रबंधन द्वारा इन्हें रीवा या जबलपुर भेजने की तैयारी की जा रही है, जिससे इनका उचित उपचार हो सके। ऐसे बच्चों को सीमंस ट्विन्स भी कहा जाता है।

जानकारी के अनुसार, अनूपपुर जिले के कोतमा निवासी वर्षा जोगी और पति रवि जोगी को ये संतान हुई है। प्रेग्नेंसी के दर्द के बाद परिजनों द्वारा महिला को मेडिकल कालेज लाया गया था। शाम करीब 6 बजे प्रसूता का सीजर किया गया, जिसमें एक ऐसे जुडवा बच्चों ने जन्म लिया, जिनके जिस्म दो अलग अलग थे लेकिन दिल एक ही है, जो जुड़ा हुआ है।

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