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प्रादेशिक

कारीगरों की कमी से जूझ रहा जयपुर का आभूषण कारोबार

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जयपुर| जयपुर का 250 साल पुराना रत्न और आभूषण उद्योग इन दिनों दक्ष कारीगरों की कमी से जूझ रहा है। जयपुर का यह उद्योग सालाना 2,200-2,400 करोड़ रुपये मूल्य का निर्यात करता है। इस उद्योग के दक्ष कारीगरों की संख्या में हालांकि गिरावट दर्ज की गई है। कुछ साल पहले कारीगरों की संख्या 2,50,000-3,00,000 हुआ करती थी, जो अब घटकर 1,25,000-1,50,000 रह गई है। एक स्थानीय आभूषण निर्माता जितेंद्र सिंह हादा ने कहा, “2009-2010 में उद्योग में मंदी आने के बाद कामगारों की संख्या घटी है। कारोबारी इकाइयों ने कुछ कारीगरों की छंटनी कर दी। बाजार में तेजी आने के बाद भी वे कामगार अब तक नहीं लौटे हैं, क्योंकि उन्हें दूसरे क्षेत्रों में नौकरी मिल गई है।”

एक अन्य कारोबारी ने कहा, “दक्ष कामगारों को ढूंढ़ना एक बड़ा सिरदर्द है। इससे हमारा कारोबार प्रभावित हो रहा है।” कामगारों को प्रशिक्षण देने वाले संस्थानों के मुताबिक, रत्नाभूषण उद्योग आम तौर पर पारंपरिक तरीकों से पारिवारिक कारोबार के रूप में चलाया जा रहा है। एक कामगार इकराम ने कहा, “युवाओं के पास आज नौकरी के लिए अधिक विकल्प हो गए हैं। इसलिए वे पारंपरिक क्षेत्र में काम नहीं करना चहते हैं, जहां आगे बढ़ने की अधिक संभावना नहीं है।” उन्होंने कहा, “एक दक्ष कामगार औसत 12,000-15,000 रुपये प्रति माह कमा लेता है, जो एक परिवार चलाने के लिए काफी नहीं है। इसलिए मैं अपने बच्चों को दूसरे क्षेत्र में जाने के लिए प्रेरित करता हूं।”

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ जेम्स एंड ज्वैलरी (आईआईजीजे) ने पूरे राज्य में कौशल विकास और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए राजस्थान कौशल एवं जीविका विकास निगम (आरएसएलडीसी) के साथ एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किया है। आईआईजीजे के मानद सचिव विजय चोरडिया ने आईएएनएस से कहा, “एंप्लायमेंट लिंक्ड स्किल ट्रेनिंग प्रोग्राम (ईएलएसटीपी) नामक कार्यक्रम का मकसद 2015-16 में 3,600 प्रशिक्षुओं को दक्ष बनाना है।” जयपुर 18वीं सदी से रत्नाभूषण उद्योग के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। साथ ही जयपुर का रत्नाभूषण उद्योग दुनियाभर में कटे हुए और पॉलिश किए हुए पóो का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है।

IANS News

वसुधैव कुटुंबकम’ भारत का शाश्वत संदेश : योगी आदित्यनाथ

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लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के आदर्श वाक्य के महत्व पर जोर देते हुए इसे भारत की वैश्विक मानवता के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया है। उन्होंने इसे भारत का शाश्वत संदेश बताते हुए कहा कि हमने हमेशा से शांति, सौहार्द और सह-अस्तित्व को प्राथमिकता दी है। सीएम योगी ने यह बात शुक्रवार को एलडीए कॉलोनी, कानपुर रोड स्थित सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (सीएमएस) के वर्ल्ड यूनिटी कन्वेंशन सेंटर में विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 25वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के दौरान अपने संबोधन में कही। कार्यक्रम में 56 देशों के 178 मुख्य न्यायाधीश और डेलिगेट्स ने भाग लिया।

‘अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक’
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक बताया। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद सम्मानजनक अंतरराष्ट्रीय संबंधों को विकसित करने और संघर्षों को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने के लिए नैतिक मार्ग का अनुसरण करने के लिए हम सभी को प्रेरित करता है। उन्होंने समारोह को प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि 26 नवंबर 2024 को संविधान अंगीकरण के 75 वर्ष पूरे होंगे। यह संविधान के अंगीकृत होने के अमृत महोत्सव वर्ष की शुरुआत के दौरान आयोजित हो रहा है।

‘युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है’
योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संयुक्त राष्ट्र के ‘समिट ऑफ दि फ्यूचर’ में दिये गये संबोधन की चर्चा करते हुए कहा कि युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है। युद्ध ने दुनिया के ढाई अरब बच्चों के भविष्य को खतरे में डाला है। उन्होंने दुनिया के नेताओं से आग्रह किया कि वे एकजुट होकर आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ, सुरक्षित और भयमुक्त समाज का निर्माण करें। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सम्मेलन को वैश्विक संवाद और सहयोग का मंच बताते हुए विश्वास व्यक्त किया कि अनुच्छेद 51 की भावना के अनुरूप यह आयोजन विश्व कल्याण के मार्ग को प्रशस्त करेगा। उन्होंने दुनिया भर के न्यायाधीशों से इस दिशा में सक्रिय योगदान देने का भी आह्वान किया।

‘भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध’
मुख्यमंत्री ने संविधान के अनुच्छेद 51 की चर्चा करते हुए कहा कि यह वैश्विक शांति और सौहार्द की दिशा में भारत की सोच को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान और सभी देशों के बीच सम्मानजनक संबंधों को बढ़ावा देने का संदेश देता है। मुख्यमंत्री ने भारत की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की सक्रिय भागीदारी से यह स्पष्ट होता है कि भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध है।

सीएमएस के संस्थापक को दी श्रद्धांजलि
सीएमएस के संस्थापक डॉ. जगदीश गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी दूरदृष्टि और प्रयासों से यह सम्मेलन एक महत्वपूर्ण मंच बना है। उन्होंने डॉ. भारती गांधी और गीता गांधी को इस कार्यक्रम को अनवरत जारी रखने के लिए धन्यवाद दिया।

इस अवसर पर हंगरी की पूर्व राष्ट्रपति, हैती रिपब्लिक के पूर्व प्रधानमंत्री सहित दुनिया के 56 देशों से आए हुए न्यायमूर्तिगण, सीएमएस की संस्थापक निदेशक डॉ भारती गांधी, प्रबंधक गीता गांधी किंगडन समेत स्कूली बच्चे और अभिभावकगण मौजूद रहे।

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