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प्रादेशिक

कुपोषण के खिलाफ लड़ाई में पिछड़ा यूपी

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लखनऊ| उत्तर प्रदेश को कुपोषण से मुक्त बनाने के लिए यूपी सरकार के दावे खोखले साबित हो रहे हैं। प्रदेश में राज्य पोषण मिशन के तहत जरूरतमंद लोगों तक पौष्टिक पदार्थ पहुंचाने के प्रदेश सरकार के दावे हकीकत से बिल्कुल विपरीत हैं। यह खुलासा सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत हुआ है। पिछले पांच वर्षो में प्रदेश सरकार ने कुपोषण के संबंध में कोई भी अध्ययन या सर्वेक्षण नहीं कराया है, जिससे यह पता चल सके कि प्रदेश में कुपोषण के शिकार लोगों की संख्या कितनी है।

सामाजिक कार्यकर्ता उर्वशी शर्मा ने आरटीआई के तहत यह जानने की कोशिश की थी कि प्रदेश में कुपोषण के शिकार लोगों की संख्या कितनी है। बाल विकास पुष्टाहार विभाग ने जो जवाब दिया है वह वाकई चौंकाने वाला है। उर्वशी ने बताया कि प्रदेश के बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार निदेशालय ने आरटीआई के जबाब में बताया है कि मायावती का कार्यकाल रहा हो या अखिलेश सरकार का, पिछले पांच वर्षो के दौरान प्रदेश सरकार ने कुपोषण के संबंध में कोई भी अध्ययन या सर्वेक्षण नहीं कराया है, जिससे यह बात सामने आ सके कि प्रदेश में कुपोषण के शिकार लोगों की संख्या कितनी है।

आरटीआई के अनुसार, बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार निदेशालय के पास पिछले पांच सालों में कुपोषण की समस्या से ग्रसित पुरुषों, महिलाओं, किन्नरों, बालकों, बालिकाओं और शिशुओं की संख्या की कोई भी सूचना नहीं है। उर्वशी शर्मा ने बताया, “पुरुषों, महिलाओं, किन्नरों, बालकों, बालिकाओं और शिशुओं की संख्या की कोई सूचना भी नहीं है तो आखिर किस आधार पर अखिलेश ने राज्य पोषण मिशन के शुभारंभ पर जरूरतमंद लोगों तक पौष्टिक पदार्थ पहुंचाने और इस मिशन से सूबे की एक लाख महिलाओं को जोड़े जाने का दावा किया था।”

उल्लेखनीय है कि हाल ही में अखिलेश यादव ने अपने सरकारी आवास 5, कालिदास मार्ग पर भारी सरकारी तामझाम और चमक-दमक के साथ आयोजित कार्यक्रम में बाल विकास पुष्टाहार मंत्री की उपस्थिति में कुपोषण के खिलाफ राज्य पोषण मिशन का शुभारंभ किया था। सीएम ने बताया था कि राज्य पोषण मिशन के तहत उनका लक्ष्य जरूरतमंद लोगों तक पौष्टिक पदार्थ पहुंचाना और इस मिशन से सूबे की एक लाख महिलाओं को जोड़ना है।

उत्तर प्रदेश

महाकुंभ में हर आपात स्थिति से निपटने की तैयारी

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प्रयागराज | महाकुंभ 2025 के वृहद आयोजन को सफल बनाने के लिए प्रतिबद्ध योगी सरकार हर आपात स्थिति से निपटने की तैयारी कर रही है। दुनिया के सबसे बड़े सांस्कृतिक कार्यक्रम में परिंदा भी पर न मार सके, इसके लिहाज से स्वास्थ्य कर्मियों के साथ एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की कई टीमें मिलकर काम कर रही हैं। महाकुंभ से पहले केमिकल, बायलॉजिकल, रेडिएशनल और न्यूक्लियर प्रॉब्लम से निपटने के लिए भी टीम को तैयार कर लिए जाने की योजना है। इसके लिए बाकायदा कर्मचारियों को हर आपदा से निपटने की विधिवत ट्रेनिंग दी जाएगी। यही नहीं योगी सरकार के निर्देश पर श्रद्धालुओं के मेडिकल टेस्ट के लिए भी प्रयागराज के अस्पतालों को स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी अपग्रेड करने में लगे हैं।

श्रद्धालुओं के मेडिकल टेस्ट की भी व्यवस्था

संयुक्त निदेशक (चिकित्सा स्वास्थ्य) प्रयागराज वीके मिश्रा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर महाकुंभ के दौरान स्वास्थ्य विभाग सभी इंतजाम पुख्ता करने में जुटा है। इसके तहत कर्मचारियों को महाकुंभ में हर आपात स्थिति से निपटने की ट्रेनिंग दी जाएगी। महाकुंभ में देश विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के मेडिकल टेस्ट के लिए टीबी सप्रू और स्वरूपरानी अस्पताल को तैयार किया जा रहा है। इसके अलावा एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम के साथ स्वास्थ्य कर्मियों के मिलकर काम करने की योजना बनाई गई है। सनातन धर्म के सबसे बड़े आयोजन के दौरान हर एक श्रद्धालु को केमिकल, बायलॉजिकल, रेडिएशनल और न्यूक्लियर संबंधी हर प्रॉब्लम से सुरक्षित रखने के पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं।

अनुभवी चिकित्सकों की ही तैनाती

महाकुंभ के दौरान देश विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं की देखरेख के लिए 291 एमबीबीएस व स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की तैनाती रहेगी। इसके अलावा 90 आयुर्वेदिक और यूनानी विशेषज्ञ भी इस अभियान में सहयोग के लिए मौजूद रहेंगे। साथ ही 182 स्टॉफ नर्स इन चिकित्सकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर जरूरतमंदों के स्वास्थ्य की देखभाल करेंगी। इस प्रक्रिया में ज्यादातर अनुभवी चिकित्सकों को ही महाकुंभ के दौरान तैनाती दी जा रही है।

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