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आध्यात्म

कृष्ण की इस धरती पर रात बिताई तो हो जाओगे सही में पागल

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वृंदावन में गोपियों संग आज भी रासलीला रचाते हैं कृष्ण

मथुरा। वृंदावन का निधिवन आज भी अपनी रहस्‍यमयी कहानियों के लिए मशहूर है। इसे आज के समय में भुतहा स्‍थान भी कहा जा सकता है। कहा जाता है कि यहां रात को रुकने वाला पागल हो जाता है या किसी आपदा का शिकार हो जाता है।

बताते हैं किे यहां आज भी हर रात कृष्ण गोपियों संग रासलीला रचाते हैं। यही कारण है की सुबह खुलने वाले निधिवन को संध्या आरती के पश्चात बंद कर दिया जाता है। उसके बाद वहां कोई भी रुक नहीं सकता है। कहा जाता है कि निधिवन में दिन में रहने वाले पशु-पक्षी भी संध्या होते ही निधि वन छोड़कर चले जाते है।

मान्‍यता है कि दिन में निधिवन में दिखाई देने वाले पेड़, रात होते ही गोपियों में तब्दील हो जाते है। यहां रात में सिर्फ बांसुरी और घुंघरुओं की आवाजें ही  सुनाई देती हैं।

आम तौर पर वैसे तो शाम होते ही निधि वन बंद हो जाता है और सब लोग यहाँ से चले जाते है। लेकिन फिर भी यदि कोई छुपकर रासलीला देखने की कोशिश करता है तो पागल हो जाता है।

ऐसा ही एक वाक़या करीब 10 वर्ष पूर्व हुआ था जब जयपुर से आया कृष्ण भक्त रासलीला देखने के लिए निधिवन में छुपकर बैठ गया। जब सुबह निधि वन के गेट खुले तो वह बेहोश अवस्था में मिला।

उसका मानसिक संतुलन बिगड़ चुका था। ऐसे अनेक किस्से यहाँ के लोग बताते हैं। ऐसे ही एक अन्य व्‍यक्ति थे पागल बाबा। इनकी समाधि भी निधि वन में बनी है।

उनके बारे में भी कहा जाता है की उन्होंने भी एक बार निधि वन में छुपकर रास लीला देखने की कोशिश की थी। इसके बाद वह पागल हो गए थे। वह कृष्ण के अनन्य भक्त थे इसलिए उनकी मृत्यु के पश्चात मंदिर कमेटी ने निधि वन में उनकी समाधि बनवा दी।
निधि वन के अंदर बने ‘रंग महल’ के बारे में मान्यता है कि रोज़ रात पर यहां राधा और कन्हैया आते हैं। रंग महल में राधा और कन्हैया के लिए रखे गए चंदन के पलंग को शाम सात बजे के पहले सजा दिया जाता है। पलंग के बगल में एक लोटा पानी, राधाजी के श्रृंगार का सामान और दातुन संग पान रख दिया जाता है।

सुबह 5 बजे जब ‘रंग महल’ का पट खुलता है तो बिस्तर अस्त-व्यस्त, लोटे का पानी खाली, दातुन कुची हुई और पान खाया हुआ मिलता है। रंगमहल में भक्त केवल श्रृंगार का सामान ही चढ़ाते है। प्रसाद के तौर पर उन्हें भी श्रृंगार का ही सामान दिया जाता है।
निधि वन के पेड़ भी बड़े अजीब है। हर पेड़ की शाखाएं ऊपर की और बढ़ती है। मजे की बात यह है कि निधि वन के पेड़ों की शाखाएं नीचे की और बढ़ती है। हालत यह है कि रास्ता बनाने के लिए इन पेड़ों को डंडों के सहारे रोका गया है।

निधि वन की एक अन्य विशेषता है यहां के तुलसी के पेड़ है। निधि वन में तुलसी का हर पेड़ जोड़े में है। इसके पीछे यह मान्यता है कि जब राधा संग कृष्ण वन में रास रचाते हैं तब यही जोड़ेदार पेड़ गोपियां बन जाती हैं।

जैसे ही सुबह होती है तो सब फिर तुलसी के पेड़ में बदल जाती हैं। साथ ही एक अन्य मान्यता यह भी है कि इस वन में लगे जोड़े की वन तुलसी की कोई भी एक डंडी नहीं ले जा सकता है। लोग बताते हैं कि जो लोग भी ले गए वो किसी न किसी आपदा का शिकार हो गए। इसलिए कोई भी इन्हें नहीं छूता।

उत्तर प्रदेश

जगतगुरु कृपालु जी महाराज की तीनों बेटियों का एक्सीडेंट, बड़ी बेटी डॉ. विशाखा त्रिपाठी की मौत

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नोएडा। उत्तर प्रदेश के नोएडा में यमुना एक्सप्रेसवे पर रविवार सुबह करीब 5 बजे भीषण हादसा हो गया। इस हादसे में जगतगुरु कृपालु जी महाराज की बड़ी बेटी डॉ. विशाखा त्रिपाठी की मौत हो गई। इसके अलावा उनकी दो बेटियां गंभीर रूप से घायल हैं। घायल दोनों बेटियों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है जहां उनका इलाज चल रहा है। हादसे के बाद जगतगुरु कृपालु परिषत की ओर से शोक संदेश भी जारी किया गया है। संदेश जारी करने के बाद भक्तों द्वारा इस घटना को लेकर दुख व्यक्त किया जा रहा है।

दिल्ली जाते समय हुआ हादसा बताया जा रहा है कि मथुरा से जगतगुरु कृपालु जी महाराज की तीनों बेटियां डॉ. विशाखा त्रिपाठी, डॉ. कृष्णा त्रिपाठी और डॉ. श्यामा त्रिपाठी कार से दिल्ली एयरपोर्ट जाने के लिए निकलीं थीं। उनके साथ आश्रम से जुड़े अन्य लोग भी मौजूद थे। दिल्ली एयरपोर्ट से उनको फ्लाइट पड़कर सिंगापुर जाना था। कार यमुना एक्सप्रेसवे पर दनकौर कोतवाली क्षेत्र में पहुंची थी। इसी दौरान तेज रफ्तार की एक डीसीएम ने आगे चल रही दोनों कारों में टक्कर मार दिया। टक्कर लगने के बाद कार क्षतिग्रस्त हो गईं।

हादसे में बड़ी बेटी का निधन

हादसे में कृपालु जी की बड़ी बेटी 65 साल की डॉ. विशाखा त्रिपाठी का निधन हुआ है. हादसा दो छोटी बेटियों, डॉ. श्यामा त्रिपाठी व डॉ. कृष्णा त्रिपाठी की हालत गंभीर बताई जाती जा रही है. सभी घायलों को पास के अस्पताल में भर्ती करवाया गया है. सिंगापुर जाने के लिए तीनों बहनें फ्लाइट पकड़ने एयरपोर्ट के लिए जा रही थीं.

 

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