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कृष्ण की नगरी मथुरा में बैंक मैनेजर ने रूसी युवती को बनाया अपनी हवस का शिकार

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लखनऊ। भारत में विदेशी महिलाओं के साथ यौन हिंसा के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। इतना ही उत्तर प्रदेश में भी विदेशी महिलाओं पर हमला देखा जा सकता है। अभी हाल में ही विदेशी जोड़ों को कुछ लोगों ने सरेआम पीट दिया था जो मीडिया में सुर्खियां बन चुकी है। कुछ इसी तरह का प्रकरण मथुरा में भी देखने को मिला है जहां बैंक प्रबंधक ने विदेशी महिला को अपनी हवस का शिकार बना डाला है। भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा में एक बैंक के मैनेजर ने विदेशी महिला के साथ बेहद शर्मनाक काम करते हुए उसके साथ रेप की घटना को अंजाम दिया है।

पूरा मामला प्रकाश में आने के पुलिस ने बैंक मैनेजर को दबोच लिया है। हालांकि पुलिस ने इस मामले में बयान जारी करते हुए कहा है कि मामला पैसों को लेन-देन का बताया है। मथुरा से मिली जानकारी के अनुसार रूसी महिला की दोस्ती बैंक मैनेजर से फेसबुक पर दोस्ती हुई थी। दूसरी ओर रेप करने वाले आरोपी ने पूरे मामले को लेनदेन का करार दिया है। इस मामले में रूसी महिला ने शुक्रवार को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि यूको बैंक के मैनेजर ने उसके साथ रेप की शर्मनाक वारदात को अंजाम दिया है।

इसके बाद पुलिस ने आनन-फानन में आरोपी को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया है। इतना ही पुलिस ने केस दर्ज कर पूरे मामले की जांच कर रही है। रूसी महिला ने चैतन्य विहार में यूको बैंक के प्रबंधक पटना निवासी मोहन प्रसाद सिंह पर रेप का आरोप लगाकर कोतवाली में मामला दर्ज कराया है। रूसी महिला ने पुलिस को दी तहरीर में बताया कि मोहन से उसकी दोस्ती फेसबुक पर हुई थी। इसके बाद जब भी वह भारत आती उसके साथ मुलाकात होती। आगे महिला ने बताया कि 22 सितम्बर को मोहन ने अपने घर बुलाकर उसके साथ दुष्कर्म कर डाला।

इसके बाद पुलिस ने इस मामले को गम्भीरता से लेते हुए आरोपी प्रबंधक मोहन प्रसाद सिंह को हिरासत में ले लिया। दूसरी ओर आरोपी मोहन प्रसाद सिंह ने अपनी सफाई पेश करते हुए कहा कि कई बार युवती ने रुपये की मांग की तो आरोपी ने उसे रुपये दिए। आरोपी का कहना है कि रुपये देने से इन्कार करने के बाद युवती ने उस पर गलत आरोप लगा डाले। दूसरी ओर पुलिस पूरे मामले की छानबीन कर रही है।

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सुप्रीम कोर्ट ने मजदूर के बेटे को दिलाया IIT में एडमिशन, कहा- प्रतिभाशाली छात्र को मझधार में नहीं छोड़ सकते

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एक गरीब मजदूर के बेटे को आईआईटी में एडमिशन मिल गया है। दरअसल, मजदूर किसान का बेटा अतुल कुमार अपनी आगे की पढ़ाई के लिए IIT धनबाद के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग कोर्स में दाखिला लेना चाहता था, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण वो डेडलाइन पर फीस नहीं जमा कर सका। जिस कारण उसका आईआईटी में एडमिशन लेने का सपना, सपना ही रह गया।

दरअसल 18 वर्षीय अतुल कुमार के माता-पिता 24 जून तक फीस के रूप में 17,500 रुपये जमा करने में विफल रहे, जो आवश्यक शुल्क जमा करने की अंतिम तिथि थी। कुमार के माता-पिता ने आईआईटी की सीट बचाने के लिए राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, झारखंड विधिक सेवा प्राधिकरण और मद्रास हाईकोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया था।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या दिया आदेश

इस मामले पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़, जज जेबी पारदीवाला और जज मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा, ‘हम ऐसे प्रतिभाशाली युवक को अवसर से वंचित नहीं कर सकते। उसे मझधार में नहीं छोड़ा जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने आर्टिकल 142 के तहत अपनी शक्ति का इस्तेमाल करते हुए निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता को आईआईटी धनबाद में एडमिशन दिया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता जैसे स्टूडेंट कमजोर वर्ग से आते हैं। उनको एडमिशन लेने से रोका नहीं जा सकता है।

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