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केजरीवाल का नाम मतदाता सूची में वैध : आयोग

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नई दिल्ली | निर्वाचन आयोग ने बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल का नाम नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र की मतदाता सूची में वैध तरीके से दर्ज है। निर्वाचन आयोग ने उस आरोप को खारिज किया है, जिसमें कहा गया है कि दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री का नाम नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र में अवैध तरीके से दर्ज किया गया है, जहां से वह चुनाव लड़ रहे हैं।

निर्वाचन आयोग ने न्यायमूर्ति विभु बाखरू को बताया कि केजरीवाल का नाम मतदाता सूची में दर्ज किए जाने पर एक आपत्ति जताई गई थी, लेकिन मुद्दा अब सुलझ गया है। निर्वाचन आयोग के वकील ने न्यायालय को बताया कि केजरीवाल का नाम मतदाता सूची में वैध तरीके से दर्ज किया गया है। न्यायालय कांग्रेस नेता किरण वालिया और गैर सरकारी संगठन मौलिक भारत ट्रस्ट की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें यह सवाल उठाया गया है कि केजरीवाल उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के निवासी होने के बावजूद नई दिल्ली विधानसभा सीट से किस प्रकार चुनाव लड़ सकते हैं। वालिया ने यह दलील दी थी कि केजरीवाल को चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि उनका मतदाता सूची में नाम अवैध तरीके से दर्ज किया गया है। निर्वाचन आयोग के वकील ने यह भी कहा कि चूंकि मतदाता सूची में नामांकन की अंतिम तिथि समाप्त हो गई है, लिहाजा मतादाता सूची में अब कोई बदलाव नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा, जो भी आपत्ति की गई थी, हमने उसे सुलझा लिया है।न्यायालय ने आयोग से दस्तावेज दिखाने की मांग की और अगली सुनवाई बुधवार भोजनावकाश के लिए टाल दी। वालिया, केजरीवाल के खिलाफ नई दिल्ली सीट से चुनाव लड़ रही हैं। केजरीवाल के खिलाफ अपनी याचिका में उन्होंने आरोप लगाया है कि उन्होंने दिल्ली का अपना पता गलत दिया है। वालिया ने केजरीवाल पर निर्वाचन आयोग को गलत हलफनामा देने का आरोप लगाया है, जिसमें उन्होंने खुद को बी.के.दत्त कॉलोनी का स्थायी निवासी बताया है। याचिका के अनुसार, केजरीवाल ने फरवरी 2014 में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे के बाद तिलक लेन स्थित अपने सरकारी आवास को छोड़ दिया था और उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद स्थित कौशांबी के गिरनार अपार्टमेंट में रहने लगे थे। याचिका में कहा गया है कि चुनाव आयोग का केजरीवाल का नाम मतदाता सूची में शामिल करने का फैसला अवैध और अन्यायपूर्ण है, क्योंकि इसने दिल्ली के बाहर के एक व्यक्ति को मतदाता सूची में शामिल किया है। दिल्ली विधानसभा चुनाव के तहत मतदान शनिवार को कराया जाएगा। मतगणना 10 फरवरी को होगी।

नेशनल

ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 के बदले देने पड़ेंगे 35,453 रु, जानें क्या है पूरा मामला

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हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला

क्या है पूरा मामला ?

सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।

कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।

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