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उत्तराखंड

केसरिया रंग में रंगा उत्तराखंड, बीजेपी प्रचंड बहुमत की ओर

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देहरादून। उत्तराखंड में भाजपा स्पष्ट बहुमत से सरकार बनाने जा रही है। रुझानों में पीएम नरेंद्र मोदी की प्रचंड लहर साफ नजर आई। शुरुआती रुझानों में बीजेपी 55 सीटों पर आगे है। सत्तारूढ़ कांग्रेस केवल 12 सीट पर सिमटती नजर आ रही है। बसपा को कोई भी सीट हासिल नहीं मिली है।

उत्तराखंड की 70 विधानसभा सीटों पर शनिवार सुबह कड़ी सुरक्षा-व्यवस्था के बीच मतगणना शुरू हो गई। चुनाव में कुल 637 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला होगा जिसमें 62 महिलाएं भी हैं।

राज्य में 69 विधानसभा सीटों पर 15 फरवरी को मतदान हुए थे जबकि एक उम्मीदवार के निधन की वजह से उधम सिंहनगर सीट पर नौ मार्च को मतदान हुआ था।

इन विधानसभा चुनाव में कुल 75.92 लाख मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी और भारतीय जनता पार्टी ने सभी 70 सीटों पर अपने उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारे जबकि बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने 69 सीटों पर ही अपने उम्मीदवार उतारे।

उत्तराखंड

शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद

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उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।

बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.

उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।

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