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प्रादेशिक

कोलकाता के काबुलीवाले अफगानिस्तान में आतंकवादी हमलों से दुखी

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कोलकाता | अपनी मातृभूमि से कोसों दूर कोलकाता में बस चुके काबुलीवाले अफगानिस्तान में आतंकवादी हमलों से काफी दुखी हैं। वे यहां पर शरणार्थी की तरह एकांत जीवन व्यतीत कर रहे हैं। हालांकि उन्हें अब भी उम्मीद है कि जल्द ही उनके देश में शांति व्याप्त होगी। काबुलीवाला अथवा काबुल से आया व्यक्ति नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्र नाथ टैगोर की एक लघुकथा है जिसे 20वीं सदी की शुरुआत में लिखा गया था।

भारत के पूर्वी महानगर में यह समुदाय अब भी मिलजुलकर रह रहा है और थोड़ी संपन्नता भी अर्जित कर ली है। 21वीं सदी के काबुलीवाला फोटो पत्रकार मोस्का नजीब और नाजेस अफरोज ने ‘काबुल से कोलकाता : यादें पहचान और अपनेपन की’ नाम से एक फोटो प्रदर्शनी लगाई है, जिसमें काबुलीवालोंके जीवन को दर्शाया गया है। समुदाय के संगठन खुदाई खिदमतगार के अध्यक्ष आमिर खान ने शनिवार को प्रदर्शनी से इतर आईएएनएस से कहा, “जो कुछ भी अफगानिस्तान में हो रहा है वह मानवता नहीं है, इंसानियत नहीं है। हमारा दिल वहीं पर लगा रहता है। उम्मीद है जल्द ही शांति कायम होगी।” शहर के काशीपुर जैसे इलाकों में लगभग 5,000 अफगानी नागरिक रह रहे हैं। वे लंबी, मोटी और मजबूत कदकाठी के होते हैं और जीवन के प्रति उत्साहित रहते हैं। उनकी पत्नियां भारतीय हैं।

कभी हींग, सूखे मेवे और सूरमा विक्रेता के तौर पर पहचाने जाने वाले काबुलीवाला अब परिवहन, उधार पैसा देने और कपड़ा सीने के काम में उतर आए हैं। आमिर खान ने कहा, “हमारी खाने की संस्कृति, त्योहार सभी पहले की तरह ही बने हुए हैं। हममें से कुछ अब पैंट और शर्ट पहनने लगे हैं लेकिन जब अवसर की मांग होती है तो हम पारंपरिक सलवार-कमीज और पगड़ी पहनते हैं।” पिछले कुछ दशकों से उन्होंने हिंदी को भी अपना लिया है। तीसरी पीढ़ी के पश्तून दौलत खान एक तस्वीर में गर्व से अपनी दादी की देसी पोशाक की ओर इशारा करते हैं। कपड़ों का व्यापार करने वाले दौलत खान ने कहा, “जितना हमें अपनी परंपराओं को बनाए रखने का गर्व है उतनी ही समानता से हम कोलकाता के त्योहारों में भाग लेते हैं। हम भारतीय शादियों, कार्यक्रमों में शामिल होते हैं और हमें यहां की संस्कृति से प्यार है। हम सब यहां पर घुल-मिल गए हैं।”

उधार पैसा देने का कारोबार करने वाले शाह खान ने कहा कि वह एक दिन अपने पैतृक गांव फिर से जाना चाहते हैं। शाह खान ने कहा, “भारत का शुक्रिया, हम यहां पर एक शरणार्थी का जीवन व्यतीत कर रहे हैं। हमारे सिर पर छत है, खाना है, शिक्षा है। अफगानिस्तान में आतंकवाद का सामना कर रहे लोगों को इन चीजों के लिए हर दिन लड़ना पड़ता है।”

नेशनल

“दंगा फैलाने वालों को उल्टा लटकाएंगे,” कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय

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इंदौर। मध्य प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने दंगा भड़काने वालों को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा है कि ऐसे लोग शहर में रह नहीं पाएंगे। विजयवर्गीय ने अपने बयान में कहा कि “दंगा फैलाने वालों को उल्टा लटकाएंगे,” जिससे उन्होंने साफ संदेश दिया कि सरकार दंगा फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी। यह बयान उस समय आया जब विजयवर्गीय इंदौर के विजय नगर चौराहे पर श्री 108 सिद्ध चक्र महा मंडल विधान के आयोजन स्थल की व्यवस्था का निरीक्षण करने पहुंचे थे।

क्या है पूरा मामला ?

दीपावली पर पटाखे फोड़ने को लेकर हुए विवाद पर मध्य प्रदेश के कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने नाराजगी जताई. तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मंत्री ने कहा कि शांति भंग करने वाले तत्वों से सख्ती से निपटा जाएगा. BJP के वरिष्ठ नेता विजयवर्गीय ने उपद्रवियों को चेतावनी देते हुए कहा, “अगर वे मेरे हाथ लग गए तो मैं उन्हें उल्टा लटका दूंगा और पूरे शहर में घुमाऊंगा. इस शहर में कोई अशांति नहीं फैला सकता.”
इंदौर-1 से विधायक ने दावा किया, “इस मामले में प्रशासन बहुत सक्रियता से काम कर रहा है, लेकिन अगर ऐसा लगता है कि हमें भी इसमें शामिल होने की जरूरत है, तो हम पीछे नहीं हटेंगे. हम इस शहर के लिए कुछ भी कर सकते हैं.”

 

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