ऑफ़बीट
क्या आप जानते है कैसे बनती है ‘माचिस’
हमारे जीवन में हर एक छोटी बड़ी चीज बहुत मायने रखती है। चाहे फिर वो कोई चलती फिरती चीज हो या फिर कोई अजीवित वस्तु, अब आप माचिस ही को ले लीजिए माचिस देखने में जितनी छोटी है काम उतना ही अधिक देती है।
लेकिन क्या आप जानते है कि हमारी इतनी मदद करने वाली ये माचिस आखिर बनती कैसे है। अगर नहीं तो आइये बताते है आपको माचिस से जुडी कुछ अहम बातों को।
ऐसे बनती है माचिस-
पहले माचिस की तीलियों को हाथों से बनाना पड़ता था और हाथों से ही उसके सिरे पर मसाले लगाये जाते थे। माचिस के बॉक्स को भी लकड़ी के टुकड़ों के साथ ही बनाया जाता था। लेकिन बाद में इसे बनाने के लिए मशीनों का यूज़ होने लगा। अब लकड़ी की तीली, लकड़ी के बॉक्स, तीलियों पर मसाला लगाना और सुखाना, बॉक्स पर मसाला लगाना और लेबल चिपकाना, बॉक्स में तीलियाँ भरना आदि सारे काम मशीनों से होने लगे हैं।
ये भी जानें-
(1) भारत में माचीज़ का निर्माण सन 1895 से शुरू हुआ था। पहली फैक्ट्री अहमेदाबाद में और फिर कलकत्ता में खुली थी।
(2) स्वीडन की एक मैच मैन्युफैक्चरिंग कंपनी ने भारत में माचिस बनाने की कंपनी खोली थी। यह कंपनी ‘वेस्टर्न इंडिया मैच कंपनी’ के नाम से काम कर रही है।
(3) भारत में कुछ ही फ़ैक्टरीज़ ऐसी है जिनका सारा काम मशीनों से होता है, जबकि ज्यादातर फ़ैक्टरीज़ में हाथों से ही काम होता है।
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मध्य प्रदेश के शहडोल में अनोखे बच्चों ने लिया जन्म, देखकर उड़े लोगों के होश
शहडोल। मध्य प्रदेश के शहडोल से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां ऐसे बच्चों ने जन्म लिया है, जिनके 2 शरीर हैं लेकिन दिल एक ही है। बच्चों के जन्म के बाद से लोग हैरान भी हैं और इस बात की चिंता जता रहे हैं कि आने वाले समय में ये बच्चे कैसे सर्वाइव करेंगे।
क्या है पूरा मामला?
एमपी के शहडोल मेडिकल कालेज में 2 जिस्म लेकिन एक दिल वाले बच्चे पैदा हुए हैं। इन्हें जन्म देने वाली मां समेत परिवार के लोग परेशान हैं कि आने वाले समय में इन बच्चों का क्या भविष्य होगा। उन्हें समझ में ही नहीं आ रहा कि शरीर से एक दूसरे से जुड़े इन बच्चों का वह कैसे पालन-पोषण करेंगे।
परिजनों को बच्चों के स्वास्थ्य की भी चिंता है। बच्चों को ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया है। मेडिकल कालेज प्रबंधन द्वारा इन्हें रीवा या जबलपुर भेजने की तैयारी की जा रही है, जिससे इनका उचित उपचार हो सके। ऐसे बच्चों को सीमंस ट्विन्स भी कहा जाता है।
जानकारी के अनुसार, अनूपपुर जिले के कोतमा निवासी वर्षा जोगी और पति रवि जोगी को ये संतान हुई है। प्रेग्नेंसी के दर्द के बाद परिजनों द्वारा महिला को मेडिकल कालेज लाया गया था। शाम करीब 6 बजे प्रसूता का सीजर किया गया, जिसमें एक ऐसे जुडवा बच्चों ने जन्म लिया, जिनके जिस्म दो अलग अलग थे लेकिन दिल एक ही है, जो जुड़ा हुआ है।
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