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खेल-कूद

क्लार्क ने ह्यूज को समर्पित किया खिताब

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michel clarke

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मेलबर्न। न्यूजीलैंड को फाइनल मुकाबले में सात विकेट से हराकर रविवार को आईसीसी विश्व कप-2015 का खिताब जीतने वाली आस्ट्रेलियाई टीम के कप्तान माइकल क्लार्क ने विश्व कप खिताब पिछले वर्ष मैच के दौरान दुर्घटनावश असमय दिवंगत हुए साथी खिलाड़ी फिलिप ह्यूज को समर्पित किया। मेलबर्न क्रिकेट मैदान (एमसीजी) पर रविवार को हुए विश्व कप-2015 के फाइनल मैच में आस्ट्रेलिया ने न्यूजीलैंड को सात विकेट से मात दे दी और पांचवीं बार विश्व कप खिताब पर कब्जा जमाया।

मैच के बाद क्लार्क ने कहा कि ये जीत हमारे छोटे भाई फिलिप ह्यूज के नाम है। ह्यूज ऐसे अवसरों पर खूब जश्न मनाया करता था। हमें इस जीत पर गर्व है। अपने घरेलू मैदान पर अपने परिवार, मित्रों और घरेलू प्रशंसकों के सामने विश्व कप जीतना एक अद्भुत उपलब्धि है। क्लार्क के एकदविसीय करियर का यह आखिरी मैच था। उन्होंने फाइनल से पूर्व इस मैच के बाद एकदिवसीय क्रिकेट को अलविदा कहने की घोषणा कर दी है। क्लार्क मैच में बांह पर काली पट्टी बांध कर उतरे थे, जो उन्होंने ह्यूज के स्मरण में पहनी थी।

क्लार्क ने अपनी काली पट्टी की ओर इशारा करते हुए कहा कि मैं आगे भविष्य में जब भी आस्ट्रेलिया के लिए खेलूंगा यह काली पट्टी बांधकर ही खेलूंगा। ऐसा लग रहा था जैसे ह्यूज यहीं हैं। पिछला कुछ समय काफी मुश्किल गुजरा है और ऐसा लग रहा था कि हम 16 खिलाड़ियों के साथ यह विश्व कप खेले।” उल्लेखनीय है कि विश्व कप-2015 में किसी भी टीम को सिर्फ 15 सदस्यीय टीम के साथ उतरना था और क्लार्क ने 16वें खिलाड़ी के रूप में ह्यूज की ओर संकेत किया। क्लार्क ने एकदिवसीय क्रिकेट की अपनी विदाई पारी में 72 गेंदों में शानदार 74 रनों की पारी खेली।

क्लार्क ने हालांकि न्यूजीलैंड टीम और न्यूजीलैंड के कप्तान ब्रेंडन मैक्लम की भी सराहना की। उन्होंने कहा, “ब्रेंडन और न्यूजीलैंड टीम ने सराहनीय प्रदर्शन किया और उन्हें हराना हमेशा कठिन होता है। ब्रेंडन ने निजी तौर पर इस टूर्नामेंट में शानदार खेल का प्रदर्शन किया। हमारा समर्थन करने के लिए आस्ट्रेलिया के हर खेल प्रेमी का शुक्रिया।”

खेल-कूद

IND VS AUS: पर्थ में टूटा ऑस्ट्रेलिया का घमंड, भारत ने 295 रनों से दी मात

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पर्थ। भारतीय क्रिकेट टीम ने बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के पहले टेस्ट मैच में मेजबान ऑस्ट्रेलिया को धूल चटाते हुए नया कीर्तिमान रच दिया है। टीम इंडिया ने पर्थ में 16 साल बाद पहला टेस्ट मैच जीता है। इससे पहले भारत ने साल 2008 में कुंबले की कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया को हराया था। हालांकि यह मैच पर्थ के ऑप्टस स्टेडियम में खेला गया। पहली पारी में 150 रन बनाने वाली टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया को पहली पारी में सिर्फ 104 रनों पर ढेर कर दिया था। इसके बाद टीम इंडिया ने अपनी दूसरी पारी 487/6 रन के स्कोर पर घोषित करते हुए ऑस्ट्रेलिया के सामने 534 रनों का विशाल लक्ष्य रखा।

इस पहाड़ जैसे लक्ष्य का पीछा करते हुए ऑस्ट्रेलिया की टीम दूसरी पारी में सिर्फ 238 रनों के स्कोर पर ढेर हो गई। इस तरह टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया को उसी के घर में 295 रनों से हराकर बड़ा इतिहास रच दिया। ध्यान देने वाली बात यह है कि टीम इंडिया में न तो रोहित शर्मा थे, न ही शुभमन गिल, न ही रवींद्र जडेजा और रविचंद्रन अश्विन और न ही मोहम्मद शमी थे। इसके बावजूद टीम इंडिया ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की।

पर्थ टेस्ट की दूसरी पारी में यशस्वी जायसवाल ने 161 रन और विराट कोहली ने नाबाद शतकीय पारी खेली। दूसरी पारी में केेल राहुल ने भी 77 रनों की अहम पारी खेली। पहली पारी में टीम इंडिया 150 रनों पर सिमट गई थी पर भारतीय गेंदबाजों ने कमाल का कमबैक करते हुए पूरी ऑस्ट्रेलिया टीम को घुटनों पर ला दिया। ऑस्ट्रेलिया पहली पारी में 104 रन ही बना पाई। दूसरी पारी में टीम इंडिया ने कमाल का कमबैक करते हुए ऑस्ट्रेलिया के सामने 6 विकेट के नुकसान पर 487 रन बनाकर पारी घोषित कर दी। जिससे ऑस्ट्रेलिया को 534 रनो का टारगेट मिला। लेकिन चौथे दिन भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 295 रनों से हरा दिया।

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