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खजुराहो जल सम्मेलन में अन्ना ने भरी हुंकार, दूसरी क्रांति के लिए चेताया

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खजुराहो (मध्य प्रदेश)| मध्य प्रदेश के खजुराहो में दो दिवसीय राष्ट्रीय जल सम्मेलन के पहले दिन सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने राजनेताओं पर जमकर हमला बोला और देश में जल, जंगल और जमीन बचाने के लिए दूसरी क्रांति का आह्वान किया। जल जन जोड़ो अभियान की तरफ से मेला मैदान में आयोजित इस सम्मेलन का उद्घाटन राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किया।  अन्ना ने कहा, “निर्वाचित जनप्रतिनिधि और सरकारें आम आदमी की सेवक हैं, वास्तव में मालिक तो जनता है। मगर मालिक ही सो गया है, इसलिए सेवक लूट में लग गया है। अन्ना सम्मेलन में जब पहुंचे, तबतक मुख्यमंत्री जा चुके थे।”

अन्ना ने आगे कहा, “देश आजाद हुआ और उसके बाद लोकतंत्र आया, निर्वाचित प्रतिनिधि हमारे सेवक हैं, मगर वे मालिक बन बैठे हैं। सरकारें भी तभी डरती हैं, जब उन्हें लगने लगता है कि उनकी सरकार गिर सकती है, तो वे जनता की बात सुनने को मजबूर होती हैं। एक कहावत है- जब तक नाक नहीं दबाओं तब तक मुंह नहीं खुलता।” अन्ना ने अपने जीवन के संघर्ष की चर्चा करते हुए कहा कि जब वह 25 वर्ष के थे, तभी उन्होंने तय कर लिया था कि वह समाज के लिए काम करेंगे, इसीलिए शादी नहीं की। उसके बाद समाज के लिए अभियान चलाया। लेकिन “मैं युवाओं से यह नहीं कहूंगा कि वे भी शादी न करें, मगर इतना जरूर कहूंगा कि वे देश और समाज के लिए काम करें।” इसके पहले चौहान ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि वह “यहां मुख्यमंत्री नहीं, एक जल प्रेमी की हैसियत से आए हैं। जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने तालाबों का मुद्दा उठाया है। प्रशासन को निर्देश है कि वह तालाबों का सीमांकन, चिह्न्ीकरण कराने के बाद वहां हुए अतिक्रमण हटाए।” चौहान ने कहा, “बुंदेलखंड में हजारों तालाब हुआ करते थे, मगर अब वे अस्तित्व खो चुके हैं। नए तालाब, छोटे बांध आदि बनाए गए हैं। इसके साथ ही पौधारोपण किया जा रहा है। सरकार ने नर्मदा के संरक्षण के लिए नदी सेवा यात्रा निकाली।”

मुख्यमंत्री ने जल सम्मेलन में मौजूद लोगों से कहा कि वे इस सम्मेलन में निकले निष्कर्ष से उन्हें अवगत कराएं। राजेंद्र सिंह ने गांवों की स्थिति और जल स्त्रोतों के संरक्षण का मुद्दा उठाया। उन्होंने देश में नदियों और तालाबों की स्थिति का जिक्र किया और कहा, “यहां अतिक्रमण का बोलबाला है, गंदगी मिल रही है। वहीं जलस्त्रोत अपना अस्तित्व खो रहे हैं। देश में कभी साढ़े सात लाख तालाब हुआ करते थे, मगर अब ऐसा नहीं है। इसका असर जिंदगी पर पड़ रहा है। पानी तो है, मगर पीने लायक नहीं रह गया है।” सम्मेलन में देश भर के पर्यावरण प्रेमी हिस्सा ले रहे हैं। मेला मैदान में बुंदेलखंड की स्थिति को दर्शाने वाली प्रदर्शनी भी लगाई गई है।

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मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन, दिल्ली एम्स में ली अंतिम सांस

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नई दिल्ली। मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन हो गया है। दिल्ली के एम्स में आज उन्होंने अंतिम सांस ली। वह लंबे समय से बीमार चल रहीं थी। एम्स में उन्हें भर्ती करवाया गया था। शारदा सिन्हा को बिहार की स्वर कोकिला कहा जाता था।

गायिका शारदा सिन्हा को साल 2018 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर, 1952 को सुपौल जिले के एक गांव हुलसा में हुआ था। बेमिसाल शख्सियत शारदा सिन्हा को बिहार कोकिला के अलावा भोजपुरी कोकिला, भिखारी ठाकुर सम्मान, बिहार रत्न, मिथिलि विभूति सहित कई सम्मान मिले हैं। शारदा सिन्हा ने भोजपुरी, मगही और मैथिली भाषाओं में विवाह और छठ के गीत गाए हैं जो लोगों के बीच काफी प्रचलित हुए।

शारदा सिन्हा पिछले कुछ दिनों से एम्स में भर्ती थीं। सोमवार की शाम को शारदा सिन्हा को प्राइवेट वार्ड से आईसीयू में अगला शिफ्ट किया गया था। इसके बाद जब उनकी हालत बिगड़ी लेख उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया। शारदा सिन्हा का ऑक्सीजन लेवल गिर गया था और फिर उनकी हालत हो गई थी। शारदा सिन्हा मल्टीपल ऑर्गन डिस्फंक्शन स्थिति में थीं।

 

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