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मनोरंजन

खाने को धर्म से न जोड़ें : ऋषि कपूर

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मुंबई | महाराष्ट्र में गोमांस की बिक्री पर लगी रोक को ‘बेतुका’ बताने के बाद हिन्दू संगठनों की आलोचना झेलने वाले दिग्गज अभिनेता ऋषि कपूर ने एक बार फिर अपनी बात को वाजिब ठहराते हुए कहा कि धर्म और खानपान को आपस में नहीं जोड़ना चाहिए। हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह भारत में गोमांस नहीं खाते।

ऋषि को ट्विटर पर लिखी गोमांस संबंधी एक पोस्ट की वजह से तमाम आलोचनाएं झेलनी पड़ रही है। उन्होंने ट्वीट किया था, “मैं नाराज हूं। धर्म को खाने के साथ क्यों जोड़ते हो? मैं गोमांस खाने वाला हिंदू हूं। क्या इस मतलब यह है कि मुझे एक शाकाहारी व्यक्ति की तुलना में भगवान का डर कम है।” 62 वर्षीय ऋषि ने कभी नहीं सोचा था कि ट्विटर पर की गई उनकी टिप्पणी पर इतना बवाल होगा। ऋषि ने कहा, “मैं अपमानित हो रहा हूं। मेरे परिवार का अपमान किया जा रहा है। जैसे हम गायों की हत्या करने वाला परिवार हैं। क्या बेहूदगी है।”

इस पूरे घटनाक्रम पर ऋषि ने कहा, “मैं 15 मार्च को एक पांच-सितारा होटल में शूटिंग कर रहा था। हम लंच के लिए एक कॉफी शॉप में गए, जहां अचानक मेरी नजर खाने की तश्तरी में परोसी गई हिरण, कंगारू और मेमने की मीट पर पड़ी।” उन्होंने कहा, “मैंने अपने साथी कलाकारों से कहा, ‘यह गोमांस पर प्रतिबंध लगाने का असर है। लोगों ने मांसाहार के लिए अन्य जानवरों को मारना शुरू कर दिया है।’ मैंने अपनी जिंदगी में कभी हिरण का मांस नहीं देखा। हिरण भगवान श्रीराम को प्रिय था। हमें बताया गया कि यह हर रेस्तरां में परोसा जा रहा है। भारत में कंगारू का मांस?”

ऋषि ने बाद में इस वाकया को लेकर अपने विचार ट्विटर पर लिखे, जिसके बाद उनकी आलोचना की जाने लगी। ऋषि अपने बचाव में कहते हैं, “आप इस सच को झुठला नहीं सकते कि मांसाहार के लिए जानवरों को काटा जा रहा है। जिन हिंदू संगठनों ने मुझे निशाना बनाया, वे मुझे शाकाहारी बनाना चाहते हैं। लेकिन मैं शाकाहारी नहीं हूं और यह मेरी पसंद है।”

ऋषि गोमांस के शौकीन होने से इंकार नहीं करते, लेकिन उन्होंने कहा, “मैं भारत में गोमांस नहीं खाता। मैं खाने वाले पशु नस्ल से तैयार किए गए गोमांस को खाता हूं। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में वे लोग मांस के लिए विशेष रूप से पशु नस्ल तैयार करते हैं। हमारी तरह नहीं। इस देश में हम मांस खाने के लिए अलग से पशु नस्ल तैयार नहीं करते।” ऋषि ने बताया, “मेरे घर में गोमांस खाने की इजाजत नहीं है।”

उत्तर प्रदेश

डेकोरेटिव लाइट्स से महाकुंभ बनेगा भव्यता का प्रतीक

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प्रयागराज। महाकुंभ 2025 को दिव्य और भव्य बनाने के लिए योगी सरकार अनेक अभिनव प्रयास कर रही है। इसी क्रम में पूरे मेला क्षेत्र को डेकोरेटिव लाइट्स से सजाया जा रहा है। 8 करोड़ की लागत से उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लि. की ओर से पूरे मेला क्षेत्र में 485 डिजाइनर स्ट्रीट लाइट पोल का जाल बिछाया जा रहा है। संगम जाने वाली हर प्रमुख सड़क पर यह अलौकिक पोल और लाइट श्रद्धालुओं का स्वागत करती नजर आएगी। योगी सरकार का यह प्रयास न केवल श्रद्धालुओं को दिव्य अनुभव देगा, बल्कि भारतीय संस्कृति और आधुनिकता का अद्भुत संगम भी प्रस्तुत करेगा।

प्रमुख मार्गों पर अनूठी रोशनी का जादू

अधीक्षण अभियंता महाकुंभ मनोज गुप्ता ने बताया कि सीएम योगी की।मंशा के अनुरूप महाकुंभ को भव्य रूप देने के लिए विद्युत विभाग बड़े पैमाने पर कार्य कर रहा है। डेकोरेटिव लाइट्स और डिजाइनर पोल्स उसी का हिस्सा है। मेला क्षेत्र में लाल सड़क, काली सड़क, त्रिवेणी सड़क और परेड के सभी मुख्य मार्गों को आकर्षक डेकोरेटिव लाइट्स से रोशन किया जा रहा है। ये लाइट्स भगवान शंकर, गणेश और विष्णु को समर्पित हैं, जो श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शांति और सौंदर्य का अनुभव कराएंगी।

8 करोड़ की भव्य परियोजना

अधिशाषी अभियंता अनूप सिंह ने बताया कि पूरे मेला क्षेत्र में 8 करोड़ से ज्यादा की लागत से 485 डिजाइनर स्ट्रीट लाइट पोल लगाए जा रहे हैं। इस बार टेंपरेरी की बजाय स्थायी पोल्स का निर्माण किया गया है, जो महाकुंभ के बाद भी क्षेत्र की रौनक बनाए रखेंगे। हर पोल को कलश और देवी-देवताओं की आकृतियों से सजाया गया है, जो मेले के वातावरण को सांस्कृतिक वैभव से भर देंगे। 15 दिसंबर तक सभी डेकोरेटिव लाइट्स का कार्य संपन्न कर लिया जाएगा, जिसके बाद रात में मेला क्षेत्र की आभा देखते ही बनेगी।

विद्युत विभाग का अभिनव प्रयास

उन्होंने कहा कि महाकुंभ में आने वाले लाखों श्रद्धालुओं के अनुभव को यादगार बनाने के लिए यह विद्युत विभाग की ओर से एक अभूतपूर्व पहल है। आधुनिक तकनीक और सांस्कृतिक प्रतीकों के मेल से यह परियोजना महाकुंभ को विश्वस्तरीय भव्य आयोजन का दर्जा देगी। महाकुंभ के लिए लगाए गए ये डेकोरेटिव पोल्स स्थायी रहेंगे, जिससे क्षेत्र में आने वाले पर्यटक भी लंबे समय तक इस भव्यता का आनंद ले सकेंगे। डेकोरेटिव लाइट्स से सजे इस महाकुंभ में हर श्रद्धालु को आध्यात्मिक ऊर्जा और सांस्कृतिक गर्व का अनुभव होगा। यह पहल महाकुंभ को भारतीय संस्कृति की भव्यता और आधुनिक विकास का अद्वितीय प्रतीक बनाएगी।

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