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गंगा हुई दूर, चिंता में पड़े छठ व्रती

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chhathपटना| झारखंड की राजधानी रांची में रहने वाली शोभा भारद्वाज लोक आस्था का पर्व छठ मनाने के लिए अपने मायके पटना आई हैं, लेकिन उन्हें यह चिंता सता रही है कि इस बार गंगा तट पर सूर्य की स्तुति कैसे करेंगी, क्योंकि गंगा के कलेक्ट्रेट घाट पर गंगा की मुख्यधारा दूर चली गई है।

ऐसा नहीं कि केवल शोभा को ही यह चिंता सता रही है, पटना और आस-पास के आने वाले हजारों छठ व्रतियों को यह चिंता सताने लगी है कि गंगा की धारा के तटों से दूर हो जाने और वहां तक पहुंचने के लिए अब तक कोई समुचित व्यवस्था नहीं है। वे भगवान को अर्घ्‍य  कैसे अर्पित करेंगी। वैसे राज्य का सरकारी महकमा छठ व्रतियों की किसी प्रकार की परेशानी न हो, इसकी जुगत में लगा है।

अधिकारियों के अनुसार, पटना एवं इसके आसपास के क्षेत्रों में गंगा नदी के किनारे 88 से ज्यादा निबंधित ऐसे घाट हैं, जहां छठ पर्व के मौके पर व्रतियां सूर्यदेव को अर्घ्‍य देने पहुंचती हैं। इनमें से 20 घाटों को खतरनाक (असुरक्षित) घोषित किया गया है।

छठ करने वाले लोगों का मानना है कि छठ जैसे पावन पर्व को संस्कृति की जननी गंगा के तट पर करना छठ को और पावन बनाता है।

पटना प्रमंडल के आयुक्त आनंद किशोर सोमवार को छठ घाटों की तैयारियों का जायजा लिया था और असंतोष भी जताया। उन्होंने अधिकारियों से किसी हाल में तीन नवंबर तक घाट की तैयारी पूरा करने का निर्देश दिया है।

पटना के जिलाधिकारी संजय कुमार अग्रवाल कहते हैं कि खतरनाक घाटों पर प्रशासन की ओर से बैरिकेडिंग की जाएगी। पटना सदर अनुमंडल में 11 और पटना सिटी अनुमंडल में नौ घाट खतरनाक या अनुपयोगी चिह्न्ति किए गए हैं। पिछले वर्ष 32 घाटों को खतरनाक घोषित किया गया था।

उन्होंने दावा किया कि सभी घाटों पर तैयारी की जा रही है। चार नवंबर को फिर खतरनाक घाटों की सूची प्रकाशित की जाएगी।

इधर, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक और वरिष्ठ नेता नंदकिशोर यादव ने छठ घाटों का जायजा लेने के बाद बताया कि प्रशासन की ओर से खतरनाक घोषित घाटों पर वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की जा रही है।

उन्होंने कहा, “सरकार के स्तर पर जिस तरह की तैयारी चल रही है, इससे ऐसा लगता है कि छठ तक सब कुछ ठीक होना संभव नहीं है। अभी तक अस्थायी तालाब और पोखर का निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ है। घाटों पर दलदल की स्थिति बनी हुई है। कई घाटों पर जाने के लिए व्रतियों के लिए रास्ते का निर्माण नहीं कराया गया है।”

इस बीच कई संस्थाओं और युवकों की टोली भी छठ घाटों की सफाई की जिम्मेवारी संभाल ली है। सोमवार को ‘टोली यूथ फॉर स्वराज’ की टीम तथा चौहट्टा नवयुवक संघ के लोगों ने गंगा तट की सफाई की। इन लोगों का कहना है कि कई घाटों से गंगा की अविरल धारा दूर हो गई है, जिस कारण व्रतियों के लिए समस्या उत्पन्न हो गई है।

पटना की प्रियंका अग्रवाल कहती हैं कि आदर्श घट पर अभी भी नाले का पानी गंगा में गिर रहा है। इसकी सुध अभी तक नहीं ली गई है। ऐसी स्थिति में व्रतियों को परेशानी होगी।

पटना नगर निगम के नगर आयुक्त अभिषेक सिंह कहते हैं कि घाटों का लगातार निरीक्षण किया जा रहा है। जहां-जहां कमी दिखाई दे रही, उन्हें बेहतर करने का निर्देश दिया जा रहा है। घाटों पर छठव्रतियों को कोई परेशानी नहीं हो, इसके लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि इस वर्ष चार दिवसीय महापर्व की शुरुआत चार नवंबर को नहाय-खाय से होगी। पांच नवंबर को खरना तथा छह नवंबर को व्रतधारी अस्ताचलगामी सूर्य को और पर्व के अंतिम दिन सात नवंबर को उदीयमान सूर्य को अघ्र्य देंगे।

प्रादेशिक

IPS अधिकारी संजय वर्मा बने महाराष्ट्र के नए डीजीपी, रश्मि शुक्ला के ट्रांसफर के बाद मिली जिम्मेदारी

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महाराष्ट्र। महाराष्ट्र के नए डीजीपी का कार्यभार IPS संजय वर्मा को सौंपा गया है। आईपीएस संजय वर्मा को केंद्रीय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के नए पुलिस महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया है। कुछ ही दिनों में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव है। उससे पहले चुनाव आयोग ने राज्य कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले की शिकायत मिलने के बाद डीजीपी रश्मि शुक्ला के तबादले का आदेश दिया था।

कौन हैं IPS संजय वर्मा?

IPS संजय वर्मा 1990 बैच के पुलिस अधिकारी हैं। वह महाराष्ट्र में वर्तमान में कानून और तकनीकी के डीजी के रूप में कार्यरत रहे। वह अप्रैल 2028 में सेवानिवृत्त पुलिस सेवा से रिटायर होंगे। दरअसल, डीजीपी रश्मि शुक्ला को लेकर सियासी दलों के बीच पिछले कुछ समय से माहौल गर्म था। कांग्रेस के बाद उद्धव गुट की शिवसेना ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर उन्हें हटाने की मांग की थी।

कांग्रेस ने रश्मि शुक्ला की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग से उन्हें महानिदेशक पद से हटाने की मांग की थी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने उन पर आरोप लगाया था कि वह बीजेपी के आदेश पर सरकार के लिए काम कर रही हैं।

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