हेल्थ
गंभीर अस्थमा के इलाज की संभावना बढ़ी
लंदन। यूरोप में एक महत्वपूर्ण अध्ययन में गंभीर अस्थमा के कुछ महत्वपूर्ण लक्षणों की पहचान आसान हुई है, जिससे भविष्य में अस्थमा से पीड़ित रोगियों के इलाज में सहायता मिलेगी। अध्ययन में 11 देशों के वयस्क प्रतिभागियों के चार समूहों को शामिल किया गया और उन पर एक वर्ष तक नजर रखी गई।
समूह में गंभीर अस्थमा से पीड़ित धूम्रपान न करने वाले 311 और गंभीर अस्थमा से पीड़ित धूम्रपान करने वाले व धूम्रपान छोड़ चुके 110, हल्के अस्थमा से पीड़ित 88 रोगियों और 101 स्वस्थ लोगों को शामिल किया गया। परिणाम में साबित हुआ कि गंभीर अस्थमा से पीड़ित रोगियों में हल्के रोगग्रस्त लोगों की तुलना में गहरा लक्षण और प्रकोप पाया गया। इन रोगियों में तनाव और उत्कंठा का बढ़ा स्तर, निम्न गुणवत्ता वाला जीवन, नाक में ज्यादा पॉलिप, अम्ल अपच (गैस बनना) और फेफड़ों की खराब स्थिति पाई गई।
इस अध्ययन का एक मुख्य परिणाम यह भी निकला कि गंभीर अस्थमा से पीड़ित रोगियों की श्वास नली में इलाज के बावजूद अधिक सूजन पाया गया। युनिवर्सिटी ऑफ नॉटिंघम के मुख्य लेखक डॉमिनिक शॉ ने बताया कि परिणामों को विभिन्न समूहों में विभाजित कर रोगियों का शीघ्र और सही निदान किया जा सकता है और उनके रोग को बढ़ाने वाले कारकों के अनुरूप उपचार दिया जा सकता है। शॉ ने कहा कि इन नए उपचारों की पहचान करके हम पुराने रोग की समस्या को कम कर सकते हैं। यूरोपियन रेस्पिरेटरी जर्नल में प्रकाशित शोधपत्र आज के समय में गंभीर अस्थमा से पीड़ित वयस्कों के रोग के लक्षणों, रोगी के जीवन स्तर और रक्त व सांस नली से संबंधित सबसे बड़ा मूल्यांकन है।
उत्तर प्रदेश
टीबी नोटिफिकेशन में इस साल भी सबसे आगे योगी सरकार, लक्ष्य के करीब पहुंचा उत्तर प्रदेश
लखनऊ | योगी सरकार ने ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) के मरीजों की पहचान कर इलाज करने में एक बार फिर बड़ी सफलता हासिल की है। योगी सरकार ने पिछले वर्ष की तरह इस वित्तीय वर्ष में भी उत्तर प्रदेश को टीबी मुक्त बनाने के लक्ष्य में अन्य प्रदेशों की तुलना में आगे चलने का कीर्तिमान दर्ज किया है। योगी सरकार को इस साल 6.5 लाख मरीजों के चिन्हिकरण का लक्ष्य मिला था। अक्तूबर माह की समाप्ति तक लक्ष्य के सापेक्ष 86 प्रतिशत मरीजों की पहचान कर देश में पहले स्थान पर है जबकि दूसरे स्थान पर महराष्ट्र है, जहां पर 1,85,765 मरीजों का नोटिफिकेशन किया गया। इसी तरह बिहार तीसरे स्थान पर है, जहां 1,67,161 मरीजों का नोटिफिकेशन किया गया है। यानी इस साल भी बीते साल की तरह प्रदेश लक्ष्य से ऊपर टीबी नोटिफिकेशन कर लेगा।
लखनऊ, गोरखपुर में सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों को नोटिफिकेशन रहा बराबर
विशेषज्ञों का मानना है कि देश-प्रदेश से टीबी उन्मूलन का एक ही तरीका है कि ज्यादा से ज्यादा मरीजों का चिन्हिकरण व इलाज किया जाए। इसी के मद्देनजर केंद्रीय टीबी डिवीजन ने सभी प्रदेशों को साल की शुरुआत में टीबी नोटिफिकेशन का लक्ष्य तय किया था। उत्तर प्रदेश को 6.5 लाख मरीज खोजने का लक्ष्य दिया गया था। बीते साल यह 5.5 लाख का था। विभागीय आंकड़ों के मुताबिक 31 अक्तूबर तक प्रदेश में पांच लाख 59 हजार टीबी मरीजों की पहचान की जा चुकी है। इसमें प्राइवेट डाॅक्टरों की भूमिका भी सराहनीय रही है। दो लाख से ज्यादा मरीजों की पहचान यानी तकरीबन 40 प्रतिशत मरीज प्राइवेट डाॅक्टरों के माध्यम से पंजीकृत हुए हैं। आगरा, मथुरा, झांसी, कानपुर, मेरठ व मुरादाबाद में तो प्राइवेट डाक्टरों ने सरकारी डाॅक्टरों से भी ज्यादा बेहतर प्रदर्शन किया है। लखनऊ, गोरखपुर व बरेली में सरकारी व प्राइवेट नोटिफिकेशन बराबर का रहा है।
बीते साल भी प्रदेश ने लक्ष्य के सापेक्ष 115 प्रतिशत किया था टीबी नोटिफिकेशन
राज्य टीबी अधिकारी डॉ. शैलेंद्र भटनागर ने बताया कि सीएम योगी मंशा के अनुरुप वर्ष 2025 तक प्रदेश को टीबी मुक्त करने के लिए युद्धस्तर पर काम चल रहा है। इसी का नजीजा है कि इस वर्ष भी प्रदेश टीबी नोटिफिकेशन में अन्य प्रदेशों की तुलना में आगे चल रहा है। काबिले गौर है कि केंद्र द्वारा दिए गए इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग द्वारा तरह-तरह के प्रयास किए गए हैं। इनमें हर माह की 15 तारीख को एकीकृत निक्षय दिवस, एक्टिव केस फाइंडिंग (एसीएफ) अभियान व दस्तक अभियान का बार-बार चलाया जाना प्रमुख है। यही कारण है कि बीते साल भी प्रदेश ने लक्ष्य के सापेक्ष 115 प्रतिशत टीबी नोटिफिकेशन किया था। वर्ष 2023 में टीबी नोटिफिकेशन का लक्ष्य 5.5 लाख था जिसके सापेक्ष प्रदेश ने 6.33 लाख मरीज खोजे थे।
यहां प्राइवेट नोटिफिकेशन बढ़ने की जरूरत
टीबी उन्मूलन के लिए प्रदेश में ज्यादातर जनपदों में प्राइवेट डाक्टर सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं लेकिन कुछ जनपद ऐसे भी हैं जहां प्राइवेट नोटिफिकेशन बहुत कम हो रहा है। जैसे श्रावस्ती में इस साल सिर्फ 38 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं। इसके अलावा महोबा में सिर्फ 215, संतरवीदास नगर में 271, हमीरपुर में 277, कन्नौज में 293, सोनभद्र में 297, चित्रकूट में 312, सुलतानपुर में 370, अमेठी में 392 और कानपुर देहात में सिर्फ 395 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं। इन जनपदों में प्राइवेट डाक्टरों की प्रतिभागिता बढ़े जाने की जरूरत है।
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