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गतिरोध और निलंबन के बीच संसद का मॉनसून सत्र
संसद के मानसून सत्र को चलते आज दो सप्ताह हो गए।सिर्फ जरूरी विधायी कार्यों को निपटाने के अलावा सत्र के दौरान अभी तक जनहित में कोई ठोस कार्यवाही नहीं की जा सकी है, कारण ललितगेट सहित सत्तारूढ़ दल के लिए मुसीबत बन चुके व्यापम घोटाले के लिए संबंधित भाजपा नेताओं के इस्तीफे पर अड़ी कांग्रेस। हालांकि कांग्रेस को सदन के अंदर संपूर्ण विपक्ष का साथ मिलता नहीं दिख रहा है फिर भी कांग्रेस इस्तीफे की अपनी मांग को लेकर गतिरोध बनाए हुए है।
इस बीच कांग्रेस सदस्यों के गलत आचरण पर स्पीकर सुमित्रा महाजन ने 25 कांग्रसी सदस्यों को पांच दिनों के लिए सदन से निलंबित कर दिया है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों का ऐसा व्यवहार किस जनहित के तहत आता है? कांग्रेस का कहना है कि यह परिपाटी भाजपा ने ही शुरू की है कि पहले इस्तीफा उसके बाद चर्चा।
काफी हद तक यह बात सही भी है क्योंकि यूपीए के दस साल के शासनकाल में भाजपा ने पांच बार कई दागी मंत्रियों के इस्तीफे को लेकर संसद बाधित किया था। हालांकि देखने वाली बात यह भी है कि उन सभी दागी नेताओं चाहे वह सुरेश कलमाडी हों, ए.राजा हों अथवा पवन बंसल या अश्विनी कुमार सभी पर किसी न किसी मामलों में या तो देश की अदालतों में मुकदमा चल रहा था या एफआईआर दर्ज हो चुकी थी।
सवाल यह है कि राजनेताओं की इस नूराकुश्ती में आखिर नुकसान किसका हो रहा है? करदाताओं के पैसे से चलने वाली संसद की कार्यवाही को इस तरह से बाधित कर ये राजनीतिक दल क्या साबित करना चाहते हैं? क्या वे इसे जनता के हित में की गई कार्यवाही साबित कर पाएंगे? क्या जनता अपने माननीयों से यह सवाल नहीं पूछेगी कि हमारी समस्याओं के समाधान के लिए आखिर आपने क्या किया?
जवाब यह है कि जनता सवाल नहीं पूछती है इसीलिए इन माननीयों का साहस बढ़ता जा रहा है। जनता के लिए, जनता की और जनता के प्रति जवाबदेह इन सरकारों को आखिर कब तक हम जवाबदेही से विरत करते रहेंगे? हमें सवाल पूछना होगा और यदि हमने सवाल नहीं पूछा तो दोषी कहीं न कहीं हम भी होंगे। इस बीच अच्छी खबर यह है कि लैंड बिल पर सरकार लगभग सभी महत्तवपूर्ण संशोधन वापस लेने को तैयार हो गई है। अच्छा हो कि कांग्रेस सहित संपूर्ण विपक्ष सकारात्मक विपक्ष की भूमिका निभाते हुए संसद के अंदर सभी विषयों पर जरूरी चर्चा में भाग ले, न कि चर्चा से भाग ले।
उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग का प्रस्ताव- पुरुष दर्जी नहीं ले सकेंगे महिलाओं की माप, जिम में महिला ट्रेनर जरुरी
लखनऊ। अगर आप महिला हैं तो ये खबर आपके लिए है। दरअसल, यूपी में महिलाओं की सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए उ.प्र. राज्य महिला आयोग ने कुछ अहम फैसले लिए हैं जिसे जानना आपके लिए बेहद ज़रूरी हैं। शुक्रवार को आयोग की बैठक सम्पन्न हुई। इस दौरान महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कई अहम फैसले लिए गए। जो की इस प्रकार हैं।
1- महिला जिम/योगा सेन्टर में, महिला ट्रेनर होना चाहिए तथा ट्रेनर एवं महिला जिम का सत्यापन अवश्य करा लिया जाये।
2-महिला जिम/योगा सेन्टर में प्रवेश के समय अभ्यर्थी के आधार कार्ड/निर्वाचन कार्ड जैसे पहचान पत्र से सत्यापन कर उसकी छायाप्रति सुरक्षित रखी जाये।
3- महिला जिम/योगा सेन्टर में डी.वी.आर. सहित सी.सी.टी.वी. सक्रिय दशा में होना अनिवार्य है।
4. विद्यालय के बस में महिला सुरक्षाकर्मी अथवा महिला टीचर का होना अनिवार्य है।
5. नाट्य कला केन्द्रों में महिला डांस टीचर एवं डी.वी.आर सहित सक्रिय दशा में सी.सी.टी.वी. का होना अनिवार्य है।
6. बुटीक सेन्टरों पर कपड़ों की नाप लेने हेतु महिला टेलर एवं सक्रिय सी.सी.टी.वी. का होना अनिवार्य है।
7. जनपद की सभी शिक्षण संस्थाओं का सत्यापन होना चाहिये।
8. कोचिंग सेन्टरों पर सक्रिय सी.सी.टी.वी. एवं वाशरूम आदि की व्यवस्था अनिवार्य है।
9. महिलाओं से सम्बन्धित वस्त्र आदि की ब्रिकी की दुकानों पर महिला कर्मचारी का होना अनिवार्य है।
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