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मनोरंजन

गिरिजा देवी : ठुमरी की रानी, हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत का सितारा (श्रद्धांजलि)

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कोलकाता, 25 अक्टूबर (आईएएनएस)| अपनी मनमोहक जादुई आवाज से हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत श्रोताओं की कई पीढ़ियों के दिलों पर राज कर चुकीं गिरिजा देवी ने ठुमरी को ऊंचा स्थान दिलाने और उसे लोकप्रिय बनाने में एक प्रमुख भूमिका निभाई हैू। ठुमरी को दिए उनके योगदान के लिए उन्हें ठुमरी की रानी कहा गया है।

गिरिजा देवी का जन्म आठ मई, 1929 को बनारस में एक जमींदार रामदेव राय के घर हुआ था और उन्होंने पांच वर्ष की आयु से ही संगीत सीखना शुरू कर दिया था।

उनका पहले गुरु गायक और सारंगी वादक सरजू प्रसाद मिश्र थे और उसके बाद उन्होंने श्रीचंद मिश्र से संगीत की शिक्षा ली थी।

गिरिजा देवी हमेशा वाराणसी में बीते अपने बचपन के दिनों को याद करती रहती थीं, जहां उन्होंने खुद को लड़की के बदले लड़का अधिक समझता था।

उनके पिता ने उन्हें तैराकी, घुड़सवारी और लाठी चलाने की कला सीखने के लिए प्रोत्साहित किया, जो उन्हें पसंद आया। लेकिन पढ़ाई में उनकी अधिक रुचि कभी नहीं रही थी।

गिरिजा देवी ने कुछ वर्ष पूर्व एक साक्षात्कार में कहा था, उन्हीं बचपन के दिनों में मैंने गुड़ियों के साथ खेला भी और गुड्डा-गुड़ियों की शादी भी रचाई।

किशोरावस्था में उन्होंने खयाल, ध्रुपद, धमार, तराना और भारतीय लोक संगीत और भजन की शिक्षा ली। चूंकि वाराणसी हिंदू और मुस्लिम शास्त्रीय गायकों का केंद्र है, इस कारण दोनों परंपराओं के गुण उनमें अवतरित हुए थे, दोनों परंपराओं का उन्हें ज्ञान था।

ऑल इंडिया रेडियो के इलाहाबाद केंद्र ने वर्ष 1949 में गिरिजा देवी की प्रस्तुति को पहली बार प्रसारित किया था। इस केंद्र से जल्द ही प्रसारण की शुरुआत हुई थी। गिरिजा देवी की प्रतिभा को देखते हुए एआईआर प्रशासन ने इस 20 वर्षीय गायिका को शहनाई वादक बिस्मिल्लाह खान, हिंदुस्तानी गायिका सिद्धेश्वरी देवी और तबला वादक कंठे महराज के समकक्ष दर्जा दिया।

गिरिजा देवी ने कहा था, उस दौरान कलाकारों के लिए ऑडिशन या ग्रेडिंग की कोई व्यवस्था नहीं थी, लेकिन अनुबंध फॉर्म से मुझे पता चला कि मुझे उन सारे महान कलाकारों के समान मानधन का भुगतान किया जाता था।

इसके दो वर्ष बाद गिरिजा देवी ने पंडित ओमकारनाथ ठाकुर और कंठे महाराज जैसे दिग्गजों के साथ बिहार के आरा में एक संगीत सम्मेलन में प्रस्तुति दी।

उन्होंने देश-विदेश में बड़े पैमाने पर प्रस्तुतियां दी।

1978 में कोलकाता में आईटीसी संगीत रिसर्च एकेडमी की स्थापना के बाद गिरिजा देवी बनारस से कोलकाता जाकर बस गईं।

उन्हें पद्मश्री (1972), पद्मभूषण (1989) और पद्मविभूषण (2016) सम्मान से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा मध्य प्रदेश सरकार ने उन्हें तानसेन सम्मान से सम्मानित किया था।

वर्ष 1977 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार प्राप्त हुआ था।

वृद्धावस्था में भी गायन उनके लिए जीवनी शक्ति थी।

उन्होंने अपने 80वें जन्मजिन के कुछ समय पहले कहा था, अगर मैं खा सकती हूं, चल सकती हूं तो गा क्यों नहीं सकती?

गिरिजा देवी का कोलकाता में मंगलवार को 88 वर्ष की अवस्था में निधन हो गया।

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मनोरंजन

गदर जैसी हिट फिल्मों में अभिनय कर चुके टोनी मीरचंदानी का निधन

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मुंबई। बॉलीवुड अभिनेता टोनी मीरचंदानी का आज सोमवार को स्वास्थ्य समस्याओं के चलते अभिनेता का निधन हो गया। बता दें अभिनेता टोनी ‘कोई मिल गया’ और ‘गदर’ जैसी फिल्मों से दर्शकों के बीच मशहूर हुए थे। अभिनेता के निधन से सिनेमा जगत में मातम छाया हुआ है। दिवंगत अभिनेता के परिवार में उनकी पत्नी रमा मीरचंदानी और बेटी श्लोका मीरचंदानी हैं।

गदर जैसी हिट फिल्मों में कर चुके है अभिनय

टोनी मीरचंदानी ने फिल्मों के अलावा टीवी शो में भी काम किया है। वह एक मल्टी टैलेंटेड एक्टर थे। ‘कोई मिल गया’ में उनके रोल को दर्शकों ने खूब सराहा था। ‘गदर’ से भी उन्होंने दर्शकों के मन पर गहरी छाप छोड़ी। एक्टर का काम कला के प्रति उनके जुनून को दर्शाता था। वह टीवी जगत के भी एक लोकप्रिय अभिनेता थे। उन्होंने कई शो में काम किया। उन्हें स्क्रीन पर बेहतरीन किरदार निभाने में महारत हासिल थी जो एक एक्टर के तौर पर उनकी काबिलियत को बयां करता था। वह अक्सर सेट पर नए एक्टर्स को सलाह देते थे, जिसका खुलासा उनके को-एक्टर्स ने कई इंटरव्यू में किया था।

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