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ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंच के लिए एयरबीएनबी-सेवा में समझौता

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अहमदाबाद| समुदाय संचालित हॉस्पिटलिटी कंपनी, एयरबीएनबी ने गुरुवार को सेल्फ एम्प्लॉयड वूमैंस एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सेवा) के साथ एक समझौतापत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। इस साझेदारी द्वारा एयरबीएनबी, सेवा के सदस्यों के साथ काम करते हुए उन्हें अपने घर को एयरबीएनबी समुदाय के अंतर्राष्ट्रीय एवं घरेलू मेहमानों के साथ बांटने में मदद करेगा। इससे ग्रामीण इलाकों की महिलाओं के लिए आर्थिक अवसरों का निर्माण होगा और भारत के उन हिस्सों में पर्यटन का विकास होगा, जो परंपरागत रूप से पर्यटन एवं हॉस्पिटलिटी का लाभ नहीं उठा पाते हैं।

कंपनी ने एक बयान में कहा कि सेवा सदस्यों के नेटवर्क के माध्यम से ग्रामीण इलाकों में एयरबीएनबी होम्स के नेटवर्क का विस्तार करेगी। यह अभियान गुजरात से प्रारंभ होगा और अन्य राज्यों में पहुंचेगा, जहां पर सेवा सदस्यों की मजबूत पकड़ है। एयरबीएनबी एवं सेवा, सेवा सदस्यों को होम शेयरिंग, हॉस्पिटलिटी एवं सुविधाओं के मापदंडों पर प्रशिक्षित करेंगे।

एयरबीएनबी के निदेशक (पॉलिसी पार्टनरशिप्स, एशिया पेसिफिक) थाओ गुयेन ने कहा, “यह साझेदारी महिला उद्यमियों के आर्थिक सशक्तीकरण एवं ग्रामीण इलाकों में डिजिटल समावेशन को बढ़ावा देने के लिए एयरबीएनबी की प्रतिबद्धता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।”

एयरबीएनबी इंडिया के कंट्री मैनेजर अमनप्रीत बजाज ने कहा, “गुजरात एयरबीएनबी के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार है। आज की साझेदारी एवं गुजरात सरकार के साथ हमारे नए समझौतापत्र से स्थानीय स्टेकहोल्डर्स के साथ मिलकर स्थानीय समाज को लाभान्वित करने वाले होम शेयरिंग के मॉडल के निर्माण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता प्रदर्षित होती है। एयरबीएनबी पर होमस्टे प्रदान करने के लिए सेवा सदस्यों के साथ साझेदारी करके हमें उम्मीद है कि हम यात्रियों को ग्रामीण भारत का अद्वितीय एवं प्राकृतिक अनुभव प्रदान कर सकेंगे और साथ ही ग्रामीण समाज में पर्यटन के फायदे भी पहुंचा सकेंगे।”

सेवा डायरेक्टर रीमा नानावटी ने कहा, “एयरबीएनबी के साथ पार्टनरशिप करके हमें उम्मीद है कि हम भारत के 14 राज्यों में 20 लाख महिला सदस्यों, खासकर युवा महिलाओं को डिजिटल समावेशन का फायदा पहुंचाते हुए उन्हें नई अर्थव्यवस्था से जोड़कर सार्थक, फायदेमंद एवं सतत आजीविका के अवसर प्रदान कर सकेंगे। इस पार्टनरशिप द्वारा हम अपने सदस्यों को अधिक शक्तिशाली माईक्रो-इंटरप्रेन्योर बनने में मदद करेंगे।”

सेवा की रुरल ऑर्गेनाइजर हीना दवे ने कहा, “एयरबीएनबी के साथ पार्टनरशिप करने से हमारे सदस्यों को उन यात्रियों से मिलने का मौका मिलेगा, जो असली भारत की यात्रा करके स्थानीय समुदायों के परंपरागत जीवन का अनुभव लेना चाहते हैं। सेवा की महिला सदस्यों को दुनिया के सामने अपने कार्यो के प्रदर्शन का शानदार मौका मिलेगा और एयरबीएनबी की मेजबानी द्वारा उनके बच्चों को सम्मानजनक आजीविका के अवसर मिलेंगे। इससे शहरों की ओर पलायन रोकने में भी मदद मिलेगी।”

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भारत में चीनी लहसुन की घुसपैठ, सेहत के लिए है काफी खतरनाक

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लखनऊ। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग के नामित अधिकारी को शुक्रवार को तलब किया। कोर्ट ने इस दौरान सवाल किया कि प्रतिबंधित ‘चीनी लहसुन’ अब भी बाजार में कैसे उपलब्ध है। कोर्ट की लखनऊ पीठ ने केंद्र के वकील से देश में ऐसी वस्तुओं के प्रवेश को रोकने के लिए मौजूद सटीक व्यवस्था के बारे में भी प्रश्न किया है और यह भी पूछा है कि इसके प्रवेश के स्रोत का पता लगाने के लिए क्या कोई कवायद की गई है?

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने “चीनी लहसुन” की बिक्री पर लगाई रोक

न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति ओ पी शुक्ला की पीठ ने वकील मोतीलाल यादव द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) पर यह आदेश पारित किया। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि ‘चीनी लहसुन’ के हानिकारक प्रभाव होते हैं जिसकी वजह से देश में इस पर प्रतिबंध है। कोर्ट को बताया गया कि प्रतिबंध के बावजूद, लखनऊ सहित पूरे देश में ऐसा लहसुन आसानी से उपलब्ध है. याचिकाकर्ता ने अदालती कार्यवाही के दौरान न्यायाधीशों के समक्ष लगभग आधा किलो ‘चीनी लहसुन’ के साथ-साथ सामान्य लहसुन भी पेश किया।

लहसुन खरीदते समय इन बातों पर रखे ध्यान

लहसुन खरीदने के वक्त ध्‍यान रखें कि लहसुन की गांठ का साइज छोटा हो, क्‍योंकि देसी लहसुन, चाइनीज गार्लिक के मुकाबले कुछ छोटा दिखता है। जहां देसी लहसुन की कलियां या तुरी बारीक और पतली होती हैं वहीं चाइनीज लहसुन की कलियां खिली हुईं और मोटी आपको नजर आएंगी। दोनों के रंग में भी अंतर होता है। चाइनीज लहसुन क्योंकि कैमिकल्‍स के इस्‍तेमाल से तैयार किया जाता है, इसमें सिंथेटिक प्रोसेस का यूज होता है। यह एकदम सफेद, साफ और चमकदार आपको नजर आएगा। वहीं देसी लहसुन कुछ क्रीम या पीलापन लिए हुए सफेद लहसुन होता है।

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