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ग्लूटेन प्रोटीन के प्रति जागरूकता की कमी

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नई दिल्ली, 26 जून (आईएएनएस)| अधिकांश भारतीय घरों में गेहूं से तैयार भोज्य पदार्थ प्रयोग किए जाते हैं। हालांकि यदि आप कुछ दिन गेहूं वाले भोज्य पदार्थ छोड़ने पर हल्का महसूस करते हैं, तो संभव है कि आपको ग्लूटेन असहनशीलता की समस्या हो।

एक शोध में पता चला है कि करीब 10 प्रतिशत भारतीय आबादी ग्लूटेन से जुड़ी समस्याओं से ग्रसित है। यदि इलाज न किया जाए तो यह स्थिति हृदय रोग या पेट के कैंसर तक को जन्म दे सकती है।

ग्लूटेन असहनशीलता तब होती है, जब गेहूं में पाए जाने वाला ग्लूटेन प्रोटीन, पेट के अंदर मौजूद कोशिकाओं में विपरीत प्रतिक्रिया उत्पन्न कर देता है। इस रोग की तीव्रता, प्रकार और जीनोमिक बनावट पर निर्भर करता है कि व्यक्ति को गेहूं से एलर्जी है या वो सैलिएक रोग से पीड़ित है।

सैलिएक रोग में व्यक्ति पूरी तरह से ग्लूटेन प्रोटीन के प्रति असहनशील होता है। यह समस्या बच्चों और वयस्कों दोनों में हो सकती है। यह रोग माता-पिता से बच्चों में भी स्थानांतरित हो जाती है।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. के के अग्रवाल तथा आईएमए के मानद महासचिव डॉ. आर.एन. टंडन ने एक संयुक्त वक्तव्य में कहा, कई भारतीयों को लगता है कि ग्लूटेन असहनशीलता एक विदेशी रोग है। ऐसा इसलिए, क्योंकि इसे भारत में कभी गंभीरता से लिया ही नहीं गया। इस रोग के बारे में जागरूकता की कमी के कारण भी इसकी पकड़ नहीं हो पाती। ग्लूटेन एलर्जी, साधारण एलर्जी के विपरीत, आसानी से नजर नहीं आती, क्योंकि इसके लक्षण अन्य रोगों से मिलते जुलते होते हैं, जैसे सिर दर्द, पेट में मरोड़, पेट फूलना, चिंता, अवसाद वगैरह।

उन्होंने बताया कि ग्लूटेन से छोटी आंत के विलाई कोशिकाएं नष्ट हो सकती हैं, जिससे भोजन से पोषक तत्वों का अवशोषण बाधित होने लगता है। आजकल हम गेहूं के नए स्ट्रेन खाते हैं और आधुनिक हैक्साप्लॉएड गेहूं में एंटीजेनिक ग्लूटेन अधिक होता है, जो सैलिएक रोग की वजह बनता है।

शोध के अनुसार, ग्लूटेन असहनशीलता से अस्थमा, त्वचा में जलन, और महिलाओं में मासिक चक्र की गड़बड़ शुरू हो सकती है। इन लक्षणों की पहचान जरूरी है और ग्लूटेन असहनशीलता का प्रारंभ में ही परीक्षण भी जरूरी है, जिससे कि इसे रोका जा सके और यह कैंसर या अन्य किसी गंभीर रोग में परिवर्तित न हो सके।

डॉ. अग्रवाल ने आगे बताया, शरीर में मौजूद दो जीन्स, एचएलए अणुओं के डीक्यू2 या डीक्यू8, ग्लूटेन असहनशीलता या सैलिएक रोग के खतरे को पहचानने में मदद कर सकते हैं। डीएनए टेस्ट विश्लेषण से लक्षणों, कारणों व भोजन की आदतों में परिवर्तन को समझने में सहायता मिल सकती है। अच्छा हो यदि खतरों को पहले ही भांप लिया जाए और सुधार की दिशा में कदम उठाए जाएं।

ग्लूटेन असहनशीलता होने का यह मतलब नहीं कि व्यक्ति गेहूं के उत्पाद खा ही सकता। यह संभव है कि गेहूं के उत्पादों को बदल बदल कर दिया जाए, जिनसे समस्या न होती हो। ग्लूटेन रहित भोजन की आदत पड़ने में समय लग सकता है। अनेक ग्लूटेन रहित भोजन ऐसे हैं तो स्वादिष्ट होने के साथ साथ पौष्टिक भी हैं। इनमें से कुछ हैं-

– बीन्स, बीज और गिरी

– ताजे अंडे

– ताजा मांस, मछली और चिकन

– फल व सब्जियां

– दूध से तैयार पदार्थ

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नेशनल

पीएम मोदी पर लिखी किताब के प्रचार के लिए स्मृति ईरानी चार देशों की यात्रा पर

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नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एक नवीनतम पुस्तक ‘मोडायलॉग – कन्वर्सेशन्स फॉर ए विकसित भारत’ के प्रचार के लिए चार देशों की यात्रा पर रवाना हो गई हैं। यह दौरा 20 नवंबर को शुरू हुआ और इसका उद्देश्य ईरानी को मध्य पूर्व, ओमान और ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों से जोड़ना है।

स्मृति ईरानी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि,

एक बार फिर से आगे बढ़ते हुए, 4 देशों की रोमांचक पुस्तक यात्रा पर निकल पड़े हैं! 🇮🇳 जीवंत भारतीय प्रवासियों से जुड़ने, भारत की अपार संभावनाओं का जश्न मनाने और सार्थक बातचीत में शामिल होने के लिए उत्सुक हूँ। यह यात्रा सिर्फ़ एक किताब के बारे में नहीं है; यह कहानी कहने, विरासत और आकांक्षाओं के बारे में है जो हमें एकजुट करती हैं। बने रहिए क्योंकि मैं आप सभी के साथ इस अविश्वसनीय साहसिक यात्रा की झलकियाँ साझा करता हूँ

कुवैत, दुबई, ओमान और ब्रिटेन जाएंगी स्मृति ईरानी

डॉ. अश्विन फर्नांडिस द्वारा लिखित यह पुस्तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन दर्शन पर प्रकाश डालती है तथा विकसित भारत के लिए उनके दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करती है। कार्यक्रम के अनुसार ईरानी अपनी यात्रा के पहले चरण में कुवैत, दुबई, फिर ओमान और अंत में ब्रिटेन जाएंगी।

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