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चीनी उपकर पर राज्यों के मंत्रियों का समूह करेगा विचार

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नई दिल्ली, 4 मई (आईएएनएस)| चीनी उद्योग को संकट से उबारने के मकसद से केंद्र की ओर से उठाए जा रहे कदमों में चीनी पर उपकर (सेस) लगाने को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

मगर, शुक्रवार को हुई वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की बैठक में चीनी उपकर लगाने के फैसले को फिलहाल टाल दिया गया। परिषद ने इस मुद्दे पर विचार-विमर्श करने के लिए एक मंत्रिसमूह का गठन करने का फैसला किया। जीएसटी परिषद के फैसले के मुताबिक, चीनी उपकर पर विचार करने के लिए दो दिन के भीतर राज्यों के पांच वित्त मंत्रियों की एक समिति बनाई जाएगी। यह समिति दो सप्ताह के भीतर चीनी पर उपकर लगाने के प्रस्ताव पर अपनी सिफारिश देगी।

बैठक के बाद केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा, लागत में इजाफा होने से गन्ना उत्पादक गंभीर संकट में हैं। इसलिए परिषद ने दो दिन के भीतर पांच मंत्रियों के एक समूह का गठन करने का फैसला लिया है जो वस्तु की लागत, विक्रय मूल्य से अधिक होने की स्थिति से निपटने के तरीकों को लेकर अपनी सिफारिश देगा। उन्होंने कहा कि मंत्रिसमूह अपनी रिपोर्ट दो हफ्ते के भीतर देगा।

देश के कुछ ही प्रदेशों में गो का ज्यादा उत्पादन होता है जिनमें उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक प्रमुख हैं। इन तीनों राज्यों में कुल चीनी उत्पादन का 80 फीसदी उत्पादन होता है। बाकी 20 फीसदी उत्पादन कुछ अन्य राज्यों में होता है जबकि कई राज्यों में गो की खेती न के बराबर होती है। लिहाजा, कुछ राज्य प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं।

मौजूदा चीनी उत्पादन व विपणन वर्ष 2017-18 (अक्टूबर-सितंबर) में अप्रैल के आखिर तक देश में चीनी का उत्पादन 310 लाख टन से ज्यादा हो गया। खपत के मुकाबले आपूर्ति ज्यादा होने से घरेलू बाजार में चीनी की कीमतों में गिरावट आई, जिसके चलते मिलों पर गन्ना किसानों का बकाया लगभग 20,000 करोड़ रुपये हो गया है।

गन्ना उत्पादकों के बकाये का भुगतान समय से किए जाने के उपाय के मद्देनजर सरकार ने मिलों को उत्पादन लागत में राहत प्रदान करते हुए किसानों को गो की खरीद पर 55 रुपये टन की दर से सीधा भुगतान करने का फैसला किया। इसके लिए फंड की व्यवस्था करने के मकसद से केंद्र सरकार चीनी पर उपकर लगाना चाहती है।

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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