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चीन के साथ संबंधों को नया आयाम देते मोदी

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भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी अपने चीन दौरे में दोनों देशों के बीच रिश्तों को नई ऊंचाई ले गए हैं। पहली बार किसी देश के पीएम ने राजधानी शंघाई से बाहर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। जिनपिंग के गृहनगर शियान में दोनों देशों ने आपसी भरोसे को मजबूत करने व साझी सीमाओं पर शांति बनाए रखने के उपायों पर विस्तृत चर्चा की। चीन के साथ भारत के उतार-चढ़ाव वाले रिश्ते को देखते हुए दोनों देशों के बीच हुए कुल 24 समझौते नई उम्मीद जगा गए हैं, जिनमें नए वाणिज्य दूतावास खोलने पर सहमति बनी है, तो रेलवे, खनिज संपदा, शिक्षा, भूकंप विज्ञान, अंतरिक्ष आदि अनेक क्षेत्रों में मिल-जुलकर काम करने की प्रतिबद्धता की भी बात की गई है।

यह सच है कि भारत-चीन के बीच संबंधों में सुधार के लिए सीमा विवाद का सुलझना बहुत जरूरी है। इनके पूरी तरह सुलझे बगैर दोनों देशों के रिश्तों में स्थायी सौहार्द की उम्मीद नहीं की जा सकती। इस संदर्भ में फिलहाल सैनिकों के बीच मेलजोल और कमांडर्स के बीच बातचीत बढ़ाने तथा विवादों के समाधान के लिए हॉटलाइन का इस्तेमाल करने पर जोर दिया गया है। दरअसल दोनों देशों के बीच सबसे बड़ी समस्या ′विश्वास की कमी′ की है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भारत दौरे के दौरान भी इसकी झलक दिखी थी, जब चीन की सेना ने अप्रत्याशित ढंग से सीमा पर घुसपैठ की थी। हालांकि दशकों से भारत-चीन सीमा पर एक भी गोली नहीं चली है, लेकिन राजनीतिक और आर्थिक मोर्चे पर गहरे रिश्ते बनाने को लेकर दोनों पक्षों में अब भी विश्वास की काफी कमी है।

इस दौरे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीमा विवाद, व्यापार असंतुलन, नत्थी वीजा और पाक अधिकृत कश्मीर में चीन की बढ़ती मौजूदगी जैसे मुद्दों पर बीजिंग से जिस तरह दोटूक बात की है, वह बेहद महत्वपूर्ण है। हालांकि चीन का रुख हमेशा की तरह अप्रत्याशित रहा है। एक तरफ तो वह विवादित मुद्दों को बातचीत के रास्ते हल करने पर जोर देता है लेकिन दूसरी ओर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी सीमाई इलाकों में अपनी दादागिरी का परिचय देती रहती है। इस बार भी मोदी के दौरे के वक्त ही चीन के सरकारी चैनल ने जम्मू-कश्मीर और अरुणाचल के बिना दिखाया भारत का नक्शा प्रसारित कर दिया। इससे नया विवाद खड़ा होने की आशंका है।

इसके अलावा दोनों देशों के बीच अब तक व्यापार चाहे जितना भी बढ़ा हो, पलड़ा बीजिंग की ओर ही झुका नजर आता था लेकिन मोदी की इस यात्रा में वह असंतुलन भी दूर होता नजर आया है। दोनों देशों के बीच 22 अरब डॉलर के 21 व्यवसायिक समझौतों पर हस्ताक्षर हुए हैं जो भविष्य में मील का पत्थर साबित हो सकते हैं। इन सभी घोषणाओं पर अगर समय से अमल और गंभीरता से काम हो, तो आने वाले दिनों में हम भारत और चीन के बीच नया सौहार्दपूर्ण संबंध बनते हुए देख सकते हैं। देखना यह है कि ये कवायदें दोनों देशों के बीच कटुता दूर करने में कितनी सहायक होती हैं।

प्रादेशिक

IPS अधिकारी संजय वर्मा बने महाराष्ट्र के नए डीजीपी, रश्मि शुक्ला के ट्रांसफर के बाद मिली जिम्मेदारी

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महाराष्ट्र। महाराष्ट्र के नए डीजीपी का कार्यभार IPS संजय वर्मा को सौंपा गया है। आईपीएस संजय वर्मा को केंद्रीय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के नए पुलिस महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया है। कुछ ही दिनों में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव है। उससे पहले चुनाव आयोग ने राज्य कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले की शिकायत मिलने के बाद डीजीपी रश्मि शुक्ला के तबादले का आदेश दिया था।

कौन हैं IPS संजय वर्मा?

IPS संजय वर्मा 1990 बैच के पुलिस अधिकारी हैं। वह महाराष्ट्र में वर्तमान में कानून और तकनीकी के डीजी के रूप में कार्यरत रहे। वह अप्रैल 2028 में सेवानिवृत्त पुलिस सेवा से रिटायर होंगे। दरअसल, डीजीपी रश्मि शुक्ला को लेकर सियासी दलों के बीच पिछले कुछ समय से माहौल गर्म था। कांग्रेस के बाद उद्धव गुट की शिवसेना ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर उन्हें हटाने की मांग की थी।

कांग्रेस ने रश्मि शुक्ला की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग से उन्हें महानिदेशक पद से हटाने की मांग की थी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने उन पर आरोप लगाया था कि वह बीजेपी के आदेश पर सरकार के लिए काम कर रही हैं।

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