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साइंस

छात्र ने खोजा 12 करोड़ साल पुराने टिड्डे का जीवाश्म

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बीजिंग, चीन, 12 करोड़ साल पुराने टिड्डे के जीवाश्म की खोज, लंबी सींग वाले आधुनिक टिड्डे का पूर्वज, चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज, नानजिंग इंस्टीट्यूट ऑफ जियोलॉजी एंड पेलियोंटोलॉजी के छात्र वांग हे

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बीजिंग| चीन में एक छात्र ने 12 करोड़ साल पुराने टिड्डे के जीवाश्म की खोज की है, जो लंबी सींग वाले आधुनिक टिड्डे का पूर्वज है। चाइना ओआरजी की एक रपट के मुताबिक, जीवाश्म युमेन के गांशु प्रांत में मिला। जीवाश्म की खोज करने वाले चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज के तहत नानजिंग इंस्टीट्यूट ऑफ जियोलॉजी एंड पेलियोंटोलॉजी के छात्र वांग हे ने कहा, “कीड़ों के केवल पंख ही जीवाश्म के रूप में बच पाते हैं। जमीन के अंदर इनके शरीर के बाकी हिस्से नष्ट हो जाते हैं या उसे कोई अन्य प्राणी खा जाता है।”

वांग ने कहा, “पंखों को देखकर पता चलता है कि यह कीड़ा आधुनिक कैटिडिट का पूर्वज है।” वांग ही के अनुसार, पंख की रचनाओं को देखकर लगता है कि यह कीड़ा आधुनिक कीड़ों की तरह आवाज निकालता होगा, हालांकि आधुनिक कैटिडिड के पंख और जनन अंग पूर्वजों की अपेक्षा कमजोर होते हैं। संस्थान में पेलियोंटोलॉजी के प्रोफेसर झांग हाईचुन ने कहा कि यह कीड़ा चीन के किसी दूसरे हिस्से या दुनिया के किसी अन्य हिस्से में नहीं पाया जाता। उन्होंने कहा कि ये कीड़े क्रिटासियस काल के दौरान विश्व के सबसे पुराने फूल-पत्तियों को खाकर जीवित रहते थे।

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फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन, जानें कुछ उनके बारे में

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नई दिल्ली। इंडियन न्यूक्लियर प्रोग्राम के जनक और फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन है। जे. भाभा, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) के फाउंडिंग डायरेक्टर और फिजिक्स के प्रोफेसर भी थे। होमी जहांगीर भाभा का जन्म 30 अक्टूबर 1909 में एक अमीर पारसी परिवार में हुआ था। होमी जहांगीर भाभा के पिता का नाम जहांगीर होर्मुस्जी भाभा और माता का नाम मेहरबाई भाभा था, इनके पिता एक जाने-माने वकील थे जबकि माँ एक गृहिणी थीं।

होमी भाभा ने 16 साल की आयु में ही सीनियर कैम्ब्रिज परीक्षा पास कर ली थी। फिर वे गोनविले और कैयस कॉलेज में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के लिए कैम्ब्रिज गए। इसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज में कैवेंडिश लैब में रिसर्च करना शुरू किया और उनका पहला रिसर्च पेपर 1933 में प्रकाशित हुआ। दो साल बाद, उन्होंने अपनी पीएचडी हासिल की और 1939 तक कैम्ब्रिज में रहे।होमी भाभा ने छात्र के रूप में कोपेनहेगन में नोबेल पुरस्कार विजेता नील्स बोहर के साथ काम किया और क्वांटम सिद्धांत के विकास में प्रमुख भूमिका निभाई।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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