प्रादेशिक
छेड़खानी का विरोध करने पर युवती को जिंदा जलाया
बरेली। बरेली में छेड़छाड़ का विरोध करने पर युवती को जिंदा जलाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। इलाज के दौरान युवती की मौत जिला अस्पताल में हो गई। पुलिस ने युवती के पिता की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर लिया है।
घटना शाही थानाक्षेत्र के गणेशपुर की है। स्थानीय निवासी नोनीराम का आरोप है कि रविवार दोपहर को उनकी बेटी बबली को पड़ोस में रहने वाले लड़के हरिओम ने सड़क पर छेड़ने की कोशिश की थी। बबली ने इसकी शिकायत हरिओम की बहन लक्ष्मी से की थी। इस पर हरिओम गुस्सा गया था। उसने इस बात पर रंजिश रखते हुए बदला लेने की ठान ली थी।
आरोप है की बीती रात हरिओम चुपके से घर में घुसा और फिर बबली से छेड़छाड़ की कोशिश की। युवती ने विरोध किया और शोर मचाया, लेकिन पड़ोस में आटा चक्की के शोर में आवाज अनसुनी रह गई। इसके बाद सिरफिरे हरिओम ने घर पर ही रखे केरोसिन की केन उड़ेलकर बबली को आग के हवाले कर दिया।
आग की लपटें जब छत तक उठने लगीं तो परिवारीजनों को जानकारी हुई। इस दौरान हरिओम मौके से भाग गया। बबली को इलाज के लिए जिला अस्पताल लाया गया, जहां उसकी देर रात मौत हो गई। वहीं, इस मामले में पिता की तहरीर पर पुलिस ने आरोपी हरिओम के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है।
उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश में डीजीपी की नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव पर समाजवादी पार्टी के मुखिया ने उठाया सवाल, जानें अब कैसे चुने जाएंगे डीजीपी
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में डीजीपी की नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव पर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने सवाल उठाया है। अखिलेश यादव ने कहा कि यह जो नियम बना है उससे साबित हो रहा है कि लखनऊ और दिल्ली में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। कहीं ये दिल्ली के हाथ से लगाम अपने हाथ में लेने की कोशिश तो नहीं है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधते हुए कहा कि सपा नेता ने कहा कि सरकार के इस फैसले से कई सीनियर आईपीएस अधिकारी निराश हैं।
क्या है पूरा मामला
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने डीजीपी पद पर तैनाती के लिए नई नियमावली बना दी है. इस प्रत्सव पर सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक में मुहर भी लग गई. इसके लागू होते ही राज्य सरकार अपने स्तर से ही डीजीपी की तैनाती कर सकेगी. इससे पहले राज्य सरकार नामों का पैनल यूपीएससी को भेजती थी, जहां से मुहर लगती थी. हालांकि योगी सरकार के इस फैसले पर सियासत के साथ ही पुलिस महकमे में भी तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं.
क्या है नया नियम
नई नियमावली के तहत पे मैट्रिक्स 16 लेवल के सभी अधिकारी डीजीपी बनने के लिए अब क्वालीफाई कर सकेंगे, जिनकी छह महीने की नौकरी बची हो. आमतौर पर डीजी स्तर के सभी अधिकारी इस लेवल पर होते हैं. अभी तक यूपीएससी गाइडलाइंस के तहत डीजी स्तर के सभी अफसरों का नाम प्रदेश सरकार यूपीएससी को भेजती है, यूपीएससी इनमें से सीनियर मोस्ट तीन अफसरों के नाम प्रदेश सरकार को वापस भेजती थी. इनमें से ही किसी एक को ही विजिलेंस क्लियरेंस के बाद डीजीपी बनाना होता है. सितंबर 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को एक पुलिस एक्ट बनाने के लिए कहा था, जिससे डीजीपी के चयन की व्यवस्था को दबाव से मुक्त रखा जाए, लेकिन तब से अब तक चयन के लिए यूपी ने कोई अलग व्यवस्था नहीं की थी. अब यूपी में डीजीपी के चयन की अपनी नियमावली कैबिनेट से पास करके बना ली है.
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