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प्रादेशिक

जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाईवे पर एकतरफा यातायात शुरू

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जम्मू। कश्मीर घाटी को देश के बाकी के हिस्से से जोड़ने वाले श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर मंगलवार को मौसम में सुधार की वजह से एक तरफ से यातायात शुरू कर दिया गया है। राज्य की बड़ी नदियों का जल स्तर भी कम हो गया है, जिससे राज्य में बाढ़ का खतरा कम हुआ है।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने जम्मू में मंगलवार को कहा कि जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग को एक तरफ से खोल दिया गया है। हालांकि, सिर्फ जम्मू से श्रीनगर की तरफ वाहनों को जाने की इजाजत दी गई है। घाटी जाने वाले 2,000 से अधिक यात्री राजमार्ग बंद रहने के कारण पिछले तीन दिनों से जम्मू शहर में फंसे हुए हैं। अधिकारियों ने सोमवार को बताया था कि अगर राजमार्ग मंगलवार को नहीं खुलता तो, श्रीनगर और जम्मू के बीच फंसे लोगों को बाहर निकालने के लिए भारतीय वायुसेना से संपर्क किया जाएगा।

पिछले तीन दिनों से हो रही बारिश से हुए भूस्खलन के कारण जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग बंद हो गया था। अब तक बाढ़ में 18 लोगों की मौत हो चुकी है। बडगाम के लादेन गांव में सोमवार को भूस्खलन के कारण दो परिवार के 6 लोग जिंदा दफन हो गए। मलबे से चार महिलाओं, एक पुरुष और एक नवजात का शव बरामद किया गया। माना जा रहा है कि और भी शव मलबे के नीचे दबे हो सकते हैं, जिन्हें निकालने की कोशिश जारी है। जम्मू क्षेत्र के उधमपुर जिले में सोमवार को पर्वत से निकल रही धारा में दो युवक बह गए। अब तक सेना और स्थानीय प्रशासन ने 800 से अधिक लोगों को विभिन्न इलाके से निकाल कर सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया है।

राज्य में सोमवार शाम से मौसम में सुधार हुआ है और महत्वपूर्ण नदियों के जलस्तर में भी गिरावट आई है और पर्वत की तरफ से निकलने वाली धाराओं में भी कमी आई है। बाढ़ नियंत्रण विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने श्रीनगर में बताया कि मंगलवार सुबह आठ बजे अनंतनाग के संगम में झेलम नदी का जलस्तर 16.45 फुट, श्रीनगर के राम मनशिबाग में 18.30 फुट और बांदीपोरा के अशाम में 12.75 फुट था।” अधिकारी ने हालांकि, यह भी कहा कि झेलम नदी का जलस्तर अब भी खतरे के निशान के नजदीक है, लेकिन मौसम में सुधार के कारण बाढ़ का खतरा टला है।

IANS News

महाकुंभ में बिछड़ने वालों को अपनों से मिलाएंगे एआई कैमरे, फेसबुक और एक्स भी करेंगे मदद

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प्रयागराज। महाकुंभ की तैयारियों को अंतिम रूप देने में लगी योगी आदित्यनाथ सरकार पहली बार इतने व्यापक स्तर पर महाआयोजन का डिजिटलाइजेशन कर रही है। यहां एआई की मदद से ऐसे कैमरे लगाए जा रहे हैं, जो 45 करोड़ श्रद्धालुओं की हिफाजत में 24 घंटे तैनात रहेंगे। एआई लाइसेंस वाले इन कैमरों के साथ ही फेसबुक और एक्स जैसे सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म भी बिछड़ने वाले परिजनों को खोजने में तत्काल मदद करेंगे।

मदद करेगा डिजिटल खोया पाया केंद्र

इस बार महाकुंभ में देश विदेश से बड़ी संख्या में आने वाले लोगों को अपनों को खोने का डर नहीं सताएगा। मेला प्रशासन ने इसकी व्यापक कार्ययोजना तैयार की है। इसके लिए डिजिटल खोया पाया केंद्र को एक दिसंबर से लाइव किया जाएगा। इसके माध्यम से 328 एआई लाइसेंस वाले कैमरे पूरे मेला क्षेत्र पर नजर रखेंगे। इन सभी कैमरों का परीक्षण कर लिया गया है। पूरे मेला क्षेत्र को इन विशेष कैमरों से लैस किया जा रहा है। योगी सरकार के निर्देश पर बड़े पैमाने पर कैमरे इंस्टॉल करने का काम अपने अंतिम चरण में है। मेला क्षेत्र की चार लोकेशन पर इन विशेष एआई कैमरों का परीक्षण भी किया जा चुका है।
महाकुंभ में अब कोई भी अपना बिछड़ने नहीं पाएगा।

पलक झपकते काम करेगी तकनीक

महाकुंभ 2025 में शामिल होने वाले श्रृद्धालुओं के लिए सरकार ने ऐसे डिजिटल खोया-पाया केंद्रों की स्थापना की है, जो तकनीक के सहारे चलेंगे और पलक झपकते ही अपनों से मिलाएंगे। इसमें हर खोए हुए व्यक्ति का डिजिटल पंजीकरण तुरंत किया जाएगा। पंजीकरण होने के बाद एआई कैमरे गुमशुदा की तलाश में जुट जाएंगे। यही नहीं, गुमशुदा की जानकारी को फेसबुक और एक्स जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी शेयर किया जाएगा। यह व्यवस्था महाकुंभ मेले को न केवल सुरक्षित बनाएगी, बल्कि परिवारों को जल्दी और आसानी से अपने प्रियजनों से जोड़ने का काम करेगी।

फोटो से मिलान करेगा एआई

महाकुंभ में अपनों से बिछड़ने वाले व्यक्तियों की पहचान के लिए फेस रिकग्निशन तकनीक का उपयोग किया जाएगा। यह तत्काल काम करेगा। यहां 45 करोड़ लोगों के आने की संभावना है। ऐसे में एआई कैमरे तत्काल फोटो खींचकर व्यक्ति की पहचान कर लेंगे। इस काम में सोशल मीडिया भी तत्पर रहेगा।

पहचान का देना होगा प्रमाण

जो भी व्यक्ति महाकुंभ मेले में अपनों से बिछड़ेगा, उसका सुरक्षित, व्यवस्थित और जिम्मेदार प्रणाली के तहत ख्याल भी रखा जाएगा। किसी भी वयस्क को बच्चे या महिला को ले जाने से पहले सुनिश्चित करना होगा कि वह उसे पहचानते हैं और उनकी पहचान प्रमाणिक है।

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