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जरुर जानें, क्यों होते हैं अलग-अलग रंग के मील के पत्थर

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आप जब कभी भी कहीं घूमने जाते हैं रास्ते में हाईवे तो जरुर पड़ते होंगे। आपने उन हाईवों पर अक्सर अलग-अलग कलर के मील के पत्थर भी देखें होंगे, लेकिन क्या आप उन अलग-अलग रंगों के मील के पत्थरों के मतलब जानते हैं? अगर नहीं तो आइये आज हम आपको बताते है कि इन पत्थरों के रंगों के मतलब क्या है-

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पीले रंग के पत्थर-

अगर आपको रास्ते में पीले रंग के पत्थर दिखे, तो समझ जाइए कि अभी आप नेशनल हाईवे पर हैं। पिछले साल के दिसंबर महीने के आंकड़ों की मानें तो देश में नेशनल हाईवे का नेटवर्क 1,65,000 किलोमीटर क्षेत्र में फैला है।

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ये हाईवे राज्यों और शहरों को आपस में जोड़ते हैं। सेंट्रल गवर्नमेंट इन हाईवे को मेन्टेन करती है।

हरे रंग के पत्थर-

आपने कई जगह इन मील के पत्थरों का रंग हरा भी नोटिस किया होगा। यदि आपको हरे रंग के पट्टे दिखें, तो इसका मतलब है कि आप नेशनल हाईवे से निकल कर स्टेट हाईवे पर पहुंच चुके हैं।

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आपको बता दें कि स्टेट हाईवे राज्यों और जिलों को आपस में जोड़ते हैं। इनकी देखरेख की जिम्मेदारी राज्य सरकार के हाथों में होती है।

काले रंग के पत्थर-

क्या आपने कभी इन माइलस्टोन को काले रंग से पेंट देखा है? अगर हां, तो इसका मतलब है कि अब आप ट्रैवल करते हुए किसी बड़े शहर या जिले में प्रवेश कर चुके हैं।

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यहां की सड़कों की जिम्मेदारी जिला प्रसाशन की होती है।

नारंगी रंग के पत्थर-

अगर आपकी नजर नारंगी रंग के माइलस्टोन पर पड़े, तो समझ जाएं कि आप किसी गांव में आ चुके हैं। ये सडकें प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत बनाई गई होती हैं।

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तो आगे से अगर आप किसी माइलस्टोन को देखें तो उसके रंग से पता कर लें कि आप आखिर हैं कहां?

 

 

 

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मध्य प्रदेश के शहडोल में अनोखे बच्चों ने लिया जन्म, देखकर उड़े लोगों के होश

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शहडोल। मध्य प्रदेश के शहडोल से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां ऐसे बच्चों ने जन्म लिया है, जिनके 2 शरीर हैं लेकिन दिल एक ही है। बच्चों के जन्म के बाद से लोग हैरान भी हैं और इस बात की चिंता जता रहे हैं कि आने वाले समय में ये बच्चे कैसे सर्वाइव करेंगे।

क्या है पूरा मामला?

एमपी के शहडोल मेडिकल कालेज में 2 जिस्म लेकिन एक दिल वाले बच्चे पैदा हुए हैं। इन्हें जन्म देने वाली मां समेत परिवार के लोग परेशान हैं कि आने वाले समय में इन बच्चों का क्या भविष्य होगा। उन्हें समझ में ही नहीं आ रहा कि शरीर से एक दूसरे से जुड़े इन बच्चों का वह कैसे पालन-पोषण करेंगे।

परिजनों को बच्चों के स्वास्थ्य की भी चिंता है। बच्चों को ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया है। मेडिकल कालेज प्रबंधन द्वारा इन्हें रीवा या जबलपुर भेजने की तैयारी की जा रही है, जिससे इनका उचित उपचार हो सके। ऐसे बच्चों को सीमंस ट्विन्स भी कहा जाता है।

जानकारी के अनुसार, अनूपपुर जिले के कोतमा निवासी वर्षा जोगी और पति रवि जोगी को ये संतान हुई है। प्रेग्नेंसी के दर्द के बाद परिजनों द्वारा महिला को मेडिकल कालेज लाया गया था। शाम करीब 6 बजे प्रसूता का सीजर किया गया, जिसमें एक ऐसे जुडवा बच्चों ने जन्म लिया, जिनके जिस्म दो अलग अलग थे लेकिन दिल एक ही है, जो जुड़ा हुआ है।

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