ऑफ़बीट
जावेद अख्तर के मुहं पर PRODUCER ने फेंका था कागज, बोला- नहीं बन सकते लेखक
नई दिल्ली। इस शहर में जीने के अंदाज निराले हैं, होंठो पे लतीफे हैं आवाज में चालें हैं। जी हां। शायद ही हमें ये बताने की जरूरत है कि इतने बेहतरीन अल्फाज किस लेखक के हो सकते हैं, लेकिन फिर भी अगर आज हमने आपको उस इंसान से रूबरू नहीं करवाया, जिसने हिंदी साहित्य को एक नया आयाम दिया तो ये उनकी शख्सियत के साथ बेईमानी होगी।
जी हां। हम बात कर रहे हैं हिंदी जगत के मशहूर शायर, लेखक, स्क्रिप्ट राइटर जावेद अख्तर की जावेद का जन्म ग्वालियर में 17 जनवरी 1945 को हुआ था। उन्हें देश के बेहतरीन गीतकारों में शुमार किया जाता है और इसकी वजह उनकी उम्दा नज्म और गज़लें हैं। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर की थी. बाद में वो स्क्रिप्ट राइटर भी बनें।
सलीम-जावेद की जोड़ी ने बॉलीवुड में कई कालजयी फिल्मों की कहानियां लिखी। इसी जोड़ी ने पर्दे पर अमिताभ की एंग्री यंग मैन की छवि गढ़ी। बाद इमं उन्होंने स्क्रिप्ट लिखना छोड़ दिया और पूरी तरह से गीतकार के तौर पर काम करने लगे।
हालांकि जावेद साहेब का जीवन उतना असान नहीं था, जितना आज दिखता है। एक वक़्त मुश्किल परिस्थितियों ने जावेद साहेब को भी काफी तंग किया था। जावेद के पिता भी एक प्रसिद्ध शायर थे।उनके एक पसंदीदा शेर में जादू नाम का जिक्र था। अचानक उस शायरी को पढ़ कर उन्हें अपने बेटे का ख्याल आया और उन्होंने अपने बेटे का नाम भी जादू रख दिया।
संघर्ष के दिनों के दौरान वह डायरेक्टर कमाल अमरोही के स्टूडियो में रहते थे। एक बार एक कमरे की अलमारी खोलने पर उन्हें कुछ पोशाकें और कुछ फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिले। वो अवॉर्ड मीना कुमारी के थे। उन्होंने आइने के सामने खड़े होकर कहा कि एक दिन वो भी ऐसे ही ट्रॉफी जीतेंगें। आगे इतिहास उन्होंने तमाम अवॉर्ड अपने नाम किए।
इनकी जिंदगी का एक किस्सा ऐसा भी था जब अपने जीवन के शुरुआती दिनो में वो एक दफा स्क्रिप्ट लेकर किसी प्रोड्यूसर के पास गए थे। प्रोड्यूसर को उनकी लेखनी इतनी बुरी लगी कि उस प्रोड्यूसर ने इनके मुंह पर कागज फेंक कर कहा, तुम जिंदगी में कभी लेखक नहीं बन सकते, लेकिन आज जावेद साहेब ने ये साबित कर दिया की ‘चाह को ही राह है। ’
सलीम खान के साथ इनकी जोड़ी बॉलीवुड की सबसे सफल जोड़ियों में शुमार की जाती है। फिल्म अंदाज, हाथी मेरे साथी, सीता और गीता, यादों की बारात, जंजीर, दीवार, शोले, डॉन, क्रांति और शक्ति प्रमुख है।
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मध्य प्रदेश के शहडोल में अनोखे बच्चों ने लिया जन्म, देखकर उड़े लोगों के होश
शहडोल। मध्य प्रदेश के शहडोल से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां ऐसे बच्चों ने जन्म लिया है, जिनके 2 शरीर हैं लेकिन दिल एक ही है। बच्चों के जन्म के बाद से लोग हैरान भी हैं और इस बात की चिंता जता रहे हैं कि आने वाले समय में ये बच्चे कैसे सर्वाइव करेंगे।
क्या है पूरा मामला?
एमपी के शहडोल मेडिकल कालेज में 2 जिस्म लेकिन एक दिल वाले बच्चे पैदा हुए हैं। इन्हें जन्म देने वाली मां समेत परिवार के लोग परेशान हैं कि आने वाले समय में इन बच्चों का क्या भविष्य होगा। उन्हें समझ में ही नहीं आ रहा कि शरीर से एक दूसरे से जुड़े इन बच्चों का वह कैसे पालन-पोषण करेंगे।
परिजनों को बच्चों के स्वास्थ्य की भी चिंता है। बच्चों को ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया है। मेडिकल कालेज प्रबंधन द्वारा इन्हें रीवा या जबलपुर भेजने की तैयारी की जा रही है, जिससे इनका उचित उपचार हो सके। ऐसे बच्चों को सीमंस ट्विन्स भी कहा जाता है।
जानकारी के अनुसार, अनूपपुर जिले के कोतमा निवासी वर्षा जोगी और पति रवि जोगी को ये संतान हुई है। प्रेग्नेंसी के दर्द के बाद परिजनों द्वारा महिला को मेडिकल कालेज लाया गया था। शाम करीब 6 बजे प्रसूता का सीजर किया गया, जिसमें एक ऐसे जुडवा बच्चों ने जन्म लिया, जिनके जिस्म दो अलग अलग थे लेकिन दिल एक ही है, जो जुड़ा हुआ है।
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