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बिजनेस

जियो के कारण मुकेश अंबानी को मिली फोब्र्स की ग्लोबल लिस्ट में जगह

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न्यूयॉर्क। फोर्ब्स पत्रिका ने रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) के अध्यक्ष मुकेश अंबानी को अपनी ‘ग्लोबल गेम चेंजर्स’ सूची में शीर्ष स्थान दिया है, जो अपने उद्योग को बदल रहे हैं और दुनिया भर के अरबों लोगों के जीवन को बदल रहे हैं।

फोर्ब्स की दूसरी सालाना ‘ग्लोबल गेम चेंजर्स’ सूची में अंबानी का उन 25 साहसी उद्योग नेतृत्व में शीर्ष स्थान मिला है, जिन्होंने यथास्थिति से संतुष्ट न होते हुए नई शुरुआत की और करोड़ों लोगों के जीवन पर प्रभाव डाला।

अमेरिकी पत्रिका ने अंबानी की रिलायंस जियो मोबाइल नेटवर्क को भारत में इंटरनेट के प्रसार में अहम भूमिका निभानेवाला बताया।

फोर्ब्स ने कहा, “तेल और गैस क्षेत्र के शीर्ष उद्योगपति ने एक धमाके के साथ देश के दूरसंचार बाजार में प्रवेश किया और बेहद सस्ती दरों पर लोगों को इंटरनेट मुहैया कराया। महज छह महीनों में ही 10 करोड़ ग्राहकों को हासिल कर बाजार में समेकन की लहर ला दी।”

इस सूची में शामिल अन्य लोगों के नाम हैं -होम अपलाएंसेज बनानेवाली कंपनी डायसन के संस्थापक जेम्स डायसन, अमेरिका की निवेश प्रबंधन कंपनी ब्लैकरॉक के सहसंस्थापक लैरी फिंक, सऊदी अरब के डिप्टी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान, सोशल मीडिया प्लेटफार्म स्नैप के सहसंस्थापक इवान स्पीगल और चीनी राइड शेयरिंग दिग्गज दीदी के संस्थापक चेंग बेई।

बिजनेस

जेट एयरवेज की संपत्तियों की होगी बिक्री

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश को रद्द करते हुए दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के अनुसार निष्क्रिय जेट एयरवेज के परिसमापन का आदेश दिया। एनसीएलएटी ने पहले कॉरपोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के हिस्से के रूप में जालान कालरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को एयरलाइन के स्वामित्व के हस्तांतरण को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए कहा कि जेकेसी संकल्प का पालन करने में विफल रहा क्योंकि वह 150 करोड़ रुपये देने में विफल रहा, जो श्रमिकों के बकाया और अन्य आवश्यक लागतों के बीच हवाई अड्डे के बकाया को चुकाने के लिए 350 करोड़ रुपये की पहली राशि थी। नवीनतम निर्णय एयरलाइन के खुद को पुनर्जीवित करने के संघर्ष के अंत का प्रतीक है।

NCLT को लगाई फटकार

पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ एसबीआई तथा अन्य ऋणदाताओं की याचिका को स्वीकार कर लिया। याचिका में जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखने के फैसले का विरोध किया गया है। न्यायालय ने कहा कि विमानन कंपनी का परिसमापन लेनदारों, श्रमिकों और अन्य हितधारकों के हित में है। परिसमापन की प्रक्रिया में कंपनी की संपत्तियों को बेचकर प्राप्त धन से ऋणों का भुगतान किया जाता है। पीठ ने एनसीएलएटी को, उसके फैसले के लिए फटकार भी लगाई।

शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया, जो उसे अपने समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आदेश तथा डिक्री जारी करने का अधिकार देता है। एनसीएलएटी ने बंद हो चुकी विमानन कंपनी की समाधान योजना को 12 मार्च को बरकरार रखा था और इसके स्वामित्व को जेकेसी को हस्तांतरित करने की मंजूरी दी थी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था।

 

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